नर्मदा नदी की तलहटी में मिलीं दो दुर्लभ प्रजाति की मछलियां

नर्मदा नदी की तलहटी में मिलीं दो दुर्लभ प्रजाति की मछलियां





होशंगाबाद / नर्मदा नदी की तलहटी में दो दुर्लभ प्रजाति की मछलियां मिली हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के निर्देश पर वर्ष 2015 से लेकर 2019 तक चले शोध में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद के शासकीय नर्मदा महाविद्यालय की प्राणी शास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. आशा ठाकु र ने यह खोज की है। खोज में कुल 35 प्रजातियों की मछलियां मिली हैं, इनमें से दो को दुर्लभ माना गया है। इन दो प्रजातियों के दुर्लभ होने का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि देश में मछलियों पर लिखी गईं दस प्रमुख किताबों में भी इनका जिक्र नहीं है। इन मछलियों को कॉलेज की लैब में सुरक्षित रखकर आयोग को रिपोर्ट भेज दी गई है। डॉ. ठाकुर के मुताबिक, यूजीसी ने नर्मदा में मछलियों और जैव विविधता पर शोध कराया था। इसका विषय ‘फिश कलेक्शन एंड प्रिजर्वेशन ऑफ नर्मदा एंड बायोडायवर्सिटी’ था। शोध के लिए यूजीसी ने करीब 50 हजार रुपए दिए थे। नर्मदा के सेठानीघाट, विवेकानंद घाट, हर्बल पार्क घाट, बांद्राभान घाट, खर्राघाट, मंगलवारा घाट, घोडासफील घाट व आंवरीघाट पर मछुआरों की मदद से मछलियों की खोज कर अध्ययन किया गया।


कुल 35 प्रजातियों की मछलियां मिलीं


डॉ. ठाकुर ने बताया कि नर्मदा क्षेत्र में कुल 35 प्रजातियों की मछलियां मिलीं। इनमें से एक दुर्लभ मछली बांद्राभान घाट के पास गहराई में मिली। शोध में मदद कर रहे तीन विशेषज्ञ मछुआरे भी इसके बारे में कुछ नहीं बता सके। मछली के एक सैंपल को कॉलेज की लैब में फार्मेलीन का लेप लगाकर सुरक्षित रखा है। नर्मदा में मिलने के कारण फिलहाल इसे ‘नर्मदांसीस’ नाम दिया है। यह समुद्र में पाई जाने वाली जेब्रा मछली से मिलती-जुलती है। दूसरी दुर्लभ मछली खर्राघाट पर नेनड्स प्रजाति की है। नैनड्स पहाड़ी जगहों पर मिलने वाली मछली है। बरसात के दौरान इस मछली का संग्रह कि या था। खर्राघाट पर पत्थरों की अधिकता है, इसलिए इस मछली की मौजूदगी वहां रही है। उन्होंने रिसर्च रिपोर्ट का शीर्षक ‘कलेक्शन एंड प्रिजर्वेशन ऑफ फिशेज इन रिवर नर्मदा एट होशंगाबाद एंड स्पेशल रिफरेंस टू फिश बायोडायवर्सिटीज एंड म्यूजियम कीपिंग’ रखा है। रिपोर्ट यूजीसी को भेज दी है।


इन किताबों में नहीं मिली दुर्लभ मछलियों की प्रोफाइल


एडवान्समेंट ऑफ फिश फिशरीज एंड टेक्नालॉजी-लेखक के पी बिसवास


एक्वाकल्चर मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी-लेखक के पी फिल्क्स


डिसकस ऑफ फिशेज-लेखक के वी डुयुईजन


डायवरसिफिके शन ऑफ एक्वाकल्चर-लेखक अर्चना सिन्हा


फिश एंड फिशरीज ऑफ नार्थ ईस्टर्न स्टेट ऑफ इंडिया-लेखक एम. सिन्हा


फ्रेश वॉटर फिशेज ए प्रेक्टीकल एप्रोच-लेखक वायके खिल्लर


फंडामेंटल ऑफ फिश टेक्सोनॉमी-लेखक के सी जयाराम


हैंडबुक ऑफ फिशरीज मैनेजमेंट-लेखक के सी बडापंडा


सस्टेनेबल मैनेजमेंट एंड कनजरवेशन ऑफ बायोडायवर्सिटी-लेखक एएम पांडे


टेक्स्ट बुक ऑफ ब्रीडिंग एंड हेचरी मैनेजमेंट ऑफ क्रेप-लेखक गुप्ता एंड मनहोत्रा