जिन किसानों ने नहीं जलाई थी पराली, आंधी और बारिश से उनकी फसल को कम हुआ नुकसान, पराली दबाने से गेहूं की नाड़ हुई मजबूत, दाने भी अच्छे होंगे

जालंधर / सुपर सीडर या हैप्पी सीडर मशीनों की मदद से पराली को जलाने की बजाय जमीन में इस्तेमाल करने वाले किसानों को दोहरा लाभ हुआ है। एक तो सरकार की सख्त कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ा। दूसरा तीन दिन तक हुई बरसात से फसल भी बर्बाद नहीं हुई। यही नहीं, गेहूं का दाना भी बेहतर हुआ है। इस बात का खुलासा जिला कृषि अधिकारियों की जांच के बाद हुआ है। मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. सुरिंदर सिंह की अगुआई में डॉ. नरेश गुलाटी और अन्य अधिकारियों ने जिले के चमियारा, नाहलां, मंड और अन्य गांवों का दौरा कर बताया कि जिले में 35 सुपर सीडर मशीनों की मदद से 5250 एकड़ जमीन पर फसल बीजी गई और हैप्पी सीडर मशीनों की मदद से 67500 एकड़ जमीन पर गेहूं बीजा गया। जांच में पाया गया कि पिछले दिनों हुई तेज बारिश और तेज हवाओं के कारण इन किसानों की फसल नहीं बिछी।


पराली जलाने पर सूबे के 3 हजार से ज्यादा किसानों पर हुई थी कार्रवाई


मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. सुरिंदर सिंह ने बताया कि पराली जलाने से जहां भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती है वहीं जमीन की पकड़ भी कमजोर होती है। दूसरी तरफ अगर जमीन में ही पराली के इस्तेमाल से फसली पौधों की जड़ों की पकड़ मजबूत होती है। किसानों के अनुभव से यह भी पता चला है कि पराली नहीं जलाने वाले किसानों को कीटनाशकों और खाद का भी कम इस्तेमाल करना पड़ा है।


कीटनाशकों का भी कम किया इस्तेमाल
गांव चमियारा के सरपंच गुरमीत सिंह ने बताया कि उन्होंने सुपर सीडर मशीन का इस्तेमाल कर 150 एकड़ जमीन पर फसल बोई थी। तेज आंधी और बारिश का फसल पर असर नहीं पड़ा। गांव के एक अन्य किसान महिंदर सिंह और अजीत सिंह के अनुसार मशीनों की मदद से पराली को जमीन में ही इस्तेमाल करने से दोहरा फायदा हुआ है। जिक्रयोग है कि पराली जलाने पर पिछले साल तीन हजार से ज्यादा किसानों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी।


पीली कुंगी करती है फसल को कमजोर, फैले तो तुरंत बताएं
चीफ एग्रीकल्चर अफसर डाॅ. सुरिंदर सिंह ने कहा कि किसानाें काे गेहूं में हाेने वाली पीली कुंगी बीमारी से बचाव की भी जानकारी दी जा रही है। अादमपुर अाैर भाेगपुर में कुछ किसानाें ने पीली कुंगी बीमारी की शिकायत की है। विभाग की तरफ से किसानाें काे बताया जा रहा है कि इस बीमारी से बचाव के लिए काैन से उपाय किए जाएं। किस स्प्रे से पीली कुंगी से बचाव हाे सकता है, किसानाें काे इसकी पूरी जानकारी हाेनी जरूरी है। किसान अपनी फसलाें पर नजर रखें अाैर पीली कुंगी के लक्षण नजर अाने पर तुरंत कृषि विभाग से संपर्क करें। किसान अगर समय पर ध्यान देंगे ताे फसल काे काेई नुकसान नहीं हाेगा।