क्या करें क्या न करे पुलिस:महाकाल मंदिर में प्रवेश से रोका तो,BJP सांसद ने पुलिसकर्मियों से गाली गलौज
उज्जैन / कहा जाता है कि; "पुलिसवालों के अपने अलग फसाने है,तीर भी चलाना है और परिंदे भी बचाने है।
यह पंक्तियां हर पुलिसवाले के जीवन मे चरितार्थ होती है। ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के उज्जैन में देखने को मिला। क्योंकि मतदान के बाद भाजपा और पुलिस के बीच तालमेल गड़बड़ता नजर आया। पहले हेलिपेड पर भाजपा के जिलाध्यक्ष श्याम बंसल और पुलिस अधिकारी के बीच गरमागरमी हुई। बाद में महाकाल मंदिर में प्रवचन हॉल की ओर से प्रवेश के दौरान तैनात पुलिस जवानों ने सांसद चिंतामणि मालवीय सहित अन्य नेताओं को रोक दिया। पुलिसकर्मियों द्वारा रोके जाने से सांसद अपना आपा खो बैठे सांसद चिंतामणि मालवीय इतने क्रोधित हुए की। इस दौरान गाली-गलौज भी कर बैठे। इस दौरान एसपी सचिन अतुलकर भी मौके पर पहुँच गए जहाँ सांसद उन्हें तख्त अंदाज में पुलिसकर्मियों को समझाने के निर्देश देते नजर आए।
विचारणीय बिंदु
-अगर मुख्यमंत्री की सुरक्षा में सेंध लगती है तो उसका जिम्मेवार कौन होगा।
-अगर खुदा-ख़ास्त कोई अप्रिय घटना घटती है। तो क्या पुलिसकर्मियों को दोष देना उचित है।
-क्या पुलिसकर्मियों के मान सम्मान नही होता।
-नेताओं की ऐसी दबंगई के कारण अगर कोई घटना घट जाती है। तो पूरा दोष सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों पर मढ़ दिया जाता है। सुरक्षा व्यवस्था बिगाड़ने वाले इन दबंगों पर लगाम कब लगेगी।
-आज सोचने योग्य बात है कि क्या पुलिसकर्मियों के मानवाधिकार नही होते।