प्राइवेट काॅलेजाें के डॉक्टर सरकारी मेडिकल कॉलेजाें में भी पढ़ाएंगे

, नियमों में बदलाव



पटियाला / फैकल्टी की कमी से जूझ रहे मेडिकल काॅलेजाें काे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडियन (एमसीआई) ने बड़ी राहत दी है। स्टूडेंट्स की प्रभावित हाेती पढ़ाई काे ध्यान में रखते हुए एमसीआई ने अपने नियमाें बदलाव किया है। काउंसिल के मुताबिक प्राइवेट काॅलेजाें के डॉक्टर सरकारी मेडिकल कॉलेजाें में भी पढ़ाएंगे। साथ इन्हें जिला अस्पतालों को अपग्रेड कर बनाए जाने वाले मेडिकल कॉलेजों में भी पढ़ाने की परमिशन होगी।


एमसीआई के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (एमसीआइबीओजी) ने विजिटिंग फैकल्टी के नियमों में भी बदलाव किया है। इसके तहत अब 70 साल की उम्र तक के प्राइवेट काॅलेजाें मेडिकल कॉलेजों में पार्ट टाइम सेवाएं दे सकेंगे। प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर विजिटिंग फैकल्टी के तौर पर कॉलेज में पढ़ा पाएंगे। पहले निजी डॉक्टरों के पढ़ाने की अनुमति नहीं थी।


न्यूनतम आठ साल की प्रैक्टिस वाले डॉक्टरों को ही पार्ट टाइम मिलेगा काम
न्यूनतम 8 साल की प्रैक्टिस और पाेस्टग्रेजुएट की डिग्री वाले विदेशी और प्राइवेट प्रैक्टिस वाले डॉक्टरों को पार्ट टाइम वेस पर काम दिया जा सकता है। लेकिन उम्र 70 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए। संबंधित कॉलेज में 50 फीसद से अधिक विजिटिंग फैकल्टी नहीं होनी चाहिए। विजिटिंग फैकल्टी का सिलेक्शन प्रिंसिपल/डायरेक्टर की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय कमेटी करेगी। 


संशोधन से शिक्षा की गुणवत्ता में आएगा सुधार


एमसीआई के इस संशोधन से मेडिकल कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधरेगी। देश-विदेश के विषय विशेषज्ञ अपने अनुभव एवं ज्ञान से छात्र-छात्राओं के साथ बांट सकेंगे। पूरा ड्राफ्ट आने के बाद ही इस पर विस्तार से कुछ कहा जा सकता है।


जीसी अहीर, रजिस्ट्रार, बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज 


सभी सरकारी व प्राइवेट कॉलेजों को लाभ मिलेगा

एमसीआई के कदम का पंजाब सरकार स्वागत करती है। एमसीआई के सारे नियम कायदे परखने के बाद प्राइवेट कॉलेजों के माहिर डॉक्टरों को हायर करेंगे। एमसीआई के फैसले से सरकारी नहीं बल्कि प्राइवेट कॉलेजों को भी लाभ मिलेगा।
ओपी सोनी, हेल्थ मिनिस्टर मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च


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