मंत्रियों के इस्तीफे के बाद नए सिरे से मंत्रिमंडल गठन की रणनीति, कई मिनिस्टर्स की हो सकती है छुट्‌टी

भोपाल / सोमवार देर रात मंत्रियों से इस्तीफे लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उन असंतुष्ट विधायकों को साधने के लिए नया विकल्प खोल दिया है, जो मंत्री बनाए जाने के लिए लंबे समय से दबाव बना रहे हैं। अब एंदल सिंह कंसाना, केपी सिंह कक्काजू, बिसाहूलाल सिंह, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, लक्ष्मण सिंह, कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा, निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा व केदार डाबर समेत कुछ विधायकों के सामने यह मौका होगा कि वे मंत्रिमंडल में जगह बना सकेंगे। साफ है कि कमलनाथ ने मंत्रियों के इस्तीफे से यह संदेश भी दे दिया कि दोबारा मंत्रिमंडल के गठन में कुछ मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है। छुट्टी होने वाली लिस्ट में पहले नंबर पर ऐसे मंत्री होंगे, जिनकी विधायकों ने सबसे ज्यादा शिकायतें की हैं और उनकी परर्फोमेंस भी ठीक नहीं है। सियासी उठापटक यदि नाथ की रणनीति के अनुरूप आगे बढ़ती है तो मंत्रिमंडल का जल्द गठन होगा और 10 से 15 नए चेहरे शामिल हो सकते हैं। यहां बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी कुछ दिन पहले ही यह कहा था कि मंत्रिमंडल का विस्तार होना चाहिए। 


इधर भाजपा प्रदेश कार्यालय में वीडी शर्मा, भगत व पाठक के बीच चर्चा
सियासी हलचल के एक अहम किरदार भारतीय जनता पार्टी के विधायक संजय पाठक सोमवार को काफी देर तक प्रदेश भाजपा कार्यालय में मौजूद रहे। यहां उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत के साथ लंबी चर्चा की। गौरतलब है कि ऑपरेशन लोटस में पाठक का नाम भी सामने आया था। इसके बाद उनकी दो खदान बंद करने और बांधवगढ़ में उनके रिसॉर्ट को तोड़ने की कार्रवाई हुई है।


विधानसभा चुनाव से राज्यसभा चुनाव तक... ऐसे बढ़ती गई सिंधिया की नाराजगी 


विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने सिंधिया को प्रचार में मुख्य चेहरे के रूप में इस्तेमाल किया, लेकिन सीएम पद की दौड़ में वे पिछड़ गए। {पीसीसी चीफ के लिए भी उनका नाम आगे रहा, लेकिन पद नहीं मिला।  राज्यसभा के लिए भी उनके नाम पर अड़ंगे लगने लगे थे। 


इसके साथ ही...  चार इमली में बी-17 बंगला उन्होंने मांगा, लेकिन वह नकुलनाथ को आवंटित कर दिया गया।


ट्विटर पर अपने प्रोफाइल से ‘कांग्रेस’ हटा दिया, केवल जनसेवक व क्रिकेटप्रेमी लिखा।


अगस्त 2019 में सिंधिया का वीडियो भी सोशल मीडिया पर आया। जिसमें वे शायरी कर रहे थे, ‘आंधियों की जिद है, जहां बिजलियां गिराने की। हमारी भी जिद है, वहां आशियां बनाने की। उसूलों पर आंच आए तो टकराना जरूरी है। गर जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है।’


14 फरवरी 2020 को टीकमगढ़ में अतिथि विद्वानों के मामले पर बोले कि यदि वचन पत्र की मांगें पूरी नहीं हुई तो वे सड़क पर उतरेंगे। इस पर कमलनाथ ने जवाब दिया कि तो उतर जाएं। 


तीसरे मोर्चे ने भी दिखाए तेवर 
सियासी उठापटक के बीच निर्दलीय और तीसरे माेर्चे के विधायकों का कहना है इस ड्रामे में उनका रोल ही खत्म हो गया है। भले ही हम सरकार को समर्थन दें, लेकिन अगर करीब डेढ़ दर्जन विधायक ही कांग्रेस का साथ नहीं देंगे तो सरकार अपने आप खतरे में आ जाएगी। तीसरे मोर्चे के विधायक ने कहा कि जब कांग्रेस के विधायक ही टूटने की कगार पर हैं तो वे क्या करेंगे।


एटीसी में इंटेलीजेंस के अफसर तैनात 
भोपाल एयरपोर्ट के एयर ट्रैफिक कंट्रोल सेक्शन में प्रदेश की इंटेलीजेंस के अफसर तैनात कर दिए गए हैं। वे यहां से सभी गतिविधियों पर नजर रखे हैं। हर आने-जाने वाली और गुजरने वाली फ्लाइट की जानकारी ले रहे हैं।


बेंगलुरू में कमांडो की निगरानी में सिंधिया समर्थक विधायक


बेंगलुरू से 40 किलोमीटर दूर रिसाॅर्ट पाम मेडोज के साथ तीन अलग-अलग जगहों पर सिंधिया समर्थक विधायकों को ठहराया गया है। ये स्थान कर्नाटक से भाजपा विधायक अरविंद लिंबोवली के क्षेत्र में आता है। सभी कमांडों की निगरानी में हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे व सांसद रहे बीवाय राघवेंद्र व विजयन इन विधायकों को संभाल रहे हैं। इनके साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता अरविंद भदौरिया भी हैं। कर्नाटक गए विधायकों में से कुछ तिरुपति बालाजी के दर्शन करने गए। विजयन रियलिटी फर्म आदर्श डेवलपर चलाते हैं।


.. तो पता चला बगावत का दूसरा अध्याय शुरू
कमलनाथ ने सुबह 9.30 बजे रुटीन में पार्टी विधायकों को फोन लगाना शुरू किया। जैसे ही सिंधिया समर्थक विधायकों की बारी आई। एक के बाद एक फोन बंद मिले। उन्होंने जानकारी जुटाना शुरू की तो पता लगा कि दिल्ली से एक प्लेन बेंगलुरू जा रहा है, जिसमें सिंधिया समर्थक कुछ विधायक जा सकते हैं। और जानकारी निकलवाई तो मालूम हुआ कि विधायक सुबह 9 बजे ही जा चुके हैं। उन्होंने सिंधिया को फोन लगाया लेकिन बात नहीं हो पाई। यह घटनाक्रम उनके लिए अनपेक्षित था। कुछ ही देर में साफ हो गया कि बगावत का दूसरा अध्याय शुरू हो गया है। 


भाजपा सिर्फ सत्ता की भूखी : कमलनाथ
कमलनाथ ने कहा कि सौदेबाजी की राजनीति से किसी दल या प्रदेश को कोई फायदा नहीं होता। इसके उलट अहित होता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मेरा लक्ष्य था कि मप्र की नई पहचान पूरे देश और दुनिया में बने। इससे प्रदेश के लोगों, नौजवानों का हित जुड़ा है। भाजपा सिर्फ और सिर्फ सत्ता की भूखी है। उसे प्रदेश के नागरिकों और उसके विकास से कोई सरोकार नहीं है। मेरी कोशिश है कि मप्र की पहचान व्यापम, ई-टेंडर जैसे भ्रष्टाचार, कुपोषण, बच्चों की मृत्यु दर या बलात्कार से न होकर देश के विकसित राज्य के रूप में हो।


एक्सपर्ट व्यू : सदन में ही हो सकता है बहुमत का फैसला


किस पार्टी के पास बहुमत है, इसका फैसला विधानसभा के सदन में ही हो सकता है। विश्वास या अविश्वास प्रस्ताव, मनी बिल या किसी पॉलिसी मैटर पर सरकार सदन में हार जाती है, तो उसे इस्तीफा देना होगा। पार्टी व्हिप का उल्लंघन करके वोट करने वाले या स्वेच्छा से पार्टी छोड़ने वाले सदस्य की शिकायत होने पर स्पीकर उसकी सदस्यता समाप्त कर सकता है। ऐसे में अयोग्य घोषित होने के पहले वो जो वोट करेगा, वह मान्य होगा। दो तिहाई सदस्यों के एक साथ पार्टी छोड़ने पर दलबदल अधिनियम लागू नहीं होगा और उनकी विधायकी बनी रहेगी।  - सुभाष कश्यप, संविधान विशेषज्ञ