जिले के बच्चों के लिए सालभर में जारी हुआ 3169 किलो दूध पाउडर, यह कहां गया कोई हिसाब नहीं

मंदसौर / जिले में प्रावि के बच्चों के लिए एक साल में 3169 किलो दूध पाउडर जनपदों द्वारा स्कूलों में पहुंचाया गया। वहां कितने बच्चों को कब दूध पिलाया उसका कोई हिसाब जिम्मेदारों के पास नहीं है। इसी तरह जिले में 1088 समूह को 1180.47 मीट्रिक टन खाद्यान्न एवं मध्याह्न भोजन का करीब 528.17 लाख रुपए का भुगतान किया। हैरानी की बात है कि इसमें भी कितने बच्चों के लिए कितना भोजन बनाया, उसके भी कोई दस्तावेज नहीं मिले। समूह व स्कूलों के पास खाद्य पंजी, रसोइयों की उपस्थिति, कैशबुक कुछ भी नहीं है। केवल मध्याह्न भोजन प्रभारी की रिपोर्ट पर उपस्थिति के अनुसार भुगतान किया जा रहा है। यह बात कलेक्टर द्वारा बनाए गए जांच दलों की रिपोर्ट में सामने आ रही है। गड़बड़ी मिलने पर प्रशासन ने नोटिस जारी करना शुरू कर दिए हैं। अब तक करीब 50 से ज्यादा समूह को नोटिस दिए हैं। वहीं 50 फीसदी जांच दलों की रिपोर्ट आना बाकी है। कुछ माह में मध्याह्न भोजन में हो रहे भ्रष्टाचार के मामले उठाए। इनको गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर मनोज पुष्प ने जनवरी में ग्रामीण क्षेत्र में जांच के लिए 171 दल गठित किए। फरवरी में शहरी क्षेत्रों में जांच के लिए 52 दल बनाए। इन दलों द्वारा जिले के 1810 प्रावि व मावि में मध्याह्न भोजन की हर माह नियमित जांच की जाना है। जनवरी में बनाए 171 दलों में से करीब 87 ने जांच रिपोर्ट जिला पंचायत में सौंप दी है। 84 दलों की रिपोर्ट आना है। रोज 10 से 15 दल रिपोर्ट सौंप रहे हैं। अब तक 609 से ज्यादा समूह व स्कूलों की रिपोर्ट सौंप दी। इसमें से करीब 550 स्कूलों के समूहों के पास खाद्य पंजी, रसोइयों की उपस्थिति रजिस्टर, कैश बुक व लेजर बुक के दस्तावेज नहीं मिले। इसमें शासन से मिलने वाली राशि के खर्च का हिसाब रखना होता है। जो किसी के पास नहीं है। अभी केवल स्कूलांे में नियुक्त मध्याह्न भोजन प्रभारी की रिपोर्ट पर बच्चों की उपस्थिति के आधार पर समूहों को भुगतान किया जा रहा है। इसमें भ्रष्टाचार से इनकार नहीं किया जा सकता।


सवाल : दूध पाउडर बच्चों को मिला या जिम्मेदारों के घर पहुंच रहा है
शासन द्वारा जनपद व जनपद से माध्यम से प्रावि में बच्चों के लिए सांची का दूध पाउडर पहुंचाया जा रहा है। अप्रैल 2019 से अब तक स्कूलों में 3 हजार 169 किलो दूध पाउडर पहुंचाया। यहां से दूध कहां गया इसके कोई दस्तावेज समूह व स्कूलों के पास नहीं है। जांच में यह सामने आया है कि प्रावि में दूध वितरण की पंजी संधारित नहीं है। इसमें रिकाॅर्ड मेंटेन करना होता है कि किस वार को कितने बच्चों को दूध दिया। दस्तावेज नहीं होने पर अब सवाल यह उठता है कि इतना दूध पाउडर कहां गया। क्या बच्चों को मिला या जिम्मेदारों के घर पहुंच रहा है।


अब तो माताएं भी जांच के लिए नहीं आ रहीं
नियमानुसार मध्याह्न भोजन की जांच के लिए बच्चों की माताओं को स्कूल बुलाकर भोजन कराया जाता है। जांच दल गठित होने से पहले स्क्ूलों के रजिस्टर में सप्ताह में एक-दो महिलाओं के नाम लिखे होते थे। जैसे रमाबाई, श्यामाबाई ने भोजन कर निरीक्षण किया। फरवरी में हुई जांच के दौरान स्कूलों में किसी माता ने भोजन की जांच नहीं की। करीब 71 जांच दल की फरवरी की रिपोर्ट में रोस्टर अनुसार माताएं शाला में भोजन जांच के लिए नहीं हो रही आ रही है।


85% स्कूलों में समिति नहीं
नियमानुसार शालाओं में दीवारों पर स्थानीय मध्याह्न भोजन सतर्कता समिति के सदस्यों के नाम व मोबाइल नंबर लिखे होना चाहिए। 85 फीसदी स्कूलों में समितियों के पते नहीं हैं। दीवारों पर हाथ धुलाई पोस्टर, एलपीजी गैस उपयोग की सावधानी नियमों का प्रदर्शन भी नहीं किया गया है।


अब तक 609 से ज्यादा समूह व स्कूलों की जांच हुई, 550 में मिली लापरवाही


समूह व स्कूलों के पास खाद्य पंजी, रसोइयों की उपस्थिति, कैशबुक कुछ भी नहीं मिला


जिले में 1088 समूह को 1180.47 मीट्रिक टन खाद्यान्न एवं मध्याह्न भोजन का 528.17 लाख रुपए का भुगतान किया


सभी की रिपोर्ट आने के बाद करेंगे कार्रवाई


जांच दल की रिपोर्ट आती जा रही है। उसमें मिल रही कमियों के आधार पर समूह व जिम्मेदारों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं। उन्हें अगले निरीक्षण के पहले पूर्ति के निर्देश भी दिए हैं। भोजन तो सही मिल रहा है लेकिन दस्तावेज का संधारण, दूध की पंजी, माता पंजी आदि की कमी पाई गई है। सभी रिपोर्ट आने के बाद संबंधितों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। समूह की लापरवाही पर समूह को बदला जा सकता है। रिपोर्ट के आधार पर मध्याह्न भोजन व्यवस्था में तेजी से सुधार किया जाएगा।


ऋषभ गुप्ता, जिपं सीईओ, मंदसौर