लावारिस लाशों का करते हैं अंतिम संस्कार

, विदेशों में फंसे शवों को मंगवाने में करते हैं मदद 


सुल्तानपुर में एक परिवार के साथ अब्दुल हक (बाएं से पहले)।




सुल्तानपुर जिले के अब्दुल हक जात पात से हटकर लोगों की मदद निस्वार्थ भाव से कर रहे हैं। वह लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार करवाते हैं, तो विदेशों में फंसे शवों को देश में मंगवाने में परिवार की मदद भी करते हैं। चार सालों में वो अब तक छह से अधिक शव विदेशों से मंगवा चुके हैं तो 25 युवकों को विदेशों में बंधक बनने से बचा चुके हैं। अब तो प्रदेश के कई जिले से लोगों का फोन इनके पास मदद को आता रहता है। 


अब्दुल हक बताते हैं कि बेरोजगारी के युग में गरीब हो या अमीर, अधेड़ हो या युवा वो विदेश की तरफ भाग रहा। ऐसे में अधूरी जानकारी के चलते ऐसे लोग दलालों के चंगुल में फंस जा रहे। नतीजा ये के विदेशों में जाकर उन्हें या तो यातनाएं झेलनी पड़ रही या फिर जेल की हवा खानी पड़ रही। कई एक तो विदेश में हादसे का शिकार हुए तो कुछेक की वहां हत्या कर दी गई। 


अब्दुल हक़ बताते हैं कि, इस काम की शुरुआत उन्होंने दलित रूपी के शव को मंगाने से शुरू की थी। कादीपुर कोतवाली के सराय कल्याण निवासी दलित रूपी का परिवार 26 अगस्त 2015 से परेशान था। रूपी से आखरी बार इस तारीख में बात हुई थी, इसके बाद कनेक्शन टूट गया था। पूर्व बीएसपी विधायक भगेलू राम के यहां परिवार के सदस्यों से अब्दुल हक की मुलाकात हुई। हालत को देखकर अब्दुल रूपी के बेटे को लेकर दिल्ली स्थित स्वर्गीय सुषमा स्वराज के आफिस पहुंचे। जानकारी के बाद पता चला के रूपी की सऊदी अरब में मौत हो गई है। विदेश मंत्री रहते हुए सुषमा स्वराज ने पूरी मदद की और अब्दुल की प्रशंसा भी के सेवा भाव से अच्छा काम कर रहे। 


मेहनत रंग लाई 22 दिसंबर 2016 को रूपी का शव घर पहुंच गया। इसके अलावा अलग-अलग देशों में काम करने गए युवक के बंधक बनाए जाने, उन्हें जेल से रिहा कराकर उनकी वतन वापसी में भी अब्दुल हक ने दर्जनों केस हैंडिल किए हैं। कोतवाली नगर के आदर्श नगर मोहल्ले का निवासी मोहम्मद इरशाद नबंर 2018 को सऊदी अरब के रियाद शहर गया। पांच माह तक मालिक ने काम लिया लेकिन पैसे नहीं दिए। इरशाद ने घर बताया फिर अब्दुल की मदद से वो घर लौटा।