नशा तस्करी के केस में आराेपी को बचाने के लिए परिवार ने कोर्ट में दिया था डेथ सर्टिफिकेट, पांच साल बाद निकला जिंदा

पटियाला / नशे की तस्करी के मामले से बचने के लिए एक तस्कर ने अपने पारिवारिक मैंबराें के सहयाेग से खुद को मृतक घोषित कर अदालत में अपनी मौत का सर्टिफिकेट जमा करवा दिया।  इस कारण अदालत ने इस केस को ट्रायल से क्लोज कर दिया और फाइल रिकार्ड रूम में भेज दी गई। लेकिन बाद में इसका खुलासा उस समय हुआ, जब कथित दोषी हैप्पी पुत्र हरमेश लाल जिसको पुलिस के स्पेशल स्टाफ ने ढूंढते हुए आख़िर उसका पता लगा लिया। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार हैप्पी जो कि लुधियाना की जेल में बंद था। बाद में नया शहर की पुलिस की तरफ से एक मामला दर्ज किया गया  था। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की तरफ से मामले की जांच के आदेश पटियाला की संबंधित अदालत के सेशन जज प्रिया सूद को दिए थे।जिसके बाद थाना शंभू पुलिस भी हरकत में आ गई। क्योंकि हैप्पी के  खिलाफ 7 अक्तूबर 2015 को थाना शंभू में धारा 22 एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने उससे नशीले पदार्थ बरामद किए थे।


हवलदार और सरपंच ने जांचा था डेथ सर्टिफिकेट


बाद में उक्त कथित दोषी हैप्पी, उसके माता-पिता हरमेशलाल, कुलविन्दर कौर और पत्नी राजवंत निवासी शेखूपुर ज़िला नवाशहर के अलावा हवलदार नरेश कुमार और सरपंच बलवंत सिंह के खिलाफ जांच की गई। इसमें हवलदार नरेश कुमार और सरपंच बलवंत सिंह बेकसूर पाए गए। अदालत ने कथित दोषी हैप्पी, हरमेश लाल, कुलविन्दर कौर और राजवंत कौर के खिलाफ  केस तैयार कर उसे चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट पटियाला की अदालत में धारा 190, 199, 200 आईपीसी के अंतर्गत सुनवाई के लिए भेज दिया है। बता दें के हवलदार नरेश कुमार और सरपंच बलवंत सिंह ने माैत के सर्टिफिकेंट काे जांचा था