एमटीएः डॉक्टरों का शोषण हो रहा है, डीएमई बोलीं: तो छोड़ दो नौकरी

ग्वालियर । जीआर मेडिकल कॉलेज के हॉल में डीएमई उल्का श्रीवास्तव, जेडी फाइनेंस भोपाल के अखिल वर्मा ने विभाग के सभी एचओडी की बैठक ली। बैठक में एमटीए अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने कहा कि डॉक्टर ओवर लोड है, कम समय में उन्हें अधिक मरीज देखने पड़ते हैं। उनकी पदोन्नती भी नियमानुसार नहीं की जा रही है। यह तो डॉक्टरों का शोषण है। इस पर डीएमई ने कहा कि काम तो सभी कर रहे हैं। मैं भी 8 घंटे से अधिक काम करती हूं तो क्या मेरा शोषण हो रहा है। यदि जिसको भी ऐसा लगता है कि शोषण हो रहा है वह नौकरी क्यों कर रहा है, छोड़ दे। बैठक में आयुष्मान मरीजों के इलाज, सीएम हेल्पलाइन और विधानसभा के जवाब प्रस्तुत करने पर चर्चा हुई। जिसमें डीएमई ने कहा कि विधानसभा के प्रश्नों के जवाब इस तरह से दें कि इससे विभाग के सामने समस्या खड़ी न हो। इसके साथ ही आयुष्मान मरीजों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाएं। अभी ग्वालियर बड़े जिलों में सबसे पीछे चल रहा है। यही हालत सीएम हेल्पलाइन की है। इसके साथ ही अस्पताल में दवाओं के बजट को लेकर भी चर्चा हुई।



बंद कमरे में की डीएमई ने जांच


असल में डीएमई उल्का श्रीवास्तव कुछ मामलों की जांच के सिलसिले में जीआर मेडिकल पहुंची थीं। उन्हें बजट, भर्ती सहित कई और जांचें करनी थीं। इसको लेकर जिनके खिलाफ जांच चल रही थी। उन्हें बंद कमरे में बुलाकर उनके बयान दर्ज किए गए। इस बीच किसी को कमरे में आने की इजाजत नहीं दी गई।


एमटीए में विरोध के स्वर


एमटीए अध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल का कहना है कि कुछ लोग डॉक्टरों की पदोन्नति में पक्षपात कर रहे हैं। जबकि नियमानुसार पदोन्नति मिलनी चाहिए। 2018 में नया नियम बना कि एसीआर में 13 नंबर होने पर पदोन्नति दी जाए। जबकि जिन डॉक्टरों को 2015 में पदोन्नति मिलनी चाहिए थी तब नियम एसीआर में 10 नंबर होने का था। लेकिन नियम बदले तो पुराने डॉक्टरों को तो उसी नियम पर मिलनी चाहिए। यदि अब नए नियम से पदोन्नति दी गई तो करीब 80 प्रतिशत डॉक्टर वंचित हो जाएंगे। यदि ऐसा होता है तो एमटीए धरना प्रदर्शन करेगी। इस पर जिन डॉक्टरों के एसीआर में 13 अंक हैं वह विरोध में आ गए। उनका कहना है कि कुछ लोग अपने काम पर ध्यान न देते हुए केवल नेतागिरी करते हैं। ऐसे में उनकी पदोन्नति क्यों रोकी जाए। नेतागिरी करने वाले पहले अपनी एसीआर ठीक करें और पदोन्नति लें।


 

बैठक में मैं मौजूद नहीं थी, उस समय मुझे वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के लिए जाना पड़ा था। बैठक में क्या हुआ नहीं पता।


डॉ. सरोज कोठारी, प्रभारी डीन