मेरे पिता मुंबई हमले में आतंकियाें की गाेली का शिकार नहीं हुए हाेते ताे यस बैंक का यह हाल नहीं होता : शगुन कपूर

भाेपाल / राणा कपूर के साथ यस बैंक की स्थापना करने वाले स्व. अशोक कपूर की बेटी और लंबी कानूनी लड़ाई के बाद बैंक के बोर्ड में शामिल हुईं शगुन कपूर गोगिया ने कहा है कि उनके पिता मुंबई हमले में अातंकियाें की गाेली का शिकार नहीं हुए होते तो बैंक का यह हाल कभी नहीं होता। गौरतलब है अशोक कपूर की मौत के बाद राणा ने उनके परिवार को बैंक से बाहर रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी।


सवाल : यस बैंक दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है। जमाकर्ता हताश हैं। अब बैंक के पास क्या विकल्प हैं?
जवाब : मेरा और परिवार का भरोसा बैंक पर बरकरार है। इसलिए हमने अपनी 8.5% हिस्सेदारी नहीं बेची है। हम इसे उबारने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। बैंक के एस्क्रो अकाउंट में 3600 करोड़ रुपए (50 करोड़ डॉलर) हैं। इससे जमाकर्ताओं का पैसा लौटाने में मदद मिलेगी।
 सवाल : आपको लगता है कि आपके पापा होते तो बैंक की यह स्थिति नहीं होती?
जवाब : बिलकुल। यस बैंक का मूल आइडिया पापा का ही था। उन्होंने इसे एनबीएफसी से बैंक और फिर अहम मुकाम तक पहुंचाने में योगदान दिया। उनके रहते बैंक एेसी परेशानियों में नहीं घिरता। वे इसके संचालन में इतनी गड़बड़ियां कभी नहीं होने देते।
 सवाल : आप 2019 में बैंक बोर्ड में शामिल हुईं। उस समय आपके पास बैंक को ट्रैक पर लाने के क्या विकल्प बचे थे?
जवाब : बैंक के बारे में काफी खबरें आ रही थीं। उनसे बैंक की साख प्रभावित हो रही थी। तब मुझे लगा कि हालात इतने नहीं बिगड़ेंगे, पर हालात पहले से काफी बिगड़ चुके थे।
 सवाल : राणा बड़े पैमाने पर धन बाहर ले गए। महंगी पेंटिंग्स खरीदने में पैसा बहाया?
जवाब : जिस बैंक को मेरे पिता ने इतने बड़े सपने के साथ खड़ा किया, उसमें यह सब हो रहा है। यह जानकर बेहद दुख हो रहा है।


इस तरह शुरू हुआ सफर
राणा कपूर और अशोक कपूर ने 1998 में हाॅलैंड के रोबो बैंक के साथ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) रोबो इंडिया फाइनेंस की स्थापना की। इसमें दोनों समेत एक अन्य पार्टनर हरकीरत सिंह की 25-25% हिस्सेदारी थी। 2003 में तीनों ने रोबो इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बेच दी। फिर राणा और अशोक ने 200 करोड़ रुपए की पूंजी से यस बैंक शुरू िकया। दोनों को रोबो इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बेचने से 10-10 लाख डॉलर मिले थे। यस बैंक ने 2004 में अपनी पहली ब्रांच मुंबई में खाेली। उस समय बैंकिंग सेक्टर पर पूरी तरह सरकारी क्षेत्र के बैंकों का कब्जा था। केवल एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक ही प्राइवेट सेक्टर के बैंक थे। देखते ही देखते यह लगभग 2 लाख करोड़ रुपए की पूंजी वाला बैंक बन गया।


ऐसे शुरू हुई परेशानियां
2008 में अशोक कपूर बैंक के नॉन एग्जीक्यूटिव चेयरमैन थे। उनकी बैंक में कुल 12% की हिस्सेदारी थी। वे 26 नवंबर 2008 को पत्नी मधु के साथ नरीमन पाॅइंट स्थित होटल ट्राइडेंट के कंधार रेस्टोरेंट में डिनर पर गए थे। उसी समय होटल में आतंकी दाखिल हुए। शगुन ने भास्कर को बताया कि उस रात करीब 10 बजे पापा ने फोन कर टीवी ऑन करने को कहा। वे होटल में चल रही घटना की जानकारी चाह रहे थे, लेकिन शगुन ने जब आतंकी हमले की खबर देखकर उन्हें वापस कॉल किया, तब तक वे शायद आतंकियाें की गोली का निशाना बन चुके थे। मधु भागदौड़ में पति से अलग हो गई थीं। बाद में होटल स्टाफ ने उन्हें सुरक्षित निकाला। हादसे से उबरने के बाद मधु कपूर ने यस बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में अशोक की जगह शगुन को देने की मांग की। लेकिन राणा कपूर ने इंकार कर दिया। मजबूरन उन्हें कोर्ट की शरण लेना पड़ी। लंबी कानूनी के बाद 2019 में शगुन काे यस बैंक के बोर्ड में जगह मिल पाई। 26 अप्रैल 2019 को शगुन बैंक की एडिशनल डायरेक्टर बनाई गईं।


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