निचली अदालतों में कर्मचारियों के 36% पद खाली

, हाईकोर्ट से स्टाफ उधार लेकर निपटाया जाता है कोर्ट का काम



जोधपुर / जोधपुर महानगर की एमएसीटी कोर्ट में दीवाली से पहले दुर्घटनाओं से प्रभावित परिवारों की लाइनें लगी हुई थी। फैसले हो चुके थे, इंश्योरेंस कंपनियों का पैसा कोर्ट के खाते में आ चुका था, परंतु पीड़ितों के चेक नहीं मिल रहे थे। कारण था, अकाउंटेंट व स्टेनो नहीं थे।


जजों को चिंता हुई कि दीवाली पर पीड़ितों के घर अंधेरे में नहीं रहने चाहिए इसलिए हाईकोर्ट जज जो एक माह के लिए जयपुर बैठ रहे थे, उनके स्टेनो को उधार मांगा गया। उस स्टेनो ने सभी को चेक बनवा कर दिए। ये स्थिति राज्य की ज्यादातर निचली अदालतों की है। सच्चाई ये है कि इन अदालतों में कर्मचारियों के 36% पद खाली पड़े हुए हैं। कहीं उधार के स्टाफ से काम चल रहा है तो कहीं कर्मचारियों की कमी से काम और लंबा खिंच रहा है।


जोधपुर की एमएसीटी कोर्ट में ही फैमिली कोर्ट से रिटायर हुए स्टेनो को रि-अपाइंट किया गया है। यहां के रीडर पहले से रि-अपाइंटमेंट पर चल रहे थे, वे भी चले जा चुके हैं। यहां चपरासी क्लर्क और क्लर्क स्टेनो-रीडर का काम कर रहा है। महिला एलडीसी को रीडर का काम दिया हुआ है।


जानिए...क्यों अदालतों के लिए जरूरी हैं कर्मचारी


स्टेनो: जज ऑर्डर डिक्टेट कराते हैं, लिखते ये ही हैं। टाइप भी ये ही करते हैं। स्टेनो के खाली पदों के कारण ऑर्डर लिखाने में 15 से 20 दिन का समय लग जाता है।


रीडर: जज को कोर्ट रूम में असिस्ट करते हैं, या कहें की कोर्ट ये ही चलाते हैं। जज के समक्ष फाइलें ये ही पुटअप करते हैं। कौन सी तारीख देनी है, कौन सा केस लिस्टेड होगा? 


क्लर्क: ये फाइलों का मूवमेंट करते हैं। कौन सी फाइल और केस डायरियां कहां है? यह क्लर्क ही जानता है। जहां रीडर के पद खाली हैं, वहां ये क्लर्क रीडर की भूमिका निभाते हैं।


मुंसरिम: कोर्ट रूम में सभी स्टाफ के हैड होते हैं। अपील हो अथवा रिविजन पिटिशन, वकीलों को इसके लिए सबसे पहले सीनियर मुंसरिम के पास ही जाना पड़ता है।


 


सारी याचिकाएं आपके पास ही पेंडिंग हैं, मी लॉर्ड! फैसला दीजिए


जी हां...ये न्याय की पीड़ा है। राज्य की निचली अदालतों की हालत सुधारने के लिए हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल तीन याचिकाएं लंबित हैं। खबर में दी गई जानकारी भी हमने उन्हीं याचिकाओं से ली है। राज्य की 1630 निचली अदालतों में 16 लाख से ज्यादा मामले लंबित हैं। यानी हर अदालत एक दिन में कम से कम 1000 मामलों पर सुनवाई करे तो ये मामले निपट पाएंगे।  कॉल है कि इन खबराें में हम किसी मंत्री, अधिकारी का वर्जन नहीं लगाएंगे क्योंकि अदालत से जुड़ा यह फैसला खुद अदालत को करना है।



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विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के उपलक्ष में ऑनलाइन बैठक तम्बाकू जानलेवा, मैं भी कर रहा हूँ इसकी आदत छोड़ने क़ी कोशिश - डॉ. हेमंत जैन तम्बाकू मुक्त समाज की पहल में सहभागी बनें : रामजी राय दतिया। असमय मानव जीवन के खत्म होने में बहुत बड़ा योगदान तम्बाकू से बने पदार्थों के सेवन से है चाहे वह चबाने वाला हो, सूंघने वाला हो अथवा धूम्रपान हो। इन सबके सेवन से होने वाले दुष्प्रभाव से सेवन करने वाला स्वयं और अपने इर्दगिर्द रहने वाले स्वजनों को धीमी जहर से होने वाली मौत की ओर अग्रसर करता है। इसमें युवा भी अत्यधिक ग्रसित होता चला जारहा है। अतः आवश्यक है सामुदायिक जागरूकता की। उक्त उद्गार वरिष्ठ समाजसेवी वीरेन्द्र शर्मा ने व्यक्त किए। तम्बाकू जानलेवा, मैं भी कर रहा हूँ इसकी आदत छोड़ने क़ी कोशिश यह बात बैठक में स्रोत व्यक्ति के रूप में सम्मिलित मेडीकल कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ. हेमंत जैन ने कही। इस उद्देश्य की प्रतिपूर्ति हेतु विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के उपलक्ष में स्वदेश ग्रामोत्थान समिति व मध्यप्रदेश वॉलेंट्री हेल्थ एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में संचालित अभियान के अंतर्गत ऑनलाइन वेविनार बैठक संस्था संचालक रामजीशरण राय के नेतृत्व में आयोजित की गई। उन्होंने तम्बाकू मुक्त समाज की पहल में सहभागी बनने की अपील की। साथ ही श्री राय ने तम्बाकू उत्पादों के सेवन करने वाले व उससे होने वाली मौतों के आंकड़े प्रस्तुत किए। कोरोना महामारी के चलते सरकार द्वारा प्रदत्त एडवाइजरी के परिपालन में सामाजिक दूरी बनाए रखने हेतु आयोजित ऑनलाइन जागरूकता बैठक में वरिष्ठ समाजसेवी सरदारसिंह गुर्जर, डॉ. बबीता विजपुरिया, दया मोर, अशोककुमार शाक्य, राजपालसिंह परमार, पीयूष राय, रुचि सोलंकी, बलवीर पाँचाल, दीक्षा लिटौरिया, श्वेता शर्मा, जितेंद्र सविता, प्राप्ति पाठक, अखिलेश गुप्ता, देवेंद्र बौद्ध, पिस्ता राय, अभय दाँगी, शिवम बघेल, भैरव दाँगी, प्रज्ञा राय, शैलेंद्र सविता, सुवेश भार्गव आदि ने सहभागिता करते हुए समुदाय को तम्बाकू मुक्त बनाने हेतु सतत जागरूकता के प्रयासों में अपनी भूमिका निभाने की सहमति जताई। हम विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर शपथ लेते हैं कि प्रत्येक मानव जीवन को सुरक्षितऔर संरक्षित रखने हेतु स्वयं तम्बाकू से बने पदार्थों का सेवन नहीं करेंगे साथ ही समुदाय को तम्बाकू से बने पदार्थों के सेवन न करने हेतु प्रेरित करेंगे। साथ ही शपथ लेते हैं कि हम अपने अपने स्तर पर जिले सार्वजनिक स्थानों को धूम्रपान मुक्त करने की पहल में शासन प्रशासन का आवश्यक सहयोग करते हुए कोटपा अधिनियम के कानूनी प्रावधानों की जागरूकता करेंगे। उक्त जानकारी बलवीर पाँचाल ने देते हुए सार्वजनिक स्थानों को धूम्रपान मुक्त करने की अपील की। अंत में बैठक सहभागी सभी का आभार सरदार सिंह गुर्जर ने किया।
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