मोदी से मिलने के बाद सिंधिया का कांग्रेस से इस्तीफा; भाजपा राज्यसभा टिकट देगी, मंत्री भी बनाए जा सकते हैं

भोपाल / करीब 22 घंटे की ना-हां, हां-ना के बाद आखिरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया का इस्तीफा आ ही गया। होली के दिन दोपहर 12.10 बजे सिंधिया ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से अपने इस्तीफे की चिट्‌ठी ट्वीट कर दी। हालांकि ये चिट्‌ठी 9 मार्च को ही लिख ली गई थी। इसके महज 20 मिनट बाद ही कांग्रेस ने सिंधिया को पार्टी से बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया। इसके 5 मिनट बाद ही 12.35 बजे सिंधिया समर्थक 14 विधायकों ने अपना इस्तीफा विधानसभा को ईमेल कर दिया। ये सभी विधायक सोमवार से ही बेंगलुरू में हैं। अभी कुछ और भी विधायक इस्तीफा दे सकते हैं।


इस्तीफे में लिखा- कांग्रेस में रहकर काम नहीं कर पाऊंगा


सिंधिया ने इस्तीफे में लिखा-


‘‘डियर मिसेज गांधी, मैं पिछले 18 वर्षों से कांग्रेस पार्टी का प्राथमिक सदस्य हूं। अब वक्त हा गया कि मुझे नई शुरुआत के साथ आगे बढ़ना चाहिए। मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से अपना इस्तीफा दे रहा हूं और जैसा कि आप जानती हैं, यह वह रास्ता है, जो पिछले वर्ष खुद बनना शुरू हो गया था। हालांकि, जन सेवा का मेरा लक्ष्य उसी तरह का बना रहेगा, जो शुरुआत से ही हमेशा रहा है, मैं अपने प्रदेश और देश के लोगों की उसी तरह से सेवा करता रहूंगा। मुझे लगता है कि मैं आगे यह काम इस पार्टी (कांग्रेस)  में रहकर करने में सक्षम नहीं हूं। अपने लोगों और अपने कार्यकर्ताओं की भावनाओं को प्रदर्शित करने और उसे जाहिर करने के लिए, मुझे लगता है कि यह सबसे अच्छा होगा कि मैं आगे की ओर देखूं और एक नई शुरुआत करूं। मुझे देश सेवा के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए मैं आपको बहुत धन्यवाद देता हूं और आपके माध्यम से कांग्रेस पार्टी के मेरे साथियों को भी धन्यवाद देता हूं।’’ 


सादर,


आपका ज्योतिरादित्य सिंधिया।


अल्पमत में कमलनाथ सरकार


14 विधायकों के इस्तीफा भेजने के बाद कमलनाथ सरकार संकट में आ गई है। इस्तीफे स्वीकार होने की स्थिति में कांग्रेस के पास सिर्फ 100 विधायक रह जाएंगे, जिसमें विधानसभा अध्यक्ष भी शामिल हैं। फिलहाल कमलनाथ सरकार के पास 4 निर्दलियों समेत सपा के एक और बसपा के 2 विधायकों का समर्थन है। ऐसे में कमलनाथ के पास 107 विधायकों का समर्थन होगा। अभी भाजपा के पास भी 107 विधायक हैं। 16 मार्च को शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में अगर भाजपा अविश्वास प्रस्ताव लाती है, तो कमलनाथ के लिए सरकार बचाना मुश्किल होगा।


दिल्ली से भोपाल तक बैठकों को दौर जारी


इस बीच सोनिया ने दिल्ली में अपने आवास पर आपात बैठक बुलाई, जिसमें पार्टी के कई वरिष्ठ नेता पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस सिंधिया पर कार्रवाई कर सकती है। उधर, सिंधिया के मोदी से मिलने की खबरों के बाद भोपाल में मुख्यमंत्री आवास पर भी हलचल बढ़ गई है। बाला बच्चन, हुकुम सिंह कराड़ा, सज्जन सिंह वर्मा समेत कई मंत्री मिलने पहुंचे। बदलते घटनाक्रम के बीच प्रदेश के भाजपा मुख्यालय में मीटिंग चल रही है, जिसमें शिवराज सिंह चौहान, पार्टी अध्यक्ष वीडी शर्मा और विनय सहस्त्रबुद्धे शामिल हैं। 


सिंधिया का पार्टी में स्वागत: नरोत्तम


कांग्रेस नेता और मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि पार्टी के नेताओं से हमारी बातचीत चल रही है। हमारी सरकार को कोई खतरा नहीं है। सरकार स्थिर है और पांच साल का कार्यकाल पूरी करेगी।
 वहीं, भाजपा के नेता नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि हम ज्योतिरादित्य सिंधिया का पार्टी में शामिल होने पर स्वागत करते हैं। वे जमीन से जुड़े बड़े नेता हैं। शायराना अंदाज में उन्होंने कहा कि दुश्मनों के तीर खाकर दोस्तों के शहर में, उनको किस-किस ने मारा, ये कहानी फिर कभी।


कांग्रेस की हो सकती है ये रणनीति
1. कांग्रेस विधायक दल की बैठक के लिए व्हिप जारी करे। इसका उल्लंघन करने वाले को सदन में आने से रोक दे। इसमें स्पीकर का रोल महत्वपूर्ण होगा।  
2.  कांग्रेस राज्यसभा चुनाव तक इंतजार कर सकती है। हालांकि इसमें 16 दिन बाकी है, जबकि सरकार का फैसला बजट सत्र की शुरुआत में हो सकता है। बड़े नेताओं की बैठक में चर्चा भी हुई, सिंधिया को राज्यसभा का टिकट और तुलसीराम सिलावट को प्रदेश अध्यक्ष बना दें।


तीन अलग-अलग जगहों पर ठहरे हैं विधायक
बेंगलुरु से 40 किलोमीटर दूर रिसॉर्ट पाम मेडोज के साथ तीन अलग-अलग जगहों पर सिंधिया समर्थक विधायकों को ठहराया गया है। ये स्थान कर्नाटक से भाजपा विधायक अरविंद लिंबोवली के क्षेत्र में आता है। सभी कमांडों की निगरानी में हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे और सांसद रहे बीवाय राघवेंद्र और विजयन इन विधायकों को संभाल रहे हैं। इनके साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता अरविंद भदौरिया भी हैं। कर्नाटक गए विधायकों में से कुछ तिरुपति बालाजी के दर्शन करने गए। विजयन रियलिटी फर्म आदर्श डेवलपर चलाते हैं।


एक्सपर्ट व्यू : सदन में ही हो सकता है बहुमत का फैसला
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप के मुताबिक, किस पार्टी के पास बहुमत है, इसका फैसला विधानसभा के सदन में ही हो सकता है। विश्वास या अविश्वास प्रस्ताव, मनी बिल या किसी पॉलिसी मैटर पर सरकार सदन में हार जाती है, तो उसे इस्तीफा देना होगा। पार्टी व्हिप का उल्लंघन करके वोट करने वाले या स्वेच्छा से पार्टी छोड़ने वाले सदस्य की शिकायत होने पर स्पीकर उसकी सदस्यता समाप्त कर सकता है। ऐसे में अयोग्य घोषित होने के पहले वो जो वोट करेगा, वह मान्य होगा। दो तिहाई सदस्यों के एक साथ पार्टी छोड़ने पर दलबदल अधिनियम लागू नहीं होगा और उनकी विधायकी बनी रहेगी।