भगवान महाकाल के 9 दिन तक 9 रूपों में होंगे दर्शन

भगवान महाकाल के 9 दिन तक 9 रूपों में होंगे दर्शन





उज्जैन / ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में 13 फरवरी से शिवनवरात्रि उत्सव मनाया जाएगा। भक्तों को नौ दिन तक संध्या आरती में दूल्हा बने राजा महाकाल के नौ अलग-अलग रूपों के दर्शन होंगे। मंदिर के गर्भगृह में प्रतिदिन सुबह 9.30 से दोपहर 1 बजे तक विशेष अनुष्ठान होगा। 21 फरवरी को महाशिवरात्रि पर रातभर महापूजा होगी। 22 फरवरी को तड़के 4 बजे भगवान के शीश सवा मन फूल व फलों से बना मुकुट (सेहरा) सजाया जाएगा।


मंदिर प्रशासक सुजानसिंह रावत ने बताया कि 13 फरवरी को शिवनवरात्रि का शुभारंभ होगा। पहले दिन भगवान महाकाल को सोला व दुपट्टा और जलाधरी पर मेखला धारण कराई जाएगी। चांदी के मुकुट व मुंडमाला से आकर्षक श्रंगार कर शीश पर चांदी का छत्र सजाया जाएगा।


14 फरवरी को भगवान शेषनाग, 15 फरवरी को घटाटोप, 16 फरवरी को छबीना, 17 फरवरी को होलकर, 18 फरवरी को मनमहेश, 19 फरवरी को उमा महेश तथा 20 फरवरी को शिव तांडव रूप में भगवान महाकाल के दर्शन होंगे। 21 फरवरी को दिनभर भगवान के शीश जलधारा प्रवाहित की जाएगी। 22 फरवरी को तड़के 4 बजे से सुबह 10 बजे तक भगवान के सप्तधान रूप में सेहरा दर्शन होंगे।


25 फरवरी को पंच मुखारविंद दर्शन


मंदिर की परंपरा अनुसार महाशिवरात्रि के बाद चंद्र दर्शन की दूज पर भगवान महाकाल के पंच मुखारविंद रूप में दर्शन होंगे। साल में एक बार होने वाले इस रूप में दर्शन में भक्तों को एक साथ भगवान के पांच रूप में दर्शन होते हैं।


11 ब्राह्मण प्रतिदिन करेंगे एकादश-एकादशिनी रुद्राभिषेक


शिवनवरात्रि में प्रतिदिन सुबह 9.30 से दोपहर 1 बजे तक 11 ब्राह्मण भगवान महाकाल के पूजन अभिषेक के बाद एकादश-एकादशिनी रूद्राभिषेक करेंगे। पश्चात भोग आरती होगी। प्रतिदिन शाम 5 बजे होने वाली संध्या पूजा शिव नवरात्रि में दोपहर 3 बजे होगी।