राजभवन की पहल पर राजीव गांधी प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) ने कुछ दिन पहले इस साॅफ्टवेयर पर काम शुरू कर दिया है। इंटीग्रेटेड यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम (आईयूएमएस) नामक इस सॉफ्टवेयर को तैयार किया जा रहा है। आरजीपीवी का दावा है कि यह साॅफ्टवेयर शुरूआत में हो सकता है कि दस लाख रुपए कीमत का हो, लेकिन आने वाले समय में इसकी कीमत न के बराबर रह जाएगी। सॉफ्टवेयर खरीदने वाला विवि चाहेगा तो विद्यार्थियों को हर सर्विस के लिए देने वाली शुल्क से पूरी तरह मुक्ति मिल जाएगी, जबकि अभी यूनिवर्सिटी में प्रवेश फार्म, रोल नंबर, एनरॉलमेंट से लेकर डिग्री प्राप्त करने तक दर्जनों काम के लिए बार-बार औसतन 20 से 25 रुपए चुकाने पड़ते हैं। अभी विवि निजी कंपनियों से सॉफ्टवेयर खरीदकर खुद देने के बजाय विद्यार्थी पर डाल देते हैं। यदि अकेले आरजीपीवी की बात करें तो करीब तीन लाख विद्यार्थी यहां रजिस्टर्ड हैं। यदि एक विद्यार्थी ने 100 रुपए भी दिए तो इस हिसाब से एक साल में ही तीन करोड़ रुपए से अधिक कंपनियां कमाकर चली जाती हैं। मप्र में ऐसे करीब 40 विवि हैं, जो निजी कंपनियों के महंगे सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करते हैं। हर साल करोड़ों रुपए का टेंडर इनका होता है। इसी बेतहाशा खर्च को रोकने के लिए आरजीपीवी अपना साॅफ्टवेयर बना रही है। इसके लिए आरजीपीवी 12 विद्यार्थियों का चयन करने वाला है। मार्च 2020 तक इस साॅफ्टवेयर काे पूरा करने का लक्ष्य है। अब तक पांच विवि इस साॅफ्टवेयर के लिए आरजीपीवी से एमओयू भी कर चुके हैं।
क्लाउड भी इस्तेमाल
सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करने के लिए मेप आईटी से बात चल रही है। बताया जाता है कि मेप आईटी ‘क्लाउड’ कम खर्च में आरजीपीवी को देने को तैयार है। दूसरी तरफ समय के साथ इस सॉफ्टवेयर की कीमत भी कम होती जाएगी। बड़ी बात यह है कि विवि एक्ट 1973 के अनुसार सभी विवि में एक तरह का कोर्स, नियम और योजनाएं हैं। ऐसे में साॅफ्टवेयर को अलग तरह से बदलने की जरूरत नहीं होगी, इससे भी भार कम होगा।
विद्यार्थियों को भी लाभ
आईयूएमएस सॉफ्टवेयर से आरजीपीवी समेत दूसरी यूनिवर्सिटी पर आर्थिक भार तो कम होगा, साथ ही आरजीपीवी में पढ़ाने वाले शिक्षकों और विद्यार्थियों को भी आर्थिक लाभ होगा। अर्न बाय लर्न योजना के तहत विवि में पढ़ाने वाले शिक्षक और यहां अध्ययनरत विद्यार्थी इस प्रोजेक्ट पर काम कर सकेंगे। बदले में इन्हें 100 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से भुगतान भी किया जाएगा। इससे विद्यार्थियों को कोर्स पूरा करने के पहले ही इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग भी मिल जाएगी।
विवि के खर्च में कमी आएगी
आईयूएमएस सॉफ्टवेयर को इस तरह डेवलप कर रहे हैं कि यह सभी काम करे। विवि के विद्यार्थी कोर्स के साथ प्रैक्टिकल नॉलेज ले सकेंगे और सॉफ्टवेयर पर काम करने से आय भी होगी। समय के साथ इस सॉफ्टवेयर की कीमत न के बराबर हो जाएगी। अभी लाखों रुपए के सॉफ्टवेयर विवि को खरीदने पड़ते हैं। - सुनील कुमार गुप्ता, कुलपति, आरजीपीवी
इस तरह के कदम उठाए जाने की जरूरत
आरजीपीवी द्वारा डेवलप किए जा रहे सॉफ्टवेयर से विवि और विद्यार्थियों को फायदा होगा। विवि ने इस पर काम शुरू कर दिया है। आरजीपीवी के विद्यार्थी पढ़ाए हुए सिलेबस के प्रैक्टिकल कर बाहर निकलेंगे। इससे उन्हें नौकरी मिलने में आसानी होगी। - प्रो. संजय अग्रवाल, विशेषज्ञ, परिणाम आधारित शिक्षा, एनआईटीटीटीआर