जयपुर / डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने 14 जनवरी को राज्य निर्वाचन आयोग पीएस मेहरा को पत्र लिखकर कहा था कि जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनाव 7 फरवरी तक करा दें। भास्कर से खास बातचीत में मेहरा ने इस पर खुलकर जवाब दिया।
सवाल: डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने आपकाे पत्र लिखकर 7 फरवरी से पहले जिला परिषद और पंचायत समितियाें के चुनाव कराने को कहा है?
जवाब: पंचायत पुनर्गठन, लाॅटरी सहित कई मुद्दाें पर डिप्टी सीएम सचिन पायलट के विभाग ने पहले ताे एडवाेकेट जनरल की राय ली। उस राय में स्पष्ट है कि बगैर सुप्रीम काेर्ट की अनुमति के कुछ न करें। फिर पायलट ने हमें पत्र लिखा-चुनाव कराएं। ऐसे में हमारा कहना है कि काश चिट्टी में ये भी कहते कि हम एडवाेकेट जनरल की राय नहीं मान रहे।
सवाल: क्या चुनाव आयाेग डिप्टी सीएम की राय मानने के लिए तैयार नहीं है?
जवाब: उनका राय देना कितना उचित है। हमें चुनाव कराने के लिए एक प्राेसेस से गुजरना पड़ता है। ये प्राेसेस 3 माह से कम नहीं हाेता। सरकार से पहले ही कहा था कि समय से चुनाव न हुए तो संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है। वाे कुछ भी कहें और करें, लेकिन चुनाव कराना है या नहीं, ये हमारे पार्ट में है। इतना जल्द चुनाव कराना संभव नहीं है।
सवाल: आराेप है कि आप एक खेमा विशेष के इशारे पर काम कर रहे हैं?
जवाब: ये सब बकवास बातें हैं। मैं राज्य निर्वाचन आयुक्त बनने के बाद कभी किसी राजनीतिक दल के नेता से नहीं मिला। कभी बात तक नहीं हुई है। राज्य निर्वाचन आयाेग बगैर किसी के दबाव में काम कर रहा है। हमारे अगले निर्णय इसे साबित करेंगे।
सवाल: आपकाे चुनाव कराने में तीन महीने लग जाएंगे ताे सरकार काे प्रशासक लगाने पड़ेंगे?
जवाब: इसके लिए राज्य निर्वाचन आयाेग काे एक प्रतिशत भी जिम्मेवार नहीं ठहराया जा सकता। हमने ताे बहुत काेशिश की थी कि चुनाव समय पर हाे। नई पंचायताें के गठन और पुनर्गठन के बावजूद हम समय पर चुनाव कराने जा रहे थे, लेकिन चुनाव काेर्ट के स्टे से प्रभावित हाे गया। इसके लिए सरकार जिम्मेवार है।
सवाल: सुप्रीम काेर्ट के स्टे देने के बाद आपने 24 घंटे में ही चाैथे चरण का चुनाव स्थगित क्याें कर दिया? इतनी जल्दी क्या थी कि ग्राम पंचायताें की संख्या भी घटा दी?
जवाब: हमारे पास भी लीगल की टीम है। उनकी राय लेकर हमने रातभर काम कराया। चुनाव स्थगित हाेने का निर्णय किया। हमें पता है कि हमारी वर्किंग का कानूनी रूप से क्या असर पड़ता है। उसी के आधार पर निर्णय लिए गए है। वैसे भी एडवाेकेज जनरल अपनी राय दे चुके है। ऐसे में पंचायत समिति, जिला परिषद और शेष बचे करीब 4 हजार पंचायताें में चुनाव नहीं करा सकते हैं।