शीतलहर में एक कंबल के सहारे छात्रावास के बच्चे

, अधिकांश छात्र अपने घर चले गए


महाराजपुर / नगर के शासकीय सीनियर अनुसूचित जाति बालक छात्रावास में खराब भोजन और शीतलहर से बचाव के समुचित इंतजाम नहीं हैं। इसके चलते अधिकांश छात्र अपने घर चले गए। दैनिक भास्कर टीम ने शुक्रवार सुबह करीब 9 बजे छात्रावास पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। मौके पर इस 50 सीटर सीनियर बालक छात्रावास में केवल 16 बच्चे ही उपस्थित मिले। अधिकांश छात्र गायब थे। छात्रों के कमरों को देखा तो चौकाने वाला नजारा था, छात्रों को इतनी भीषण ठंडी में ओढ़ने के लिए केवल एक ही कंबल दिया गया था। जबकि नियमानुसार एक छात्र को 2 से 3 कंबल सर्दियों में देने का प्रावधान है। लेकिन यहां के छात्रावास अधीक्षक द्वारा छात्रों को ठंड के हिसाब से पर्याप्त कंबल मुहैया नहीं कराए। इसलिए छात्रों की संख्या पिछले कई दिनों से केवल एक तिहाई से भी कम चल रही है। इसी कारण अधिकांश छात्र यहां न रहकर घर से ही स्कूल आना-जाना करते हैं। भास्कर टीम के पहुंचने के कुछ ही देर बाद जिला शिक्षा अधिकारी एसके शर्मा ने छात्रावास का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इसके बाद तहसीलदार आनंद जैन छात्रावास पहुंचे। उन्होंने बच्चों को 2 या 3 कंबल देने की हिदायत दी, साथ ही बच्चों के लिए गुणवत्तायुक्त भोजन व नाश्ता देने के लिए भी निर्देशित किया। दोनों अधिकारियों ने हिदायत देते हुए कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य के मामले में किसी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।






छात्रों को मिल रहा घटिया भोजन व नाश्ता

छात्रों को सुबह शाम नाश्ता एवं दोनों समय भोजन छात्रावास अधीक्षक की देखरेख में दिया जाता है। लेकिन यहां न तो छात्रावास में अच्छा नाश्ता व खाना मिल रहा रहा है। नाश्ता में सुबह शाम केवल उबला हुआ पोहा और खाना में दोनों समय गुणवत्ताहीन आलू टमाटर की सब्जी मिलती है। छात्रों द्वारा भी कई बार इसकी शिकायत की गई लेकिन व्यवस्था नहीं सुधरी।

महीनों से नहीं धुले गद्दों एवं तकियों के कवर

छात्रावास में गद्दों के ऊपर बिछाए जाने वाले चादर एवं तकियों के खोल बेहद गंदे हैं, जिससे लगता है इनकी धुलाई कई महीनों से नहीं हुई। तकियों के ऊपर मैल की बड़ी परत दिखाई दे रही है।

महीनों से एक रसोइया ही बना रहा भोजन

छात्रावास में 2 रसोइयों की तैनाती है, जिससे छात्रों को खाना समय से मिल सके, लेकिन एक रसोइया कभी खाना नहीं बनाता। वह स्थानीय होने के कारण अपने गृहकार्य एवं खेती बाड़ी में लगा रहता है। कभी कभार ही छात्रावास में दिखाई देता। एक रसोइया के काम न करने के कारण छात्रों या चौकीदार को खाना बनवाना पड़ता है, तब कहीं जाकर छात्रों को खाना मिल पाता है।

मैं नया आया हूं, जल्द व्यवस्थाएं ठीक कर दूंगा




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