कोरबा । धान खरीदी समापन के पखवाड़े भर के भीतर 42 में से 23 उपार्जन केंद्र से मिलर्स ने धान का पूरा उठाव कर लिया है। 19 उपार्जन केंद्र में 2771 क्विंटल धान शेष रह गया है। पहली बार जिले में इतनी तेजी से धान उठाव कभी नहीं हुआ था। दरअसल, छुरी, पाली और उरगा में चावल भंडारण के तीन नए गोदामों के अस्तित्व में आने से 78000 क्विंटल भंडारण क्षमता बढ़ गई है। जिले में खरीदे गए धान की पूर्ण मिलिंग करने के बाद भी गोदाम में जगह शेष बच जाएंगे। ऐसे में दीगर जिले के धान मिलिंग की मांग और डीओ कटवाने के लिए मिलर्स सरकारी अपᆬसरों के कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। धान खरीदी समापन के बाद पूर्ण उठाव को लेकर अपᆬसर निश्चिंत हो गए हैं। एक समय था जब उठाव पूरा कराने के लिए लिए सरकारी दफ्तर के अधिकारियों को एड़ी चोटी एक करनी पड़ती थी। अब इस तरह की स्थिति से उन्हें निजात मिल गई है। वजह यह है कि पाली, छुरी और उरगा में धान भंडारण के नए गोदाम बन गए हैं। इसके पहले जिले में 82 हजार क्विंटल क्षमता के ही गोदाम थे। ऐसे में जितनी धान खरीदी होती थी, उसके मिलिंग चावल का भर पाना मुश्किल होता था। खरीपᆬ वर्ष 2019-20 में नौ लाख 88 हजार क्विंटल धान की खरीदी हुई है, जिसकी मिलिंग के बाद भी गोदाम में भंडारण लगातार जारी है। धान के पूर्ण उठाव के बाद भी चावल रखने के लिए जगह बच जाएगी। ऐसे में मिलर्स दूसरे जिले के धान को मिलिंग करने में उत्साहित हैं। गोदाम के अस्तित्व में आने का उन्हें लाभ मिलेगा। इसके पहले दूसरे जिले से धान लाकर चावल को बिलासपुर वेयर हाउस गोदाम में भंडारण के लिए भेजना पड़ता था। ऐसे में सीमित मिलर्स ही दूसरे जिले में धान बेचने का रिस्क उठाते थे। अब जबकि दूसरे जिले से धान लाकर चावल यही भंडारण करना है, ऐसे में मिलर्स में धान उठाव को लेकर प्रतिस्पर्धा अभी से बनी हुई है। दूसरे जिले के धान उठाव के लिए प्रशासनिक अनुमति से ही संभव है। ऐसे मिलर्स निकटवर्ती जिले से डीओ जारी करवाने के लिए अपᆬसरों के मान मनौव्वल में लग गए हैं।
धान के अवैध परिवहन के बाद प्रशासनिक धरपकड़ होने का भी असर उठाव में देखा जा रहा है। बीते वर्षों तक मिलर्स उन दुकान संचालकों के धान को मिलिंग करते थे जो चिल्हर खरीदी करते थे। अवैध परिवहन की जब्ती का मामला बनने के कारण मिलिंग के लिए मिलर्स के पास अतिरिक्त धान नहीं है। ऐसे में अधिकांश मिलर्स सरकारी धान पर ही निर्भर हैं। जिल में धान जब्ती के 86 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। इनमें 62 प्रकरणों को सुलझा लिया गया है। शेष प्रकरणों पर प्रक्रिया जारी है। अधिकारियों की मानें तो पकड़े गए धान में किसानों के कम व्यवसायियों के धान अधिक हैं।
19 उपार्जन केंद्रों में 2717 क्विंटल धान शेष रह गए हैं। लगातार जारी उठाव से माना जा रहा है कि सोमवार तक पूरा धान उठा लिया जाएगा। जिन केंद्रों में उठाव शेष हैं उनमें सबसे अधिक उतरदा में 512 क्विंटल धान शेष है। खरीदी के अंतिम दिन इसी केंद्र में सबसे अधिक टोकन कटे थे। जिन केंद्रों में धान शेष हैं उनमें कोरकोमा में 120 क्विंटल, पाली 481, बरपाली 181, सुखरीकला 107 और हरदीबाजार में 400 क्विंटल शेष है। जहां पूरा उठाव हो चुका है उनमें कोथारी, सिरमिना, पᆬारसवानी, कटघोरा, करतला, कोरबी आदि केंद्र शामिल है।
बोनस राशि का बेसब्री से इंतजार
किसानों को अब बोनस राशि का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। जिले में 27046 किसानों ने पंजीयन कराया था। धान खरीदी के अंतिम दिन तक 23832 किसानों ने धान बिक्री किया है। नौ लाख 88 हजार क्विंटल धान के एवज में 2500 रुपये क्विंटल से भुगतान किया गया तो जिले में 37 करोड़ का भार पड़ेगा। बजट में हुई घोषणा के बाद किसानों में उत्साह देखा जा रहा है। राशि कब तक भुगतान हो जाएगी, इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं है।