बिजली अफसरों की बढ़ेगी मुश्किलें
सरकार करा रही है परफॉर्मेंस ऑडिट
भोपाल / सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी घाटे में जा रहीं प्रदेश की बिजली कंपनियों पर अब सरकार की नजर लग गई है। यही वजह है कि अब सरकार ने घाटा कम करने के लिए अब अफसरों का परफॉर्मेंस ऑडिट कराना तय कर लिया है। इसके आधार पर तीनों बिजली कंपनी परिक्षेत्र में अफसरों की जवाबदेही तय की जाएगी। जहां वसूली बेहतर होगी, वहां अफसरों को प्रोत्साहित किया जाएगा जबकि जहां पर वूसली की स्थिति खराब होगी वहां पर अफसरों पर कार्रवाही की जाएगी। यही नहीं इस मामले में बेहद खराब हालात वाले माने जाने वाले ग्वालियर-चंबल जोन को लेकर विशेष रणनीति तैयार की जा रही है, क्योंकि इस इलाके में सबसे ज्यादा बिजली चोरी होती है। प्रदेश में बिजली कंपनियों के हालात यह हैं कि आमदनी और खर्च के बीच का औसत अंतर चार हजार करोड़ का है। यही वजह है कि अब बिजली चोरी रोकने और राजस्व वसूली पर पूरा प्रयास किया जा रहा है। तीनों बिजली कंपनियों को वसूली लक्ष्य पूरा करने के लिए कहा गया है। मौजूदा वित्तीय सत्र समाप्त होने में दो महीने बचे हैं, इस कारण फील्ड निरीक्षण बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। हर इलाके के साथ ही तीनों कंपनियों ने अफसरों के कामकाज का रिव्यू भी करना तय किया है। इसके बाद वसूली डाटा का राज्य मुख्यालय स्तर पर परीक्षण किया जाएगा।
फ्रांस की कंपनी करेगी उपाय
बिजली के घाटे को कम करने के लिए फ्रांस सरकार की कंपनी से मध्यप्रदेश सरकार ने एमओयू किया है। कंपनी ने तीनों कंपनियों पर एक अथॉरिटी गठित करने का प्रस्ताव दिया था। पावर मैनेजमेंट कंपनी के अपग्रेड स्वरूप में यह अथॉरिटी गठित होना है, लेकिन अभी क्रियान्वयन शुरू नहीं हुआ है।
हर माह 200 करोड़ की चोरी
प्रदेश में बिजली खपत के हिसाब से औसत 200 करोड़ रुपए महीने की बिजली चोरी हो रही है। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में सेना की मदद लेने के बावजूद चोरी पर लगाम नहीं लग पाई है। लाइनलॉस भी बिजली कंपनियों की आर्थिक सेहत खराब कर रहा है।