सुरक्षा सलाहकार के हवाले होगी प्रदेश की कानून-व्यवस्था

सुरक्षा सलाहकार के हवाले होगी प्रदेश की कानून-व्यवस्था



भोपाल  / पश्चिम बंगाल के बाद मध्यप्रदेश दूसरा राज्य होगा, जहां एनएसए की तैनाती की जाएगी। प्रदेश की कमलनाथ सरकार अब प्रदेश में केंद्र के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की तर्ज पर सिक्योरिटी एडवाइजर की नियुक्ति करने की तैयारी कर रही है। इसका जिम्मा किसी रिटायर्ड आईपीएस अफसर को दिया जाना तय माना जा रहा है। वह सीधे मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करेगा। साथ ही सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर एनएसए से समन्वय का भी काम करेगा। बताया जा रहा है इस सिलसिले में मुख्यमंत्री को प्रेजेंटेशन दिया जा चुका है। उन्हें बताया गया कि पश्चिम बंगाल में सुरक्षा सलाहकार की व्यवस्था लागू है। वहां एमपी कैडर की आईपीएस रीना मित्रा यह जिम्मा संभाल रही थी। वो 31 जनवरी को रिटायर हो गई हैं। पश्चिम बंगाल में एसएसए को प्रमुख सचिव, मुख्यमंत्री समन्वय के बराबर ओहदा दिया गया है। सुरक्षा से जुड़े मामलों में उसका सीधा दखल होता है। वो पुलिस मुखिया और कानून व्यवस्था का पालन कराने वाली एजेंसियों के चीफ के साथ नियमित तौर पर बैठक करता है।
तीन साल का होगा कार्यकाल
सुरक्षा सलाहकार का कार्यकाल तीन साल का रखा जा सकता है। एक्सटेंशन का प्रावधान भी किया जा सकता है। एसएसए को किसी भी जांच एजेंसी से सीधे रिपोर्ट लेने का अधिकार होगा। सर्वोच्च पद पर बैठे अधिकारियों के बराबर उसे वेतन-भत्तों का भुगतान किया जाएगा।
सरकार के प्रस्ताव का विरोध
सुरक्षा सलाहकार का प्रस्ताव बनते ही आईएएस लॉबी सक्रिय हो गई है। रिटायर्ड आईपीएस को इसका जिम्मा सौंपने पर नाखुशी जताई है। तर्क दिया जा रहा है कि आंतरिक सुरक्षा केंद्र से जुड़ा मामला है।
यह होता है जिम्मा
सुरक्षा सलाहकार का काम देश या प्रदेश में सरकार को कानून-व्यवस्था से जुड़ी महत्वपूर्ण राय देने का होता है। अभी देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल हैं। उनकी अगुवाई में सरकार ने पाकिस्तान को दो बार उसकी जमीन पर घुसकर सबक सिखाया है। बता दें कि सुरक्षा सलाहकार का पद हर देश में होता है।



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