मुंबई / देश में टेलीविजन उद्योग 12.20 फीसदी की वृद्धि के साथ 66 करोड़ रुपये से बढ़कर अब 74 करोड़ रुपये हो गया है। इसके साथ ही एक साल में विज्ञापन से आय में 3,800 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। विज्ञापन से आय बढ़कर वर्ष 2018-19 में 30,500 करोड़ रुपए हो गई है। जबकि यह 2017-18 में 26,700 करोड़ रुपए हुआ करती थी।
इस प्रकार की कई रोचक जानकारी भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) की वार्षिक रिपोर्ट 2018-19 से सामने आई है। ट्राई ने अपनी यह वार्षिक रिपोर्ट 15 जनवरी को जारी की है। महत्वपूर्ण है कि 2017-18 में सब्सक्रिप्शन राजस्व 39,300 करोड़ रुपये था जो 2018-19 में बढ़कर 43,500 करोड़ रुपये हो गया है। ट्राई की ताजा जारी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार देश के 29.80 करोड़ घरों में से 19.70 करोड़ घरों में टीवी उपलब्ध होने का अनुमान है। ये घर केबल टीवी, डीटीएच, हिट्स, आईपीटीवी और दूरदर्शन के भौमिक टीवी नेटवर्क से जुड़े हैं। ट्राई के अनुसार दूरदर्शन का भौमिक टीवी नेटवर्क देश की लगभग 92 फीसदी आबादी को अपनी सेवाएं प्रदान करता है। इस वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार पे टीवी यूनिवर्स में 10.30 करोड़ केबल टीवी, 7.24 करोड़ एक्टिव डीटीएच और 15 लाख हिट्स सब्सक्राइबर शामिल हैं।
देश में 60 हजार केबल ऑपरेटर और 350 टेलीविजन प्रसारक
इसके साथ ही एक साल के भीतर देश में 14.27 करोड़ इंटरनेट और 15.07 करोड़ ब्रॉडबैंक सब्सक्राइबर बढ़े। बता दें कि 5.76 करोड़ उपभोक्ताओं ने मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) सुविधा का लाभ उठाने के लिए विभिन्न सेवा प्रदाताओं के बाद अनुरोध किया। ट्राई की ताजा रिपोर्ट से यह भी स्पष्ट हो गया है कि देश में 60 लाख केबल ऑपरेटर हैं। टेलीविजन प्रसारण क्षेत्र में 350 प्रसारक शामिल है। जिसमें 39 पे प्रसारक का समावेश है। इतना ही नहीं वित्त वर्ष 2018-19 के अंत में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से अनुमति प्राप्त 902 प्राइवेट सैटेलाइट टीवी चैनल हैं। इसमें 229 एसडी और 99 एचडी पे टीवी चैनल हैं।
रेडिया विज्ञापन में 9.74 प्रतिशत की वृद्धि, बीते साल 2381 करोड़ रुपये की हुई आय
देश में ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) के अलावा मार्च 2019 तक 356 प्राइवेट एफएम रेडियो स्टेशन काम कर रहे थे। ट्राई की वार्षिक रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2018-19 में रेडियो उद्योग में विज्ञापन से होने वाली आय में 9.74 फीसदी की वृद्धि हुई। विज्ञापन से आय 2017-18 में 2170.04 करोड़ रुपये थी जो वर्ष 2018-19 में बढ़कर 2381.51 करोड़ रुपये हो गई।