कोरोना के डर का फायदा उठाने में लगा बाजार, सरफेस सैनेटाइजर भी लॉन्च

इंदौर । कोरोना की दहशत का असर स्वास्थ्य से पहले बाजारों पर दिखने लगा है। देशभर के बाजारों की तरह इंदौर के थोक बाजार से भी ब्रांडेड सैनेटाइजर खत्म हो गया है। थोक बाजारों में अब सिर्फ अस्पतालों में उपयोग होने वाला अल्कोहल बेस सैनेटाइजर उपलब्ध है। कारोबारी आकलन कर रहे हैं कि महज तीन दिन में लोगों ने करोड़ों का सैनेटाइजर खरीद लिया। इस बीच बाजार ने बीमारी के डर का फायदा उठाते हुए सरफेस यानी विभिन्न सतहों को साफ करने वाला सैनेटाइजर भी लॉन्च कर दिया है।


दवाइयों की तमाम दुकानों से लेकर जनरल स्टोर्स पर सप्ताहभर पहले तक तमाम ब्रांड के लिक्विड हैंड सैनेटाइजर आसानी से मिल रहे थे। देश में कोरोना के मरीज मिलने की खबरें फैलने के बाद हाथ साफ रखने का प्रचार हुआ। स्वच्छता की जागरूकता का असर ऐसा हुआ कि लोग सैनेटाइजर लिक्विड खरीदने के लिए बाजार में टूट पड़े। सुपर मार्केट से लेकर थोक दवा बाजार तक में विभिन्न ब्रांड्स के हैंड सैनेटाइजर की छोटी-बड़ी सभी बोतलें खत्म हो गईं। अनुमान लगाया जा रहा है कि तीन दिन में ही करोड़ों रुपए का सैनेटाइजर बिक चुका है। दवा बाजार के कारोबारी रोहित तनेजा के मुताबिक अब बाजार में जो सैनेटाइजर बिक रहा है वह अस्पतालों में उपयोग लाया जाता रहा है। उसके थोक भाव भी करीब 50 प्रतिशत बढ़ा दिए गए हैं। ब्रांडेड सैनेटाइजर की अनुपलब्धता के कारण अब लोग अस्पताल में उपयोग आने वाला सैनेटाइजर खरीदने लगे हैं। इस बीच दो-चार कंपनियों ने फर्श, फर्नीचर जैसी सतहों को कीटाणु विहीन करने के लिए फ्लोर सैनेटाइजर भी उतार दिया है। बीमारी से बचने की खातिर लोग उसे भी खरीदने लगे हैं।


 

मांग ज्यादा, आपूर्ति कम


सैनेटाइजर तो बाजार में है लेकिन जितना आता है, उसे लोग हाथोहाथ खरीद ले जाते हैं। नतीजा ये हुआ है कि बाजार में माल दिख नहीं रहा है। कंपनियां जैसे ही सप्लाय करेंगी। माल फिर आ जाएगा।


विनय बाकलीवाल, अध्यक्ष, इंदौर केमिस्ट एसोसिएशन