भगवान को अर्पित किए 512 अर्घ्य

ग्वालियर। दीनानाथ की बगीची में चल रहे सिद्घचक्र महामंडल विधान में भक्तों ने भगवान को 512 अर्घ्य अर्पित किए। इसके साथ ही भगवान का अभिषेक कर शांतिधारा अर्पित की।


सिद्घचक्र महामंडल विधान में विधानाचार्य पं. राकेश जैन ने भक्तों से कहा कि संसार में जानवर और मनुष्य दोनों ही प्राणी है। बस अंतर यही है कि जानवर के पास वाणी को अभिव्यक्ति करने का माध्यम नहीं है। अभिव्यक्ति की कला ईश्वर ने मनुष्यों को ही दी है। मनुष्य के पास वाणी, भाषा और अभिव्यक्ति है। इसलिए अपनी वाणी से हमेशा मीठा बोलना चाहिए। अगर मनुष्य कठोर वाणी बोलेगा तो महाभारत हो जाएगी। लेकिन बोलने से पहले हमेशा देखना चाहिए कि हमें कब, कितना, कहां , कैसे, किससे बोलना है। मनुष्य की वाणी में लचीलापन होना आवश्यक है। मानव की भावना और भाषा से जीवन बदल सकता है। इस अवसर पर मूलचंद्र जैन, अजय जैन, पप्पी जैन, राजेश जैन, राकेश जैन डिम्पल जैन, अजय जैन, आदि ने भगवान के चरणों में अर्घ्य अर्पित किए।