चाइनीज आइटम बेचने से भी तौबा कर रहे दुकानदार

कोरबा । होली पर्व के लिए रंगों का बाजार सजने लगा है, लेकिन बाजार से चाइनीज आइटम गायब है। आम लोगों में चाइनीज सामान की खरीदी कोरोना बीमारी मोल लेने का पर्याय बन गया है। बीमारी को लेकर लोगों के मन में डर समा गया है। जिस दुकान में चाइनीज आइटम देख रहे हैं, वहां लोग खरीदारी करना तो दूर दुकान में प्रवेश करना भी पसंद नहीं कर रहे हैं। हालिया स्थिति यह है कि दुकानदार पुराने बचे हुए चाइनीज आइटम को शो केश में प्रदर्शन के लिए रखना भी घाटे का सौदा समझ रहे हैं। कल जिस चाइनीज आइटम की बाजार में तूती बोलती थी, वह अब ठप पड़ गया है। कोरोना वायरस के कारण लोगों के मन में बीमारी को लेकर डर पᆬैल गया है। धारणा यह बन गई है कि कहीं सामान के साथ बीमारी भी न पᆬैल जाए। बाजार में ठेठ इंडियन आइटम की मांग बढ़ गई है। अबीर, गुलाल, मेंहदी के अलावा हर्बल कलर की मांग बढ़ गई है। इंडियन आइटम की भी बाजार में जबरदस्त धूम है। प्रेशर गन पिचकारी, सूखी रंग वाली पᆬैंसी गन, गुब्बारे, कलर स्मोक नए कलेवर में आए हैं। ज्यादातर दुकान संचालक शहर के ही थोक विक्रेताओं से माल खरीदी कर बाजार में खपा रहे हैं। अभ्रक कलर युक्त भड़कीले रंगों की भी बिक्री पाउच पैक में की जा रही है। दुकान संचालकों की मानें तो महावर आइटम जो केवल लाल कलर में होते थे, वह नीला पीला हरा कई फ्लेवर में बिक रहे हैं। लोग खरीदने से पहले चाइनीज आयटम तो नहीं है, इसकी परख जरूर कर रहे हैं। शहर रंगों की चमक के साथ दुकानें निहारिका और पुराना बस स्टैंड में लग रही है। शहर के अलावा उपनगरीय क्षेत्र में कोरोना का असर बरकरार होने से दुकान संचालक इंडियन कलर व सामग्रियों की मांग कर रहे हैं। दुकान संचालकों की मानें तो बाजार में बच्चों और युवाओं के लिए विविध परिधान, मुखौटे आदि सामान लॉन्च किए गए हैं। मुखौटों की बजाय टोपी, मूंछ, विग, सीटी आदि की अधिक मांग हो रही है। होली पर्व 10 मार्च को मनाया जाएगा। रंगों की पूछपरख बाजार में बढ़ गई है।



मेड इन इंडिया का स्टीकर


सामग्री खरीद से पहले लोग चाइनीज या इंडियन आइटम की स्पष्ट जानकारी ले रहे हैं। समस्या से निपटने के लिए विक्रेता सामानों में मेड इन इंडिया स्टीकर का सहारा लेकर हैं। व्यवसायियों की मानें तो स्थानीय बाजार से खरीदी और केवल इंडियन आइटम की मांग होने से सामानों की कीमत में महंगाई देखी जा रही है। बीते वर्ष की अपेक्षा सामान आठ से 10 पᆬीसदी मंहगे हैं। शहरी दुकानों में सामग्री बिक्री को लेकर प्रतिस्पर्धा का माहौल बना हुआ है।


 

हर्बल की बढ़ी मांग


बाजार में हर्बल कलर की मांग अधिक है। थोक विक्रेताओं से चिल्लर विक्रेता हर्बल और सामान्य अबीर, गुलाल की अधिक खरीदारी कर रहे। रंगों के साइड इपᆬेक्ट से बचने घर परिवार के लिए होम मेड कलर तैयार करने की तैयारी में लगे हैं। रंग तैयार करने के लिए सूखी मेहंदी, पलाश आदि की भी मांग देखी जा रही है, जहां सामूहिक रूप से पᆬाग आयोजन किया जाता है वहां सूखे पᆬूल कंडे की राख आदि से तैयार होने वाली प्राकृतिक रंग बनाने की तैयारी की जा रही है।