, छात्राओं को सेंचुरी की कराई सैर
ओरछा / वन एवं वन्य प्राणी सेंचुरी क्षेत्र ओरछा में ईको पर्यटन विकास बोर्ड द्वारा अनुभूति शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें स्कूली बच्चों को सेंचुरी क्षेत्र में ले जाकर वन्य जीवों के बारे में बताया। वन मण्डलाधिकारी एपीएस सेंगर के निर्देशन में सेंचुरी एरिया के पचमड़ी स्थल पर बच्चों को लेकर सैर कराई। इस अवसर पर बच्चे काफी उत्साहित दिखे।
शिविर में नगर के शासकीय स्कूलों के 120 छात्र-छात्राओं को जंगल की सैर कराकर वन्य एवं वन्यजीवों के महत्व के बारे में बताया गया। कार्यक्रम के दौरान न्यायिक मजिस्ट्रेट विकास शुक्ला ओरछा द्वारा बच्चों को वनों की महत्वता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस मौके पर स्कूली बच्चों को उपहार वितरित करते हुए प्रश्नोत्तरी एवं क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। विजेता बच्चो को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के समापन पर गेमरेंज ऑफिसर आनंद कुमार श्रीवास्तव ने भी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर ध्रुव सिंह राठौर, संजय कसगर, धर्मेंद्र पुजारी, रेंज ऑफिसर महिपत सिंह राणा, शिवनारायण रावत, अनूप सिंह ठाकुर, विकास गोस्वामी मौजूद थे।
ईको पर्यटन के रूप में विकसित हो कुण्डेश्वर वन ः विकास- शिवधाम कुण्डेश्वर मंदिर के पीछे बहती जमड़ार नदी से लगे खैराई वनक्षेत्र को ईको पर्यटन के रूप में विकसित कराने के उद्देश्य से प्रदेश कांग्रेस सचिव विकास यादव ने वन मंत्री उमंग सिंघार को पत्र लिखकर खैराई वनक्षेत्र को वन्य प्राणी अनुभव एवं मनोरंजन क्षेत्र (ईको पर्यटन) के रूप में विकसित करने की मांग की है।
प्रदेश सचिव यादव ने बताया कि टीकमगढ़ जिला मुख्यालय पर एक भी ऐसी जगह नहीं है जहां पर लोग अपने बच्चों एवं परिवार सहित छुट्टी का समय हंसी-खुशी के साथ एवं मनोरंजन के रूप में व्यतीत कर सके। लंबे समय से ऐसे एक पिकनिक स्पॉट की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। वन मंडल द्वारा खैराई वनक्षेत्र को ईको पर्यटन के रूप में विकसित कराने के लिए 16 अप्रैल 2018 को प्रस्ताव तैयार कर स्वीकृति के लिए ईको पर्यटन बोर्ड को प्रेषित किया, जो अभी भी लंबित है। जिसे शीघ्र ही स्वीकृत कर बजट आवंटित करने की मांग की है।
वनक्षेत्र में विभिन्न प्रजाति के पशु-पक्षी और जामनी नदी बढ़ाएगी सुंदरता
खैराई वनक्षेत्र में ये सभी संभावनाएं हैं। इस वन क्षेत्र में चीतल, नील गाय, लाल एवं काले मुंह के बंदर, विभिन्न प्रजाति के सर्प, हाईना तथा बहुतायत में पक्षी उनकी प्राकृतिक आवास में स्वच्छन्द विचरण करते देखे जा सकते हैं। साथ ही इसी वन क्षेत्र से बहती जमड़ार एवं जामनी नदी इसकी सुंदरता को कई गुना बढ़ा देती हैं। यदि इस वनक्षेत्र को वन्य प्राणी अनुभव एवं मनोरंजन क्षेत्र (ईको पर्यटन) के रूप में विकसित कर दिया जाए तो स्वयंभू भोले भगवान के दर्शन के साथ-साथ पर्यटकों का भरपूर मनोरंजन होगा और क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर उपलब्ध होंेगे।
शिविर में नगर के शासकीय स्कूलों के 120 छात्र-छात्राओं को जंगल की सैर कराकर वन्य एवं वन्यजीवों के महत्व के बारे में बताया गया। कार्यक्रम के दौरान न्यायिक मजिस्ट्रेट विकास शुक्ला ओरछा द्वारा बच्चों को वनों की महत्वता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस मौके पर स्कूली बच्चों को उपहार वितरित करते हुए प्रश्नोत्तरी एवं क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। विजेता बच्चो को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के समापन पर गेमरेंज ऑफिसर आनंद कुमार श्रीवास्तव ने भी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर ध्रुव सिंह राठौर, संजय कसगर, धर्मेंद्र पुजारी, रेंज ऑफिसर महिपत सिंह राणा, शिवनारायण रावत, अनूप सिंह ठाकुर, विकास गोस्वामी मौजूद थे।
ईको पर्यटन के रूप में विकसित हो कुण्डेश्वर वन ः विकास- शिवधाम कुण्डेश्वर मंदिर के पीछे बहती जमड़ार नदी से लगे खैराई वनक्षेत्र को ईको पर्यटन के रूप में विकसित कराने के उद्देश्य से प्रदेश कांग्रेस सचिव विकास यादव ने वन मंत्री उमंग सिंघार को पत्र लिखकर खैराई वनक्षेत्र को वन्य प्राणी अनुभव एवं मनोरंजन क्षेत्र (ईको पर्यटन) के रूप में विकसित करने की मांग की है।
प्रदेश सचिव यादव ने बताया कि टीकमगढ़ जिला मुख्यालय पर एक भी ऐसी जगह नहीं है जहां पर लोग अपने बच्चों एवं परिवार सहित छुट्टी का समय हंसी-खुशी के साथ एवं मनोरंजन के रूप में व्यतीत कर सके। लंबे समय से ऐसे एक पिकनिक स्पॉट की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। वन मंडल द्वारा खैराई वनक्षेत्र को ईको पर्यटन के रूप में विकसित कराने के लिए 16 अप्रैल 2018 को प्रस्ताव तैयार कर स्वीकृति के लिए ईको पर्यटन बोर्ड को प्रेषित किया, जो अभी भी लंबित है। जिसे शीघ्र ही स्वीकृत कर बजट आवंटित करने की मांग की है।
वनक्षेत्र में विभिन्न प्रजाति के पशु-पक्षी और जामनी नदी बढ़ाएगी सुंदरता
खैराई वनक्षेत्र में ये सभी संभावनाएं हैं। इस वन क्षेत्र में चीतल, नील गाय, लाल एवं काले मुंह के बंदर, विभिन्न प्रजाति के सर्प, हाईना तथा बहुतायत में पक्षी उनकी प्राकृतिक आवास में स्वच्छन्द विचरण करते देखे जा सकते हैं। साथ ही इसी वन क्षेत्र से बहती जमड़ार एवं जामनी नदी इसकी सुंदरता को कई गुना बढ़ा देती हैं। यदि इस वनक्षेत्र को वन्य प्राणी अनुभव एवं मनोरंजन क्षेत्र (ईको पर्यटन) के रूप में विकसित कर दिया जाए तो स्वयंभू भोले भगवान के दर्शन के साथ-साथ पर्यटकों का भरपूर मनोरंजन होगा और क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर उपलब्ध होंेगे।