नैरोगेज ट्रेन पर डॉक्यूमेंट्री बना रहा रेलवे, कहा- हम 45 रु. में कराते हैं 200 किमी सफर, बस का किराया इससे 5 गुना

ग्वालियर / रेलवे नैरोगेज ट्रेन की विरासत को आने वाली पीढ़ी को दिखाने के लिए डॉक्यूमेंट्री फिल्म बना रहा है। बुधवार को इसकी शूटिंग मोतीझील स्टेशन में हुई। इस शूटिंग में झांसी मंडल के डीआरएम संदीप माथुर शामिल हुए। शूटिंग के दौरान डीआरएम ने कहा कि नैरोगेज का संचालन चुनौतियों के बीच रेलवे कर रहा है। परेशानी के बाद भी रेलवे 45 रुपए में 200 किमी का सफर नैरोगेज में करा रहा है। जबकि नैरोगेज ट्रेन की तुलना में बस का किराया ग्वालियर से श्योपुर के बीच पांच गुना ज्यादा है। ग्वालियर से श्योपुर का बस का किराया 225 रुपए लगता है। ग्वालियर से सबलगढ़ दो ट्रेन और एक ट्रेन श्याेपुर रोज जाती है। यही तीन ट्रेन श्योपुर और सबलगढ़ से लौटकर ग्वालियर आती है। हर दिन लगभग 4 से 5 हजार यात्री रोज नैरोगेज में सफर कर रहे हैं। शूटिंग सुबह 9:20 बजे शुरू हुई। इस दौरान आधा घंटे मोतीझील में यात्रियों से ठसाठस भरी ट्रेन खड़ी रही। हालांकि ट्रेन में भीड़ इतनी थी कि कुछ यात्री गेट पर लटके रहे।


चुनौतियों के बीच परिचालन... स्टाफ और ट्रैक मेंटेनेंस में भी बड़ा खर्चा


सिंधिया रियासत काल से संचालित नैरोगेज ट्रेन 100 साल पुरानी हो चुकी है। डीआरएम ने कहा कि अब इसके पार्टस भी नहीं मिलते। ऐसे पार्ट विशेष आर्डर पर बनते हैं, जो रेलवे को बहुत महंगा पड़ता है। इसके साथ ही स्टाफ और ट्रैक मेंटेनेंस में रेलवे को बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है। 


किसान नैरोगेज मालगाड़ी में लाते थे अनाज


डीआरएम ने कहा कि एक समय ऐसा भी था जब अंचल के किसान अनाज भरकर ग्वालियर तक लाते थे। इसके बाद इसे बाजार में बेचते थे। इतना ही नहीं, माल अधिक होने पर इस मालगाड़ी में भरकर दूसरे शहर भी भेजने का काम किया जाता था। नैरोगेज ट्रेन ग्रामीणों के लिए लाइफ लाइन है।