, जैसे- छत काे हम कवाला कहते हैं, संस्कृत में कपाला
रासबिहारी बोस ने हमेशा भारत-जापान के रिश्तों को बरकरार रखने का प्रयास किया था। इसका कारण रासबिहारी बोस की शादी जापानी लड़की से होनी थी, इसलिए भारत-जापान को एक कड़ी में जोड़ने का यह एक बेहतर माध्यम साबित हुआ था।
यह कहना है जापान के प्रसिद्ध हिंदी विद्वान पद्मश्री डॉ. तोमियाे मिजोकामी का। वे सोमवार को हिंदी भवन में आयोजित व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता बाेल रहे थे। मप्र राष्ट्रभाषा प्रसार समिति की ओर से आयोजित व्याख्यान का विषय भारत-जापान अार्थिक एवं सांस्कृतिक संबंध था। यहां उन्होंने भारत और जापान के आर्थिक एवं सांस्कृतिक संबंधों पर खुलकर चर्चा की। कार्यक्रम की शुरुआत जापानी प्रो. ताेमियाे मिजोकामी ने मृदुभाषी हिंदी भाषा बोलकर की।
इस दौरान उन्होंने फर्राटेदार हिंदी में कहा कि जापान शुरू से भारत का अच्छा दोस्त रहा है। आजादी से पहले और आजादी के बाद भी। आज भी भारत के साथ है और भविष्य में भी भारत के साथ रहेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय क्रांतिकारियों से जापान का विशेष लगाव है। इनमें सुभाष चंद्र बोस मुख्य रूप से शामिल है। जापान में महात्मा गांधी, पंडित नेहरू और रवींद्र नाथ टैगोर का बड़ा आदर किया जाता है।
उन्होंने कहा कि जापानी के कई शब्द तो संस्कृत भाषा से लिए गए हैं। उदाहरण के रूप में छत को जापानी में कवाला कहा जाता है, जो कि संस्कृत के कपाला से लिया है। पंजाबी में इसका मिलता-जुलता रूप है खपरैल। संस्कृत की वर्णमाला के अक्षर आए इ ए उ, ए व ओ की तर्ज पर का, की, कू, के और ओ बने हैं।
यह कहना है जापान के प्रसिद्ध हिंदी विद्वान पद्मश्री डॉ. तोमियाे मिजोकामी का। वे सोमवार को हिंदी भवन में आयोजित व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता बाेल रहे थे। मप्र राष्ट्रभाषा प्रसार समिति की ओर से आयोजित व्याख्यान का विषय भारत-जापान अार्थिक एवं सांस्कृतिक संबंध था। यहां उन्होंने भारत और जापान के आर्थिक एवं सांस्कृतिक संबंधों पर खुलकर चर्चा की। कार्यक्रम की शुरुआत जापानी प्रो. ताेमियाे मिजोकामी ने मृदुभाषी हिंदी भाषा बोलकर की।
इस दौरान उन्होंने फर्राटेदार हिंदी में कहा कि जापान शुरू से भारत का अच्छा दोस्त रहा है। आजादी से पहले और आजादी के बाद भी। आज भी भारत के साथ है और भविष्य में भी भारत के साथ रहेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय क्रांतिकारियों से जापान का विशेष लगाव है। इनमें सुभाष चंद्र बोस मुख्य रूप से शामिल है। जापान में महात्मा गांधी, पंडित नेहरू और रवींद्र नाथ टैगोर का बड़ा आदर किया जाता है।
उन्होंने कहा कि जापानी के कई शब्द तो संस्कृत भाषा से लिए गए हैं। उदाहरण के रूप में छत को जापानी में कवाला कहा जाता है, जो कि संस्कृत के कपाला से लिया है। पंजाबी में इसका मिलता-जुलता रूप है खपरैल। संस्कृत की वर्णमाला के अक्षर आए इ ए उ, ए व ओ की तर्ज पर का, की, कू, के और ओ बने हैं।