साढ़े 5 हजार कर्मचारियों पर पड़ेगा सरकार के फैसले का असर, वित्तमंत्री का दावा-कई गुणा ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा होंगे

जालंधर /  वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल के द्वारा 2020-21 के बजटीय भाषण ने एक तरफ प्रदेश के 3.53 लाख कर्मचारियों में खुशी का माहौल है, वहीं कुछ के लिए चिंता भी यह घोषणा लेकर आई। सरकार ने कर्मचारियों को 6 प्रतिशत डीए 1 मार्च से देने का ऐलान किया है। इसके अलावा एक और बड़ी घोषणा सरकार ने 2 साल की रिटायरमेंट एज घटाने की कर डाली। यही वह घोषणा है, जिसके चलते प्रदेश के 5600 कर्मचारी अब जल्दी रिटायर हो जाएंगे। इन दोनों घोषणाओं का कर्मचारियों और सरकारी खजाने पर क्या असर पड़ेगा, आइए थोड़ा विस्तार से जानते हैं। मनप्रीत बादल के मुताबिक इस फैसले को दो चरणों में लागू किया जाएगा। जो कर्मचारी 59 साल के हो गए हैं, वो इस साल 31 मार्च को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। जो कर्मचारी 58 साल के हो गए हैं, वो 30 सितंबर से सेवनिवृत्त होने लगेंगे। रोजगार पर पड़ने वाले असर को लेकर बादल ने कहा, 'उम्र घटाने के कदम के बाद सेवानिवृत्त होने वाले लोगों की संख्या की तुलना में लगभग 4 गुणा लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया करा सकेंगे'। हालांकि इस कदम से कितने कर्मचारियों पर असर पड़ेगा, इसकी गणना अभी नहीं किए जाने की बात मनप्रीत ने कही। इसके अलावा उन्होंने 1 मार्च से छह प्रतिशत महंगाई भत्ता देने की घोषणा के बारे में बताया कि इससे राज्य के खजाने पर एक हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। दूसरी ओर कर्मचारियों की तरफ से भी सरकार के इन ऐलान को लेकर प्रतिक्रिया आई है। इन मसलों पर कर्मचारी नेता सुखजीत सिंह (सीपीएफ कर्मचारी यूनियन और जॉइंट कर्मचारी एक्शन कमेटी के प्रेसिडेंट) के साथ कुछ सवाल-जवाब दैनिक भास्कर के हुए, जो इस प्रकार से हैं:-


डीए कब से दिया जाएगा?
1 जुलाई 2018 से दिया जा रहा है।


कितने लोगों को फायदा मिलेगा?
नियचित रूप से प्रदेश के तमाम कर्मचारी वर्ग को इसका फायदा मिलेगा।


कब से और कितना डीए पेंडिंग है?
1 जनवरी 2018 को जब सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया था, उसके बाद सरकार की तरफ 27 प्रतिशत डीए ड्यू है।


क्या डीए एरियर समेत दिया जाएगा?
एरियर समेत क्या, यह खुद एरियर है। मैं पहले ही बता चुका हूं कि सरकार की तरफ 27 प्रतिशत डीए ड्यू है।


तो और कितना बाकी बचा?
6 प्रतिशत ही देने का सरकार ने ऐलान किया है। 21 प्रतिशत पिछले में से बाकी बचा, वहीं हर 6 महीने के हिसाब से आगे भी तो देना ही है।


रिटायरमेंट एज पर फैसले से कितने कर्मचारी प्रभावित होंगे?
प्रदेशभर में साढ़े 3 लाख में से लगभग 5600 कर्मचारियों पर इसका सीधा असर पड़ेगा। अकेले जालंधर में जिला प्रशासन से जुड़े 21 लोग इसके असर में आ रहे हैं।


सरकार का यह फैसला कितना सही है?
रिटायरमेंट करीब आते देख वैसे ही धड़कनें बढ़ना शुरू हो जाती हैं। जब आखिरी 2 साल बचे हों और पता चले कि वो भी नहीं तो चिंता और भी बढ़ जाती है।


युवाओं को मौका मिलेगा?
हां कहा जा सकता है, लेकिन फिलहाल कार्यरत लोगों के लिए तुरंत प्रभाव से फैसला लागू करना भी तो ठीक नहीं है। हालांकि अगली व्यवस्था होने तक साथी अपने पदों पर बने रहेंगे, पर यह सरकार की मजबूरी है।


सरकार को नहीं बढ़ानी चाहिए थी रिटायरमेंट एज
उधर, एक्सपर्ट के तौर पर पंजाब यूनिवसिर्टी बिजनेस स्कूल में सेवारत डॉ. कुलविंद्र सिंह की राय जानी।  डॉ. कुलविंद्र सिंह मानें तो सरकार को पहले रिटायरमेंट एज बढ़ाने का फैसला नहीं लेना चाहिए था। दो सवालों के जवाब में उन्होंने पूरी तरह से समझाने की कोशिश की है कि रिटायरमेंट एज घटाने के सरकार को क्या फायदा और क्या नुकसान है।


क्यों नहीं लेना चाहिए था?
अगर सरकार रिटायर हुए कर्मियों की जगह नए रखती है तो उसे प्रोबेशन पीरियड के दौरान बेसिक वेतन पर रखा जाता है। ऐसे में सरकार का खर्च सीधे 90% तक कम हो जाता है। यानि अगर कोई मौजूदा समय में 1 लाख वेतन ले रहा है तो उसी पद पर नई भर्ती करने पर सरकार को उसे बेसिक पे देनी होगी। जो 12 से 13 हजार बनती है। इससे सरकार का वेतन देने पर खर्च कम हो जाएगा। आर्थिक हालात सुधारने का सीधा फंडा होता है कि खर्च कम करे और आय को बढ़ाया जाए। पंजाब सरकार भी इसी पर चल रही है।


तो आपकी राय में नुकसान क्या है मौजूदा घोषणा से?
रिटायरमेंट एज घटाने का सरकार को नुकसान भी है। जहां रिटायरमेंट एज पर पहुंचे कर्मचारी को अपने काम का अनुभव हो जाता है, जबकि नए कर्मचारी को उसका काम सिखाना पड़ता है।


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