गूजरी महल में रिसर्च स्काॅलर्स के लिए ओपन स्टडी गैलरी, ऐतिहासिक प्रतिमाएं देख सकेंगे

ग्वालियर | आप पुरातत्व से जुड़ी कोई रिसर्च करना चाहते हैं तो अब गूजरी महल म्यूजियम के विशेषज्ञ आपकी मदद करेंगे। इसके लिए ओपन स्टडी गैलरी बनाई गई है। इसमें अलग-अलग कालखंड की प्रतिमाएं रखी गई हैं। स्टूडेंट्स और रिसर्च स्कॉलर्स की मदद के लिए गाइड उपलब्ध कराए जाएंगे। एक्सपर्ट डॉ. गोविंद बाथम ने बताया कि म्यूजियम में कुल 28 गैलरी में अलग-अलग श्रेणियों में प्रतिमाओं को प्रदर्शित किया गया है। इनमें सबसे पहले मां सरस्वती, गणेश, विष्णु, सूर्य, दुर्गा महिषासुर मर्दिनी, शिव परिवार की प्रतिमाएं हैं।


शाल भंजिका


यह अद्वितीय मूर्ति विदिशा जिले के ग्यारसपुर नामक स्थान से प्राप्त हुई थी। खंडित अवस्था में भी यह मूर्ति शिल्प कला का अनुपम उदाहरण है। मुख पर विद्यमान मंद हास्य, केश सज्जा, आभूषण एवं अधोवस्त्र पर बने डिजाइन मूर्ति को विशिष्टता प्रदान करते हैं। मूर्ति का निर्माण काल 10वीं शती ई. का है। दीर्घा क्रमांक 6 एवं 7 के बीच में पवाया से प्राप्त पांचवीं शती ई. का विष्णु मंदिर का खंडित सिरदल प्रदर्शित है। वहीं गजासुर वध की मूर्ति ग्यारसपुर से प्राप्त हुई है।


एक नजर में म्यूजियम


28 कुल गैलरी


843 कुल प्रतिमाएं


कालखंड : दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 18वीं सदी तक की प्रतिमाएं 


म्यूजियम में ये गैलरी भी खास 


पेंटिंग दीर्घा मेें लघु चित्रों और पेंटिंग का प्रदर्शन किया गया है। ये लघु चित्र राजपूत, मुगल, कांगड़ा, पहाड़ी एवं ग्वालियर शैली में हैं। इन चित्रों में चंगेज खान, बाबर, हुमायूं, जहांगीर, शाहजहां, औरंगजेब, बीरवल, नूरजहां, मुमताज महल, राजा मानसिंह के दरबार एवं शिकार के दृश्य, हम्मीरदेव, रानी लक्ष्मीबाई, सिंधिया राजपरिवारों के चित्र मौजूद हैं।