हिंसा में मारे गए कई लोगों के शव उनके परिजन को अब तक नहीं मिल पाए, परिवार परेशान

नई दिल्ली / नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के इलाकों में हुई हिंसा में मारे लगाए कई लोगों के शव उनके परिजनों को अब तक नहीं मिल पाए हैं। इसके कारण वे परेशान हैं। पोस्टमार्टम में हो रही देर को पुलिस की कार्रवाई का पूरा नहीं होना बताया जा रहा है। इस बीच अस्पताल पहुंचे 42 शवों में से 26 का पोस्टमार्टम पूरा हो चुका है। इसमें से 24 जीटीबी और 2 लोकनायक अस्पताल में हुए। जीटीबी में हुए 24 में से एक की डेथ जगप्रवेश अस्पताल में हुई थी। वहीं जीटीबी अस्पताल में घायलों की तादाद 224 तक पहुंच गई है। 51 इस वक्त भी अस्पताल में भर्ती हैं। हिंसा में घायल और मृत सबसे ज्यादा जीटीबी अस्पताल पहुंचे थे। यहां 38 की मौत हुई। अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ सुनील कुमार ने बताया कि शुक्रवार को 9 डेड बॉडी का पोस्टमार्टम हुआ। अब अस्पताल में सिर्फ 15 डेडबॉडी बची हैं। इनमें से 6 की पहचान नहीं हो सकी है और 9 की पहचान कर ली गई है। पुलिस की कार्रवाई होने के साथ ही इनका पोस्टमार्टम भी कर दिया जाएगा। लोकनायक अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ किशोर सिंह ने कहा कि अस्पताल में तीन डेडबॉडी थीं, दो का पोस्टमार्टम हो गया है। एक का होना बाकी है। पोस्टमार्टम में हो रही देर की वजह से दिल्ली सरकार ने मेडिकल बोर्ड बनाने का अधिकारी जीटीबी अस्पताल को दिया। िदल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि बोर्ड बनाने का अधिकार अस्पताल के निदेशक और यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस को दिया गया है।


माहौल शांत समझकर काम पर निकला था शख्स, आधा दर्जन युवकों ने नाम पूछा, फिर पीट-पीटकर मार डाला


मुस्तफाबाद निवासी एक शख्स शुक्रवार सुबह माहौल शांत समझकर काम की तलाश में शिव विहार निकला था। लेकिन रास्ते  में आधा दर्जन युवकों ने नाम पूछकर लाठी, डं़ड़ों से पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी। मृतक की पहचान अयूब के रुप में हुई है। पुलिस ने मुकदमा दर्जकर जांच शुरु कर दी है। पुलिस के मुताबिक अय्यूब परिवार के साथ मुस्तफाबाद में रहता था। परिवार में पत्नी व 2 लड़के हैं। अय्यूब स्क्रेप का काम करता था। बेटे सलमान ने बताया कि हिंसा के बाद शुक्रवार को उसके पिता अय्यूब को लगा कि अब सब कुछ शांत हो गया है। वह स्क्रेप की तलाश में शिव विहार चला गया। शुक्रवार सुबह करीब 6 बजे आधा दर्जन युवकों ने उसे घूमते हुए देखकर उसका नाम पूछा और हमला कर दिया। आरोपी डंडों और लोहे की रॉड से उसे तब तक मारते रहे जब तक वह अधमरा नहीं हो गया। वारदात के बाद सभी आरोपी फरार हो गए।  तभी वहां से बाइक पर गुजर रहे 2 युवकों ने अय्यूब को पहचान लिया। दोनों युवक बाइक पर ही बिठाकर उसे उसके घर छोड़ गए। परिजन उसे नजदीकी निजी अस्पताल ले गए, जहां प्राथमिक उपचार देने के बाद उसे जीटीबी रेफर कर दिया।


घायलों के फोन पर पहुंच रही है फ्री एंबुलेंस
दंगा प्रभावित इलाकों में अभी बहुत पीड़ित व घायल घरों पर ही है। ये घायल अस्पतालों को कॉल कर उन्हेंं इलाज के लिए बुला रहे है। ऐसी ही फोन काॅल पर होली फैमिली अस्पताल की नर्सें व डॉक्टर एंबुलेंस लेकर चांद बाग पहुंची थी। घायलों की वह फ्री सेवा कर रही हंै। एंबुलेंस में साथ आई नर्स रेणु ने बताया कि पिछले तीन से चार दिन में 150 से अधिक ऐसी कॉल आ चुके हंै। कॉलर कहते है कि उन्हें इलाज के लिए ले जाने वाला कोई नहीं है। इस सेवा से उन्हें मदद मिल रही है।