नशा व धुंआ मुक्त भुलाय गांव बना अब आदर्श

नशा व धुंआ मुक्त भुलाय गांव बना अब आदर्श


भोपाल / प्रदेश का एक गांव इन दिनों चर्चा में बना हुआ है। इसकी वजह है वहां के लोगों द्वारा स्वप्रेरणा से इस गांव का सामाजिक कुरुतियों से लेकर अन्य तरह की बुराईयों को समाप्त करना। शायद यह प्रदेश का ऐसा पहला गांव हैं, जहां न तो काई शराब पीता है और न ही कोई धुआं उड़ाता है। यही नहीं इस गांव के अधिकांश घरों में गोबर गैस का उपयोग किया जाता है। ग्रामीण इलाका होने के बाद भी यहां कोई छुआछूूत तो जानता तक नहीं है। यहां कोई व्यक्तिगत या फिर सार्वजनिक कार्यक्रम हो सभी की पूरी भागीदारी रहती है। यह हकीकत है राघौगढ़ की ढाई हजार की आबादी वाली ग्राम पंचायत भुलाय की है। खास बात यह है कि इस गांव की सभी बेटियां स्कूल जाती है। यह बदलाव आया है सिर्फ दो साल में। इसके पहले पशु-बलि बंद है। भुलाय के लोगों ने स्वप्रेरणा से गांव की तस्वीर बदल दी है। दो साल पहले जो लोग नशे में डूबे रहते थे, वे अब शराब को छूते तक नहीं हैं। इससे व्यक्तिगत रूप से लोगों के जीवन में अमलचूल परिवर्तन आया है। खास बात यह है कि इसमें सरकार से किसी तरह की कोई मदद न तो ली गई है और न ही मिली है।



इस तरह हुई बदलाव की शुरुआत
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि शराब पीने से परिवारों में झगड़ेे होना आम बता थी। जिसके चलते आए दिन थाने-कचहरी में शिकायतें होती रहती थीं। इससे परेशान होकर गांव के लोगों ने पंचायत बुलाकर गांव को नशा मुक्त बनाने के साथ आदर्श बनाने का फैसला किया गया। इसके लिए गांव के ही लोगों की एक टीम बनाई गई जिसका नेतृत्व किसान भगत ङ्क्षसह को दिया गया था। इसके बाद एक-एक ग्रामीण से संपर्क कर उन्हें सामूहिक रूप से समझाइश देने का काम शुरु किया गया। इस दौरान उन्हें नशा छोडऩे के नुकसान और फायदे बताए गए, जिसके परिणामस्वरुप अब गांव आदर्श बन चुका है।
शिक्षा : भगत सिंह के अनुसार गांव के लोगों को बेटियों को पढ़ाने के लिए पे्रेरित किया। आज उत्साह से बेटियां पढ़ रही है। उच्च शिक्षा के लिए दूसरे शहर जा रही है।
खेती: लटूर सिंह, मन्नूलाल, मंगल सिंह ने बताया कि जैविक खेती को बढ़ावा दिया। गौपालन को बढ़ाया। लोग छुआछूत मानते थे। आज लोग आपस में बैठते हैं।
सफाई : गांव के रामप्रसाद और महेश ने बताया कि रोजाना लोग सुबह घरों के सामने स्वयं झाडू लगाते हैं। महिलाएं कचरे को भी निर्धारित जगह पर ही फेंकती है।