दक्षिण बस्तर के बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा जिले का सूखा मिटेगा

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इंद्रावती नदी पर बड़ा सिंचाई प्रोजेक्ट पूरा करने की तैयारी


रायपुर / राज्य सरकार आगामी बजट में बस्तर में सिंचाई क्षमता बढ़ाने पर काम कर रही है। सरकार यहां पर इंद्रावती और शबरी नदी पर प्रस्तावित योजनाओं को पूरा कर सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले के लोगों को पानी की किल्लत से निजात दिलाएगी। इसके अलावा प्रदेश में सिकलसेल इंस्टीट्यूट की भी स्थापना की जाएगी।



उल्लेखनीय है इंद्रावती नदी के जलप्रबंधन के लिए बोधघाट परियोजना बरसों से स्वीकृत है लेकिन अभी तक योजना पूरी नहीं हो पाई है। लेकिन बस्तर के लोगों की मांग के बाद सरकार इस दिशा में पहल करने जा रही है। वह इंद्रावती नदी के सबसे बड़े प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए बजट में प्रावधान करने जा रही है। वैसे भी भूपेश सरकार जलप्रबंधन की दिशा में नरवा योजना पर काम कर रही है। इसलिए इस लिहाज ये सरकार के लिए यह काफी महत्वपूर्ण योजना होगी। क्योंकि दोनों राज्यों के बीच 1975 और 1979 में इंद्रावती जल बंटवारा में दोनों राज्यों के प्रस्तावित परियोजनाओं को हरी झंडी मिली थी।


ओडिशा ने समय रहते इंद्रावती नदी पर कई परियोजनाएं तैयार कर ली है लेकिन उसी तर्ज पर छग को भी अपने क्षेत्र में 233 किलोमीटर लंबी पर अपनी लंबित परियोजनाओं को पूरा करना कर लेना था। अधूरी परियाेजनाओं के कारण ही इस पूरे क्षेत्र में जलसंकट की समस्या पैदा हो रही है। बताया गया है कि बस्तर की इंद्रावती और शबरी नदी के जलग्रहण क्षेत्र को देखते हुए इसके उप कछार में करीब 874 योजनाएं प्रस्तावित की गई थी। जिसमें बड़े पैमाने पर तालाब, डैम और डायवर्सन स्कीम बनाई जानी थी। लेकिन पिछले 47 वर्षों में सिर्फ 203 योजनाएं ही पूरी हो सकी हैं, जिसमें एक कोसारटेडा मध्यम सिंचाई परियोजना भी है। जिससे 11120 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जानी है। इस परियोजना के पूरा हाे जाने पर आसपास की लगभग 500 से अधिक गांवों को पानी की किल्लत से निजात मिल जाएगी।


पीएम आवास और सड़कों पर फोकस
इस बजट में सरकार ग्रामीण सड़कों के साथ ही गांवों में पीएम आवास योजना पर भी फोकस कर रही है। नए बजट में करीब 5 हजार से अधिक आवास बनाए जाएंगे। वह नई योजना के बहाने गांव, गरीब आैर आमजनता तक अपनी पहुंच स्थापित करने की तैयारी में है।


विवादित जमीनों का सैटलमेंट भी
बजट में प्रदेश में सरकारी उपयोग की सभी विवादित जमीनों के निपटारे के लिए सरकार नई सेटलमेंट स्कीम लेकर आने वाली है। इसके तहत सरकार ऐसे चिन्हांकित जमीन पर कई प्रोजेक्ट शुरु करने की प्लानिंग में है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के हजारों हेक्टेयर जमीन कब्जे में है।


सिकलसेल पर शोध यहीं पर
बजट में इस बार प्रदेश में सिकलसेल इंस्टीटयूट रिसर्च सेंटर भी शुरु करने योजना है। इसके तहत इस अानुवंशिक रोग के बारे में यहीं पर ही रिसर्च किया जा सकेगा। सरकार के सामने सिकलसेल सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि प्रदेश की लगभग 10 फीसदी आबादी इस बीमारी की चपेट में है। बीमारी लाइलाज है, इसलिए सरकार ने इस बीमारी के उपचार और रिसर्च के लिए प्लानिंग की है।


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