करीम लाला ने दाऊद इब्राहिम की बीच बाजार में पिटाई की थी, हाजी मस्तान

'असली डॉन' नाम से बुलाता था



मुंबई / पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और मुंबई के पहले अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला के बीच मुलाकातों का खुलासा करते हुए शिवसेना सांसद संजय राउत ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। अफगानिस्तान से मुंबई आकर करीब 30 साल तक अंडरवर्ल्ड पर राज करने वाले लाला के कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने एक बार दाऊद इब्राहिम की बीच बाजार में पिटाई कर दी थी। यही नहीं, उसने 1981 में दाऊद के भाई शब्बीर की हत्या करवा दी थी। हालांकि, बाद में दाऊद गैंग ने गैंगवाॅर में उसके पूरे गैंग को खत्म कर दिया था। दाऊद ने शब्बीर की मौत के ठीक 5 साल बाद 1986 में करीम लाला के भाई रहीम खान को मौत के घाट उतार दिया था।


अफगानिस्तान में हुआ था जन्म


करीम लाला का असली नाम अब्दुल करीम शेर खान था। उसे अफगानिस्तान में पश्तून समुदाय का आखिरी राजा भी कहा जाता है। लाला ने 21 साल की उम्र में हिंदुस्तान आने का फैसला किया। यहां उसने डॉक से हीरे और जेवरात की तस्करी करने का काम शुरू किया। 1940 तक उसने इस काम में एक तरफा पकड़ बना ली थी। मुंबई पर करीम लाला का राज करीब 30 साल यानी 1950 से 1980 के बीच रहा। इस दौरान उसने वसूली, दारू, जुए के अड्डे और हीरे-जेवरात की तस्करी का काम किया।


हाजी मस्तान कहता था 'असली डॉन'


करीम लाला की पहचान उनकी कद और काठी से थी। बताते हैं कि उसकी ऊंचाई 6 फीट थी। अक्सर पठानी सूट पहनता था। उसकी रौबदार पर्सनैलिटी के कारण हाजी मस्तान उसे असली डॉन कहता था। 1940 के दशक में अंडरवर्ल्ड में खून-खराबा नहीं होता था, उस वक्त स्मगलिंग का दौर चलता था। कहा जाता है कि करीम लाला ने ही मुंबई में शराब की अवैध बिक्री और जुए के अड्डे शुरू किए थे।


करीम लाला ने करवाई दाऊद के भाई की हत्या


एक समय में करीम लाला, हाजी मस्तान समेत कई गैंगस्टर्स ने मुंबई के इलाके बांट रखे थे। उसी समय दाऊद ने अपने भाई शब्बीर के साथ तस्करी का काम शुरू किया। तब ये करीम लाला की पठान गैंग के दुश्मन बन गए। 1981 में करीम लाला की गैंग ने दाऊद के भाई शब्बीर की हत्या कर दी। दाऊद और पठान गैंग के बीच जंग छिड़ गई। इसी बीच 1986 में दाऊद के साथियों ने करीम लाला के भाई रहीम खान को मार डाला।


मजिस्ट्रेट का उड़ाया था मजाक


एक प्रॉपर्टी को लेकर हुए विवाद के बाद करीम लाला पर एक महिला ने आरोप लगाया था कि लाला ने घर खाली करवाने के लिए उसके साथ मारपीट की। जब यह केस कोर्ट में पहुंचा तो करीम लाला को सुनवाई के लिए बुलाया गया। कोर्ट में पहुंचते ही करीम लाला को देखकर सब खड़े हो गए। विटनेस बॉक्स में पहुंचने के बाद मजिस्ट्रेट ने उनसे पूछा कि तुम्हारा नाम क्या है तो करीम लाला बोले, "ये कौन काली कोट वाली महिला है, जो हमारा नाम नहीं जानती।" उनकी इस बात को सुनकर कोर्ट में ठहाके लगने लगे।


रोज घर पर लगता था जनता दरबार


लोगों के मामलों में मध्यस्थ के तौर पर शामिल होकर उन्हें निपटना करीम लाला की दिनचर्या में शामिल था। इस बात ने उसे इतना लोकप्रिय बना दिया था कि हर समाज और संप्रदाय के लोग उसके पास मदद मांगने आते थे। उसके यहां अमीर और गरीब का कोई फर्क नहीं होता था। बताते हैं कि मुंबई में उसके घर पर हर शाम जनता दरबार लगने लगा था। जहां वो लोगों से मिलता था। इनमें कई बॉलीवुड सेलेब्रिटीज भी शामिल थे। 


दाऊद की पिटाई की थी


तस्करी के धंधे में दाऊद के आने से करीम लाला हैरान परेशान था। दोनों के बीच दुश्मनी खुलकर सामने आ चुकी थी। बताते हैं कि एक बार में दाऊद इब्राहिम मुंबई में ही करीम लाला के हत्थे चढ़ गया था। दाऊद को पकड़ने के बाद करीम लाला ने जमकर उसकी पिटाई की थी। इस दौरान दाऊद को गंभीर चोटें आई थीं। यह बात मुंबई के अंडरवर्ल्ड में आज भी प्रचलित है



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