समर्थक धर्मसंकट में फंसे, सवाल- साथ तो महाराज का ही देंगे, पर भाजपा में अपनी जगह कैसे बना पाएंगे

ग्वालियर / ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने के फैसले से उनके गढ़ ग्वालियर में ही समर्थक धर्मसंकट में पड़ गए हैं। सिंधिया समर्थक कह रहे हैं कि साथ तो महाराज का ही देंगे, लेकिन सवाल यह है कि भाजपा में अपनी जगह कैसे बना पाएंगे? समर्थक दिल से सिंधिया के साथ हैं, लेकिन दिमाग उस पार्टी में जाने पर सवाल उठा रहा है, जिसके साथ वे इतने सालों से वैचारिक लड़ाई लड़ते रहे हैं। 


सिंधिया के भाजपा में जाने पर समर्थक क्या कहते हैं?
1) निष्ठा सिंधियाजी के साथ, पर फासीवादी पार्टी में नहीं जा सकते

पूर्व मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी रामनिवास रावत ने कहा, "निष्ठा सिंधियाजी के साथ है। उनका सम्मान करते हैं, लेकिन विचारों को बदला नहीं जा सकता। हम कांग्रेस में हैं और रहेंगे। हम सोनियाजी, राहुलजी और कमलनाथजी के साथ हैं। फासीवादी पार्टी के साथ नहीं जा सकते।'"


2) नई पार्टी बनाते तो सारे समर्थक साथ खड़े हो जाते
शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. देवेंद्र शर्मा ने कहा, "मैं कांग्रेस के साथ हूं। छात्र राजनीति के दौरान माधवराव सिंधिया से जुड़ा था। अब साठ साल का हो रहा हूं। आखरी वक्त कांग्रेस को छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता। सिंधियाजी का सम्मान करता हूं, पर एक कांग्रेसी के नाते जिस भाजपा से हम लड़ाई लड़ते रहे हैं, उसके साथ कैसे खड़े हो सकते हैं? हां, अगर वे विकास कांग्रेस की तरह अपनी कोई पार्टी बनाते तो उनके सारे समर्थक उनके साथ खड़े हो जाते।'


3) वैचारिक रूप से कांग्रेस, भाजपा के साथ कैसे काम कर सकते हैं
कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री अशोक शर्मा कहते हैं- सिंधियाजी वरिष्ठ हैं और सम्मानीय भी। जो कुछ भी हुआ, हम सब उससे विचलित हैं। वैचारिक और मानसिक रूप से हम मूलत: कांग्रेसी हैं। सिंधियाजी कांग्रेस से नाता तोड़कर कोई अलग संगठन बनाते तो हमें उनके साथ देने में कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन भाजपा के साथ हम कैसे काम कर सकते हैं?


4) सिंधिया ने वही कदम उठाया, जो किसी स्वाभिमानी को उठाना चाहिए
सिंधिया परिवार के बेहद करीबी चंद्रमोहन नागौरी ने कहा कि पिछले कुछ समय से कांग्रेस में सिंधिया को हाशिए पर किया जा रहा था। ऐसे में उन्होंने वही कदम उठाया, जो किसी भी स्वाभिमानी नेता को उठाना चाहिए था। कांग्रेस का साथ छोड़ना आश्चर्य की बात नहीं है। भाजपा में जाने की बात गले नहीं उतरती। व्यक्तिगत राय है कि वे अगर अपने पिताजी की तरह विकास कांग्रेस बनाते तो उनकी अनदेखी करने की स्थिति में कोई नहीं होता। 20-22 विधायक तो उनके साथ हैं ही, 10-20 और भी आ जाते।


5) सिंधिया ही हमारे नेता, हर हाल में उनके साथ हैं
सिंधिया के समर्थन में इस्तीफा देने वाले प्रदेश महामंत्री रमेश अग्रवाल ने कहा कि सिंधिया हमारे नेता हैं। हम हर हाल में उनके साथ हैं और रहेंगे। ग्रामीण जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले मोहन सिंह राठौर, प्रदेश महामंत्री पद से इस्तीफा देने वाले सुनील शर्मा, पूर्व विधायक रामवरण गुर्जर और शहर जिला महिला कांग्रेस की अध्यक्ष कमलेश कौरव का कहना है- हमारे नेता सिंधियाजी ही हैं। हम उनके साथ हैं।