सिंध के 30 किमी क्षेत्र से अवैध रूप से हो रहा रेत का उत्खनन

, नदी में हो रहे गहरे-गहरे गड्‌ढे





सेंवढ़ा / शासन ने अनुभाग की 8 खदानों को पंचायतों को चलाने के लिए लीज पर दी है। इन की आड़ में रेक माफिया नदी के 30 किमी के दायरे में बेधड़क रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है। शासन ने पंचायतों को रेत के ढेर से रेत उठाने के निर्देश दिए। लेकिन माफिया रेत नदी को खोद कर रेत निकाल रहे है। जिससे नदी में न केवल गड्‌ढे हो रहे, बल्कि इसकी गहराई भी बढ़ रही है। जो आने वाले समय में हादसे का कारण बनेगी। अवैध उत्खनन में ताकतवर नेताओं का सीधा दखल है। अवैध उत्खनन से नदी तो खोखली हो रही रही। ओवरलोड वाहनों से सड़कें भी बर्बाद हो रही है।

दतिया जिले में सिंध नदी का बड़ा हिस्सा सेंवढ़ा अनुभाग से होकर निकला है। वर्तमान में यह नदी रेत माफियाओं के लिए सोना उगल रही है। 2017 की रेत नीति में पंचायतों को खदान संचालन का अधिकार मिलते ही कई रेत माफिया, ताकतवर नेताओं ने पंचायतों से सांठगांठ कर खदानों का संचालन प्रारंभ कर दिया था। नई व्यवस्था में रेत के नए ठेके हो गए है। ऐसे में जो 8 खदानें पंचायतों को लीज पर दी गई थी उनकी आड़ में पूरे 30 किलोमीटर से रेत उठाई जा रही है। रेत उठाने के कार्य में लगे माफिया को इस बात की जल्दी है कि नए ठेकेदार के आने से पहले बड़ी मात्रा में रेत को डंप कर लिया जाए।

खासबात यह है कि इस काम में किसान भी रेत माफिया का साथ दे रहे है। किसानों ने पैसे के लालच में रेत डंप करने के लिए अपने खेत दे दिए। परिणाम हाईवे के अंदर के गांवों में जम कर रेत का अवैध भंडारण है। लेकिन प्रशासन को यह नजर नहीं आता। दूसरी ओर स्थानीय स्तर पर ट्रेक्टर से रेत का कारोबार करने वाले भी मनमर्जी से कहीं से भी रेत उठा रहे है। बता दें वर्तमान में खमरोली, रूहेरा, कसेरूआ, जरा, पहाड़, मरसेनी, अतरेटा, कंजोली पंचायतों में रेत उत्खनन का कार्य चल रहा है।

अवैध उत्खनन को लेकर दतिया के खनिज अधिकारी प्रदीप तिवारी का कहना है कि हमें जैसे ही अवैध भंडारण की अथवा लीज पर दी गई खदानों पर मशीन चलने की सूचना मिलती है तत्काल कार्रवाई की जाती है। अवैध उत्खनन को लेकर राजस्व एवं पुलिस के अधिकारियों की सूचना पर हम दतिया से टीम भेजते है। खनिज विभाग की तरफ से सेंवढ़ा में किसी की स्थाई पदस्थापना नहीं है।

सेंवढ़ा में सिंध नदी से होता रेत का अवैध उत्खनन।

रेत उठाने की मिली जिम्मेदारी, पर खोद रहे नदी

2017 की रेत नीति में खदान संचालन का अधिकार पंचायतों को दिया गया था। नीति में स्पष्ट किया गया कि पंचायत केवल रेत के जमा ढेर से रेत उठवाएगी। कहीं भी रेत के लिए जमीन को नहीं खोदा जाएगा। हालत यह है कि रेत माफिया नदी के तल से रेत उठा कर उसे खोखला कर रहे हैं। जो रेत पूरे 12 माह पानी को अवशोषित कर भीषण गर्मी में जल स्तर को मेनटेन करती है उस रेत के उठने के बाद अब न सिर्फ जल स्तर कम होगा साथ ही नदी की गहराई बढेग़ी और यह दुर्घटनाओं का कारण बनेगी। रेत माफिया नदी से सटे किनारों पर भी विशाल गड्‌ढे बना चुके हैं और इन गड्ढों का शिकार होकर आधा दर्जन लोगों की मौत पिछले दो वर्ष में हो चुकी है। पर किसी अज्ञात के दबाब में न तो नियम के विरूद्ध होते रेत का उत्खनन रुक रहा है और नहीं नियमों को धता बताते लोगों पर सख्त कार्रवाई ही हो रही है।

सनकुआं को भी नहीं बख्श रहे लोग

सेंवढ़ा में स्थित सनकुआं को लेकर अंचल में गहरी आस्था है। यहां समय समय पर होने वाले पर्व स्नान एवं मेलों में समूचे बुंदेलखंड से लोग पहुंचते हैं। पूर्व में इस क्षेत्र में सर्वे नंबर 38/1 की स्वीकृत खदान थी। छह वर्ष पूर्व तत्कालीन कलेक्टर एम रघुराज रामचंद्रन ने लोगों की मांग के बाद जब स्वयं सनकुआं का दौरा किया तो उन्होंने खदान को बंद करवाने की अनुशंसा शासन को भेजी थी। तत्कालीन कलेक्टर श्री रघुराजन ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि धार्मिक आस्था एवं प्राचीन महत्व के स्थल से गुजरने वाले भारी वाहन सनकुआं की ऐतिहासिकता को नुकसान पहुंचा रहे है। नदी पर बने पुल से सट कर जारी उत्खनन से उसकी मजबूती पर भी असर पड़ रहा है। कलेक्टर के प्रतिवेदन के बाद शासन ने इस स्वीकृत खदान को बंद कर दिया। सात वर्ष से सनकुआं से सटे क्षेत्र से वैध उत्खनन बंद है। पर यहाँ से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में वाहन रेत लेकर निकलते हैं। रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक रेत के अवैध उत्खनन एवं परिवहन का दौर चलता है।