इसलिए कन्सोर्टियम 10 मई को करवाएगा परीक्षा

इस बार गलतियां न हों,



जोधपुर / देश की 22 लाॅ यूनिवर्सिटी में प्रवेश के लिए 10 मई को देशभर में आयोजित होने वाले कॉमन लॉ एंट्रेंस टेस्ट (क्लैट) की परीक्षा इस बार कन्सोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज की ओर से आयोजित करवाई जाएगी। कन्सोर्टियम ने यह फैसला इसीलिए लिया है ताकि इस परीक्षा में अब तक हुई गलतियों को रोका जा सके। कन्सोर्टियम का गठन 2018 में हुआ था। इससे पहले हर बार परीक्षा का जिम्मा 22 लॉ यूनिवर्सिटीज में से किसी एक यूनिवर्सिटी को दिया जाता था। यही कारण था कि आयोजक यूनिवर्सिटी को अनुभव नहीं होने की वजह से हर बार परीक्षाओं में गफलत होती थी, जिसका खामियाजा स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ता था।


कन्सोर्टियम के अध्यक्ष प्रो. विजयकुमार की अध्यक्षता में पहली बैठक हाल ही में बेंगलुरु में हुई। बैठक में यह तय हुआ कि इस बार परीक्षा की जिम्मेदारी किसी भी विश्वविद्यालय को नहीं दी जाएगी, बल्कि खुद कन्सोर्टियम कराएगा। परीक्षा ऑफलाइन आयोजित होगी। प्रो. विजय कुमार ने कहा कि जब तक व्यवस्थाएं पूर्ण रूप से सुधर नहीं जाती, उनकी ओर से परीक्षा ऑफलाइन ही आयोजित होगी। ज्ञात रहे कि वर्ष 2011 से वर्ष 2018 तक आयोजित हुई परीक्षाओं में केवल 2016 को छोड़ कर हर परीक्षा में कोई न कोई गड़बड़ी हुई। वर्ष 2017 में तो परीक्षा में सवाल तक गलत पूछ लिए गए थे। दैनिक भास्कर में गलतियां उजागर करने के बाद आयोजकों ने कमेटी गठित की तथा इसके बाद खुद आयोजकों ने 9 सवाल गलत होना स्वीकार किया और पूरा परिणाम बदल गया। 


क्लैट : हर साल किसी न किसी विवाद से जुड़ी परीक्षा
2011: पेपर में हास्यास्पद गलतियां सामने आईं। पेपर में कई प्रश्नों के सही उत्तर पहले से ही बोल्ड आ गए। पेपर अलग-अलग सेट में आते हैं, लेकिन ये गलती केवल एक सेट में ही हुई थी।
2012 : पेपर बहुत मुश्किल था, लेकिन ऐसे कई सवाल पूछ लिए गए, जो आउट ऑफ कोर्स थे। तत्कालीन स्टूडेंट्स न्यायालय की शरण में गए थे।
2013 : परीक्षा के दौरान कोई गलती नहीं हुई, लेकिन परिणाम घोषित होने के बाद जब स्टूडेंट्स को कॉलेज आवंटित किए गए तो इस प्रक्रिया पर सवाल उठे और फिर से कॉलेज आवंटन हुआ।
2014 : परीक्षा के परिणाम में दी गई आंसर-की पर खूब सवाल उठे और इस मामले में आयोजकों की ओर से गहन जांच के बाद क्लैट का परिणाम बदलना पड़ा।
2015 : पेपर में नियमानुसार 200 सवाल पूछे गए थे, लेकिन जब आंसर-की जारी हुई तो 200 में से 113 के ही उत्तर जारी किए गए। वहीं पूर्व में स्टूडेंट्स को भेजी गई आंसर-की में जवाब मेल नहीं खा रहे थे।
2017 : 15 सवालों के उत्तरों पर सवाल उठे थे, इस मामले को भास्कर में उठाया गया और इसके बाद विशेषज्ञों की कमेटी बनी। आखिरकार आयोजकों को 9 गलतियां स्वीकार कर परिणाम जारी करने पड़े।
2018 : ऑनलाइन टेस्ट में सर्वर डाउन होने, परीक्षा 15 मिनट देरी से शुरू होने सहित कई गड़बड़ियां सामने आई। मामला उजागर होने के बाद कोर्ट ने प्रसंज्ञान लिया। परीक्षा में हस्तक्षेप के लिए क्लैट कन्सोर्टियम का गठन हुआ। क्लैट के स्थाई सचिवालय (कन्सोर्टियम) का गठन डेढ़ वर्ष पहले किया गया था।