इटारसी / 10 साल पहले तक रेल प्रबंधन को प्लेटफॉर्म चिल्ड्रन्स से कोई सरोकार नहीं था। लेकिन अब इटारसी जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर वन पर बाल चाइल्ड हेल्प डेस्क 24 घंटे काम कर रही है। अब इटारसी जंक्शन को बाल मित्र स्टेशन बनाने की योजना पर काम चल रहा है। यह देश-भर में मॉडल प्रोजक्ट होगा। इसके बाद होशंगाबाद रेलवे स्टेशन पर यह योजना लागू करने की कोशिश होगी। इसमें जीवोदय संस्था के साथ स्टेशन प्रबंधन, रेलवे सुरक्षा बल, मप्र शासकीय रेल पुलिस, प्रशासन और सामाजिक कार्यकर्ताओं की सहभागिता होगी। यह काम इसलिए संभव है कि जीवोदय 20 साल में घर से भागे 30 हजार बच्चों को परिवार से मिलाने और 22 हजार बच्चों के पुनर्वास करने का काम इटारसी में कर चुकी है। जीवोदय की सिस्टर क्लारा का कहना है कि दस साल पहले जब हम स्टेशन पर प्लेटफार्म चिल्ड्रन के लिए बात करने जाते थे तो यह से जवाब मिलता था कि हम इन बच्चों के प्रति स्टेशन प्रबंधन जिम्मेदार नहीं हैं। जबकि सच्चाई यह है कि जब कोई बच्चा अपना घर छोड़ता है तो उसका दूसरा ठिकाना रेलवे स्टेशन हो जाता है। तब हमने जीवोदय के जरिए प्लेटफार्म चिल्ड्रन पर काम शुरू किया। अभी 56 स्टेशन पर चाइल्ड हेल्प डेस्क खुल चुके हैं। चाइल्ड प्रोटक्शन फोर्स पर काम हो रहा है। दोस्ती कैंपेन चलाकर हर कार्यकर्ता या व्यक्ति को बाल मित्र योजना के बैज दे रहे हैं।
10 सालों में इस तरह संभाला प्लेटफॉर्म चिल्ड्रन्स को
1999 : जीवोदय की सिस्टर क्लारा ने प्लेटफार्म चिल्ड्रन के लिए इटारसी रेलवे स्टेशन आकर काम शुरू किया।
2000 : रेलवे यूनियन परिसर में डे केयर सेंटर खोला जहां ट्रेनों में झाडू लगाने वाले बच्चों को पढ़ाया जाता था।
2001 : यूके के बटरफील्ड दंपती ने जीवोदय भवन के लिए 10 हजार 500 वर्गफीट जमीन खरीदकर दी।
2007 : बेसहारा बालिकाओं के लिए चिराग गर्ल्स प्रोजेक्ट जीवोदय परिसर में खुला।
2008 : बंगलिया में दो एकड़ जमीन ब्वॉयज होम के लिए यूके के दंपती व ब्रिटिश एयरवेज के सहयोग से खरीदी।
2019 : अब तब 30 हजार बच्चों को बचाया और 22 हजार बच्चों का पुर्नवास किया।
बच्चों की सुरक्षा और देखभाल इसलिए जरूरी
भारत की एक तिहाई आबादी बच्चों की है। ऐसे बच्चे जो बेसहारा हैं। अनाथ हैं या मुश्किल हालात के शिकार हैं। उनकी देखभाल, सुरक्षा और पुनर्वास के लिए सरकार ने कानून बनाया है। घरेलू हिंसा या प्रताड़ना से तंग आकर जो बच्चे भाग जाते हैं या गुमशुदा होते हैं। एक देखभाल और सुरक्षा की जरूरत वाले बच्चे और दूसरे विधि विरूद्ध कार्य में लिप्त बच्चे होते हैं। नाबालिगों को सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश किया जाता है। फिर इन्हें इटारसी के जीवोदय और मुस्कान बालिका गृह में रखा जाता है।
इस तरह प्लेटफॉर्म चिल्ड्रन के लिए हुआ काम
जीवोदय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 1999 से अब तक इटारसी में हजारों बच्चों को सुरक्षा, पुनर्वास, शिक्षा और वोकेशनल ट्रेनिंग से जोड़ा जा चुका है। इटारसी स्टेशन पर दो माह से चाइल्ड लाइन प्रोटेक्शन की उद्घोषणा करवाई जा रही है। प्लेटफार्म पर यह बूथ 24 घंटे खुला रहता है। अब सामाजिक लोगों को भी बाल मित्र योजना से जोड़ा जा रहा है।
इटारसी स्टेशन अच्छा काम कर रहा है
ट्रेनों व स्टेशनों पर गुजर-बसर करने वाले हर बच्चे को सुरक्षा व देखभाल की जरूरत होती है। प्लेटफार्म चिल्ड्रन के लिए इटारसी में जीवाेदय के साथ वेस्ट सेंट्रल रेलवे वूमन वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन ने डे केयर चलाकर अच्छा काम किया है।
उदय बोरवणकर, भोपाल डीआरएम