विहिप के मॉडल पर 3 साल में बनकर तैयार होगा राम मंदिर, भक्तों से 10-10 रु. चंदा लेंगे: नृत्यगोपाल दास

अयोध्या / श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा है कि राम मंदिर विहिप के न्यास मॉडल पर बनेगा। इसके लिए विहिप कार्यशाला में तराशे गए पत्थरों को मंदिर निर्माण में इस्तेमाल किया जाएगा। उनका दावा है कि मंदिर में रामलला पूजन वैष्णव समाज का ही कोई व्यक्ति करेगा। दास अयोध्या को विश्व की सबसे खूबसूरत नगरी के तौर पर विकसित करने की मांग भी करते हैं। उनका कहना है कि मंदिर का मॉडल बनाने वाले चंद्रकांत भाई सोमपुरा की देखरेख में ही मंदिर बनेगा। ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद दास पहली बार अयोध्या पहुंचे हैं। यहां पहुंचने बाद उन्होंने ट्रस्ट और मंदिर निर्माण से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। पढ़े बातचीत के प्रमुख अंश।


सवाल: विहिप के मंदिर मॉडल में कोई फेरबदल की गुंजाइश है या उसी मॉडल पर मंदिर बनेगा। क्या तराशे गए पत्थरों का भी उपयोग किया जाएगा?
जवाब: मंदिर में पत्थर वही लगेगा, जो पूर्व में श्रीराम जन्मभूमि न्यास ने तराशकर रखवाए हैं। मंदिर मॉडल में भी कोई परिवर्तन के आसार अब नहीं हैं। हां, मंदिर के शिखर और बाहरी परिवेश को
बढ़ाया जा सकता है। मंदिर के 70 एकड़ के सम्पूर्ण परिसर को भव्य रूप दिया जाएगा।



सवाल: मॉडल बनाने वाले चंद्रकांत भाई सोमपुरा ही मंदिर बनाएंगे या किसी अन्य आर्किटेक्ट को हायर किया है?
जवाब:
 मंदिर तो सोनपुरा की ही देखरेख में बनेगा, बाकी परिसर का निर्माण कार्य किसी ना किसी सक्षम संस्था को देना ही होगा, ताकि निर्माण कार्य को जल्दी और तेजी से किया जा सके।



सवाल: मंदिर मॉडल पूरा करने की क्या कोई समय सीमा भी निर्धारित करेंगे, आपके हिसाब से कितने समय में बनकर तैयार हो जाना चाहिए?
जवाब:
 मंदिर निर्माण में जो अवरोध थे, वह समाप्त हो चुके हैं। संघर्ष का दौर समाप्त हुआ। अब निर्माण होना है। मंदिर शीघ्र तैयार होगा। मंदिर निर्माण को समयसीमा में तो नहीं बांधा जा सकता
है। लेकिन उम्मीद है कि दो-तीन साल में भक्त अपने आराध्य का दर्शन गर्भगृह में कर सकते हैं।



सवाल: क्या राममंदिर निर्माण के लिए केंद्र और यूपी सरकार से भी फंड की मांग की जाएगी?
जवाब:
 यह सरकारी मंदिर नहीं है। मंदिर का निर्माण सरकारी पैसे से नहीं होगा। इसमें तो जन-जन का सहयोग अपेक्षित है। मंदिर निर्माण के लिए समाज दान देगा। इसके लिए बैंक में खाता खोला जा चुका है। मंदिर आंदोलन के दौरान कार्यशाला के लिए हमने सवा रुपए दान में मांगा था, अब दस रुपया मांगेंगे। इसके अतिरिक्त भी कोई अधिक दान देगा तो भी वह सीधे बैंक अकाउंट में भेज
सकता है।


सवाल: ट्रस्ट की अगली बैठक कब प्रस्तावित है? क्या मंदिर के शिलान्यास की कोई तारीख तय हुई है?


जवाब: बैठक इस महीने के अंत में हो सकती है। शिलान्यास हो चुका है। हां, मंदिर निर्माण से पहले वैदिक विद्वानों से विचार-विमर्श कर पूजन की तिथि निर्धारित की जा सकती है। वह भी सभी
ट्रस्टियों की सहमति से।



सवाल: मंदिर निर्माण शुरू होगा तो क्या उन कारसेवकों को भी बुलाया जाएगा जो मंदिर आंदोलन में शामिल हुए थे? क्या शहीद कारसेवकों का कोई म्यूजियम भी बनाया जाएगा?
जवाब: हां, पूजन के दौरान कारसेवकों की उपस्थित उनका अधिकार है। शहीद कारसेवकों की स्मृति में विजय स्तम्भ का निर्माण करवाया जाएगा।



सवाल: मंदिर में पूजा का अधिकार ब्राह्मण के अलावा किसी अन्य जाति के व्यक्ति को देने भी पर क्या विचार कर सकते हैं?
जवाब:
 भगवान राम सामाजिक समरसता के केंद्र बिंदु हैं। उन्होंने सभी को गले लगाया। संतों ने मंदिर निर्माण से पूर्व 1989 में शिलान्यास एक दलित बंधु से कराया था। वे आज भी मंदिर ट्रस्ट के सदस्य हैं। रही बात पूजन की तो वैष्णव पूजन पद्धति और कर्मकांड के साथ वैदिक जीवन का निर्वहन करने वाला ही पुजारी होगा।


सवाल: उमा भारती और कल्याण सिंह ने ट्रस्ट में ओबीसी को प्रतिनिधित्व नहीं देने पर सवाल उठाया है? किस तरह से देखते हैं?
जवाब: 
मैंने नहीं सुना कि उन्होंने क्या कहा? मंदिर जन-जन का है। यहां सभी के लिए द्वार खुले हैं। ट्रस्ट केवल व्यवस्था का एक अंग है।


सवाल: शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी ट्रस्ट के कुछ सदस्यों के नाम पर आपत्ति कर रहे हैं। इस पर क्या कहेंगे?
जवाब:
 ट्रस्ट में सभी संत अपने-अपने क्षेत्र के सम्मानीय हैं। समाज स्वामी वासुदेवानंद जी के योगदान को विस्मृत नहीं कर सकता है।



सवाल: आप पर विवादित ढांचा गिराने का केस चल रहा है। ऐसी चर्चा है कि इसी साल फैसला आ जाएगा। क्या लगता है?
जवाब: स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए देश के अनगिनत लोग शहीद हुए। विवादित रहा ढांचा भी एक विदेशी आक्रमण का प्रतीक था। इसे स्वयं हनुमानजी ने कारसेवकों के माध्यम से हटवाया। हम सभी तो निमित्त थे। कांग्रेस ने साधु-संतों और राष्ट्रवादी संगठनों को बदनाम करने के लिए ढांचा गिराने का केस चलवाया। अब मंदिर निर्माण होने जा रहा है। वह भी सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के पर। सीबीआई क्या फैसला देती है, यह कहना जल्दबाजी होगी? राम जी के लिए घर परिवार छोड़ा। आगे भी यह क्रम जारी रहेगा। हम तो राम जी के चाकर हैं, जो होगा उसे भी देखेंगे।