ग्वालियर / बुंदेलखंड में महिलाएं हर काम में अपने कदम आगे बढ़ा रहीं हैं। एक समय था जब महिलाएं केवल घर की चार दीवारी में कैद थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं है। बात चाहे समाजसेवा की हो या जागरूक करने या फिर दूसरों को रोजगार के साधन उपलब्ध कराने की। महिलाएं पीछे नहीं हटतीं। महिलाओं की पहल पर कई गांवों में अन्य महिलाओं को रोजगार के साधन उपलब्ध हो रहे हैं। वृद्ध महिलाओं को भी सुविधाएं मिल रही हैं। महिला दिवस पर विशेष खबर....
उर्मिला का पाॅलीथिन के खिलाफ अभियान
छतरपुर. स्कूल संचालिका उर्मिला साहू शहर को स्वच्छ बनाने और पॉलीथीन मुक्त शहर बनाने का अभियान चला रही हैं। वह सुबह से शहर में अन्य महिलाओं के साथ पालीथिन साफ करती है और लोगों को भी पालीथिन का उपयोग न करने के लिए जागरूक करती हैं।
दमोह : आरती गांवों में जाकर बांटती हैं पेंशन
दमोह. बटियागढ़ ब्लाक के बकायन की आरती पैराणिक ग्रामीणों का दर्द देखा तो स्वयं चलता-फिरता बैंक बन गईं हैं। उन्होंने क्योस्क सेंटर के माध्यम से तकरीबन 10 ग्रामों के 20 किमी सर्किल एरिया में 400 से ज्यादा खाताधारकों को जोड़ा और एक मल्टीनेशनल कंपनी की तरह बैंक की सभी सेवाएं उपभोक्ताओं के घर जाकर देती हैं।
सागर की रजनी ने 428 महिलाओं को दिया रोजगार
सागर. जिले के चांदपुर गांव में किसान परिवार की बहू रजनी तिवारी की कहानी बेहद गरीबी से सक्षम हाेने के सुखद सफर काे बयां करती हैं। अपने अात्मबल, मेहनत के दम पर वे न सिर्फ आत्मनिर्भर बनीं, बल्कि 428 गरीब परिवारों की महिलाओं काे भी स्वरोजगार से जाेड़कर सक्षम बनाया। अब वे हर माह के 15 से 20 हजार रुपए तक कमाती हैं।