फर्जी मुख्तारनामे से बेचे थे 1556 प्लॉट

फर्जी मुख्तारनामे से बेचे थे 1556 प्लॉट


मकान भी बन गए; अब जांच के लिए बनेगी एसआईटी


भोपाल / एयरपोर्ट रोड स्थित तिलक हाउसिंग सोसायटी में फर्जी मुख्तारनामे से हथियाई 93.5 एकड़ जमीन पर कटे प्लॉट भी जांच की जद में हैं। तिलक गृह निर्माण सहकारी संस्था बनाकर 1556 प्लॉट काटकर बेच दिए गए। इनमें से ज्यादातर पर मकान बन गए हैं। पुलिस अब इनकी रजिस्ट्री व अन्य दस्तावेजों की जांच करेगी। पुलिस का मानना है कि उक्त जमीन कानूनी तौर पर कभी शरीफ खान की रही ही नहीं, इसलिए उसे प्लॉट काटकर बेचने का अधिकार नहीं है।



एएसपी मनु व्यास ने बताया कि एफआईआर होने के बाद से ही उक्त जमीन पर बने मकान और प्लॉट जांच की जद में आ गए हैं। इस आपराधिक कृत्य में प्लॉट मालिकों की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है, लेकिन आगे की प्रक्रिया कानूनी रूप से ही तय होगी। इस मामले में रिमांड पर चल रहे शरीफ खान, कर्नल भूपेंद्र सिंह और रंजीत सिंह से दस्तावेज तलब किए जा रहे हैं। कोहेफिजा पुलिस ने शुक्रवार को 14 आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया था। इनमें पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।


बड़ा सवाल... रजिस्ट्री, बिल्डिंग परमिशन और बैंक लोन कैसे हुए?


सवाल : रहवासियों की चिंता: मालिकाना हक तो नहीं छिनेगा?


जवाब : तिलक हाउसिंग सोसायटी में प्लॉट लेकर मकान बनाने वालों के मन में तमाम तरह की शंकाएं और सवाल उठ रहे हैं। दैनिक भास्कर ने इन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए विशेषज्ञों की राय ली।


सवाल : हमने प्लॉट खरीदने के बाद रजिस्ट्री और नक्शा पास करवा कर मकान बनवाया है। हमारा मालिकाना हक तो नहीं छिनेगा?
जवाब : जमीन पर पहला अधिकार मूल मालिक का होता है। मामला विवेचना में है,फैसला कोर्ट से होगा।


सवाल : मैंने प्लॉट खरीद कर रजिस्ट्री कराई है। क्या पुलिस मुझे आरोपी बनाएगी?
जवाब : नहीं, लेकिन आपको गवाह बनाया जा सकता है।


सवाल : मैंने मकान बेचने के लिए बयाना ले लिया है। मैं प्राॅपर्टी बेच सकता हूं या नहीं?
जवाब : फिलहाल मामला जांच में है, प्रशासन जल्द ही खरीदी - बिक्री पर रोक लगा सकता है।


सवाल : मैंने बिल्डिंग परमिशन के लिए आवेदन दिया है। मुझे अनुमति मिलेगी या नहीं?
जवाब : फिलहाल ऐसी कोई रोक नहीं लगी है। लेकिन निगम प्रशासन .यह रोक लगा सकता है।


सवाल : नया मकान बनाने के लिए अब बैंक लोन देगा या नहीं ?
जवाब : जमीन का टाइटल विवादित हो गया है। बैंक अब लोन देने से इनकार कर सकता है।


कैसे मिली अनुमति...
बड़ा सवाल यह है कि कॉलोनी डेवलपमेंट की अनुमति कैसे मिली? रजिस्ट्री, बिल्डिंग परमिशन और बैंक लोन कैसे हो गए। जानकार बताते हैं कि तीस साल पहले फर्जी मुख्तारनामे के आधार पर जमीन का टाइटल बदला गया। इसके आधार पर ही जमीन की रजिस्ट्री हो गई।


आज गठित होगी एसआईटी
जांच के लिए रविवार को एसआईटी गठित हो सकती है। इसके लिए कलेक्टर आदेश करेंगे। इसमें टीआई कोहेफिजा, सीएसपी शाहजहांनाबाद और उनके अन्य स्टाफ के साथ राजस्व और कोऑपरेटिव सोसायटी के अफसर भी शामिल किए जाएंगे।


सिविल कोर्ट ... देगी दखल



  •  इस मामले में अब सिविल कोर्ट दखल देगी। मुख्तारनामे की जांच यहीं से होगी।

  •  यदि जांच में गड़बड़ी साबित होती है तो आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू होगी।

  •   पहला हक जमीन मालिक का होगा, प्लॉट मालिकों को नहीं।


तत्कालीन अध्यक्ष बोले- छूट गए 16 लोगों को दिए जाएंगे प्लॉट


मन्नीपुरम हाउसिंग सोसायटी के 16 सदस्यों को प्लॉट दिए जाएंगे। शनिवार को विशेष जन सुनवाई में समिति के तत्कालीन अध्यक्ष केएल साहू ने अपर कलेक्टर सतीश कुमार एस के सामने इस पर सहमति दी। सोसायटी में खाली पड़े 19 प्लॉटों की जमीन वापस ली जाएगी। अपर कलेक्टर ने सहकारिता विभाग के उपायुक्त छविकांत वाघमारे को कार्रवाई करने को कहा है। महेंद्र गोता और प्रकाश खंडेलवाल ने शिकायत दर्ज कराई कि मन्नीपुरम में 1982 की सदस्यता होने के बाद भी प्लॉट नहीं मिला है। साहू ने स्वीकारा कि 16 सदस्य ऐसे हैं, जिनको प्लॉट आवंटित नहीं हो पाए हैं, इनके दस्तावेजों की जांच कर प्लॉट दे दिए जाएंगे।