दतिया ज़िले में पहली बार किया गया थ्रोमबोलाईज़ेसन पद्धति से दिल के दौरे का इलाज , मरीज़ क़ी हालत स्थिर

दतिया ज़िले में पहली बार किया गया थ्रोमबोलाईज़ेसन पद्धति से दिल के दौरे का इलाज , मरीज़ क़ी हालत स्थिर



दतिया / मेडिकल कोलेज के दतिया में खुलने के बाद नई नई चीजें , और नए नए इलाज मिलना शुरू हो गए हैं , ऐसा ही एक क़िस्सा दिनांक 08 फ़रवरी को हुआ जब एक मरीज़ मोहन सिंह पुत्र अतर सिंह ,उम्र 55 वर्ष ,निवासी बदोना दतिया 
मेडिसिन विभाग के आइ सी यू में सीने के दर्द के साथ उपस्थित हुआ , जब उसका ईसीजी किया तो पता चला कि उसको इन्फ़िरीअर वॉल एमआइ( दिल के दौरे कई प्रकार के होते है जैसे ऐंटिरीअर , अँटेरोसेप्टल , इक्स्टेन्सिव ऐंटिरीअर , इन्फ़िरीअर)  है , तब पूरा मेडिसिन विभाग हरकत में आया , और आवश्यक दवा और उपकरण की व्यवस्था कर उस मरीज़ का स्ट्रेपटोकायनेस नामक दवा से उसके दिल की धमनी के थक्के को खोलने की कोशिश की गयी ,यह दवा १ घंटे तक बॉटल के द्वारा नस के माध्यम से दी जाती है , और हर १० मिनट में मरीज़ का ईसीजी किया जाता है , और दिल की हरकत का पता लगाया जाता रहता है । अगर मरीज को दवा से रेस्पॉन्स होता है तो ईसीजी क़ी ख़राबी सही होती दिखती है ,और उसका दर्द भी चला जाता है । 
हालाँकि इस थेरपी के कई नुक़सान भी सम्भव है जैसे , दिल का अनियंत्रित होना , दिल का रुक जाना , दिमाग़ या शरीर के किसी भाग से ख़ून का बहना इत्यादि । परंतु विभागाध्यक्ष डॉ शैलेंद्र मझवार के कुशल नेतृत्व में डॉ आशीष कुमार शर्मा , डॉ प्रवीण कुमार टेगोर , और डॉ हेमंत कुमार जैन ने मरीज़ को लगातार 48 घंटे तक अपनी निगरानी में रख कर उसे ख़तरे से बाहर निकाल लिया है । इस कार्य में , जूनियर रेज़िडेंट डॉ राहुल शर्मा , डॉ जैनव खान , डॉ अनुपम , डॉ धर्मेश का कार्य एवं सहयोग तारीफ़ योग्य रहा । ड़ीन डॉ राजेश ग़ौर ने विभागाध्यक्ष डॉ शैलेंद्र मझवार एवं समस्त विभाग की भूरि २ प्रशंसा कर आगे भी मानवतावादी कार्य करने क़ी उम्मीद जताई है ।