पुनर्वास व नौकरी लेकर ग्रामीण बैठे धरने पर, छह घंटे गेवरा खदान बंद

कोरबा । खदान प्रभावितों को गंगानगर में बसाहट, नौकरी तथा डीएमएफ की राशि गांव में खर्च करने की मांग लेकर ग्राम भठोरा को ग्रामीणों ने गेवरा खदान में काम बंद करा दिया। छह घंटे तक चले आंदोलन के दौरान कोयला उत्खनन व मिट्टी नहीं हो सका। वार्ता उपरांत प्रबंधन ने बसाहट देने समेत अन्य समस्याओं का जल्द निराकरण 20 मार्च तक करने आश्वासन दिया। तदुपरांत ग्रामीणों ने अपना आंदोलन स्थगित किया। एसईसीएल की गेवरा परियोजना के प्रभावित ग्राम भठोरा के ग्रामीणों ने नौकरी, मुआवजा, बसाहट समेत अन्य मुद्दों को लेकर प्रबंधन से चर्चा कर निराकरण कराए जाने का दो दिन पहले प्रयास किया गया था, पर वार्ता नहीं होने से ग्रामीणों में नाराजगी व्याप्त हो गई। गुरुवार को सभी ग्रामीण एकजुट होकर गेवरा खदान में प्रवेश कर पहले मिट्टी निकासी बंद करा दिए। जानकारी मिलने पर एसईसीएल के अफसर पहुंचे और समझाइश देने का प्रयास करने लगा। ग्रामीण महाप्रबंधक व एसडीएम को बुलाने की मांग पर अड़ते हुए खदान के अंदर ही धरना देकर बैठ गए। इससे कोयला उत्खनन भी बंद हो गया। इसकी जानकारी मिलते ही आखिरकार गेवरा क्षेत्र के वरिष्ठ अफसर व तहसीलदार स्थल पर पहुंचे और ग्रामीणों के साथ वार्ता की। त्रिपक्षीय वार्ता उपरांत प्रबंधन ने लिखित में आश्वासन दिया। इसमें 20 मार्च तक गंगानगर में बसाहट देने पर सहमति बनी। इसके साथ घटते क्रम में सम्मिलित सभी खातेदारों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। मुआवजा वितरण में विसंगति को दूर करने, ब्लास्टिंग से क्षतिग्रस्त मकानों को मुआवजा देने पर प्रबंधन ने सहमति जताई। बैठक में ग्रामीणों ने कहा कि निर्धारित समय तक मांग पूरी नहीं होती है तो 21 मार्च से आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया जाएगा। इसके साथ ही आंदोलन स्थगित कर दिया। बैठक में प्रशासन की ओर से नायब तहसीलदार शशिभूषण सोनी, एसईसीएल की ओर महाप्रबंधक प्रोजेक्ट एसएस भाटी, एपीएम एस वेंकेटेश, नोडल अधिकारी अविनाश शुक्ला, सुरक्षा अधिकारी सिद्धार्थ जोशी, कुसमुंडा थाना प्रभारी राकेश मिश्रा, हरदीबाजार चौकी प्रभारी विजय चेलक समेत सीआइएसएफ व पुलिस बल मौजूद रहा। ग्रामीणों के साथ पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष अजय जायसवाल, सरपंच चंद्रभान सिंह समेत काफी संख्या में महिलाएं व पुरुष उपस्थित रहे।


 

लगभग 80 टन नहीं निकला कोयला


वित्तीय वर्ष समाप्ति की ओर है और खदानों से रोजाना उत्पादन टारगेट बढ़ाया जा रहा है, ऐसी स्थिति में आंदोलन के चलते उत्पादन प्रभावित होने पर प्रबंधन चिंतित हो उठा है। जानकारों का कहना है कि गुरुवार को हुए आंदोलन के कारण लगभग 80 टन कोयला उत्पादन प्रभावित हुआ है यदि पुनः आंदोलन होता है तो गेवरा खदान अपना टारगेट हासिल नहीं कर पाएगी।


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