न पेशी न पैरवी और हो जाता है फैसला

न पेशी न पैरवी और हो जाता है फैसला



भोपाल । आधुनिक भौतिक युग में भले ही लोग देवीय शक्ति पर भरोसा कम करें, लेकिन यह सच है कि भगवान की अदालत में न्याय जरूर होता है। इसका उदाहरण है गिरगांव का महादेव मंदिर। इस मंदिर में न तो पेशी होती है और न ही पैरवी की जरुरत होती है बस जरुरत होती है फरियाद की। मंदिर में बस, अर्जी लगाए और आठ दिन में भोले शंकर का फैसला आ जाएगा। यह मंदिर ग्वालियर के महाराजपुर क्षेत्र के समीप भिंड रोड से 2 किलोमीटर अंदर गिरगांव में स्थित है। यह मंदिर काफी प्राचीन है। इसे मुगलकाल के दौरान अकबर के राज के दौरान स्थापित किया गया था। इस मंदिर की अनोखी मान्यता के चलते ही निजी, पारिवारिक, अपहरण, फिरौती और चोरी जैसे कई मामलों में फरियादी इंसाफ मांगने पहुंचते हैं। माना जाता है कि मंदिर में संदेही के झूठी कसम खाने पर उसे परिणाम भोगना पड़ता है।
महिलाओं को है कसम से मुक्ति
मंदिर में पंच सभी पक्षों को महादेव की कसम दिलाते हैं। कोई झूठी कसम खा भी ले तो मामले की संगीनता के आधार पर अधिकतम आठ दिनों का समय दिया जाता है। आठ दिनों में किसी भी तरह की अनहोनी और दुर्घटनाओं के आधार पर संदेही को दोषी माना जाता है। अनहोनी न घटने पर वह निर्दोष साबित होता है। ज्यादातर मामलों में आरोपी पक्ष कसम खाने के बजाय गुनाह कबूल कर लेता है। यहां बस महिलाओं से कसम नहीं खिलाई जाती।