छतरपुर में वृद्धाश्रम में मां की मौत

छतरपुर में वृद्धाश्रम में मां की मौत


पत्नी के डर से शव को घर नहीं ले गया बेटा





छतरपुर / पत्नी से मां की अनबन थी तो बड़ा बेटा वृद्धाश्रम में रह रही मां के शव को घर भी नहीं ले गया। छोटा बेटा तो आश्रम भी नहीं पहुंचा। आखिर समिति के सदस्यों ने ही बेटों का फर्ज निभाकर मुखाग्नि दी। इस दौरान बड़ा बेटा मुक्तिधाम में खड़ा होकर सारा कर्मकांड देखता रहा। मां के प्रति बेटे के शर्मनाक व्यवहार वाली घटना छतरपुर के दर्शान वृद्ध सेवा आश्रम से जुड़ी है जहां दो साल पहले जनसुनवाई में पीड़ा सुनने के बाद तत्कालीन कलेक्टर ने दो बेटों की मां फूलवती को भेजा था।


शहर के जिला अस्पताल में संचालित दर्शना वृद्धा सेवा आश्रम में रहने वाली 75 वर्षीय फूलवती चौरसिया पिछले दो माह से बीमार थीं। अस्पताल में उनका उपचार कराया जा रहा था। सोमवार सुबह उनका निधन हो गया तो आश्रम के सदस्यों ने उनके बेटे रामखिलावन और लाला चौरसिया को सूचना दी।


आश्रम के सदस्यों के अनुसार पहले तो बड़े बेटे रामखिलावन ने ना नुकर की, बाद में वह आश्रम पहुंचा। यहां आश्रम के सदस्यों ने मां के शव को घर ले जाने के लिए कहा तो उसने इंकार कर दिया। उसका कहना था कि उसकी पत्नी और मां के बीच अनबन थी, इसलिए उसे घर नहीं ले जाना चाहता। पत्नी ने कहा था कि मां को घर लाए तो आत्महत्या कर लूंगी।


छोटा बेटा लाला चौरसिया वहां पहुंचा ही नहीं था। ऐसी स्थिति में आश्रम के सदस्यों ने ही उनके अंतिम संस्कार की तैयारी की और मुक्तिधाम ले जाकर विधिविधान से अंतिम संस्कार कराया। आश्रम के परिचारक हेमंत बबेले ने मुखाग्नि से पहले सारा कर्मकांड किया वहीं अन्य सदस्यों के साथ मिल मुखाग्नि दी। इस दौरान रामखिलावन ने केवल मुखाग्नि के डंडे से पीछे की और हाथ लगाया।


घरेलू कलह से दो साल पहले आई थीं आश्रम


आश्रम के प्रबंधक दिनेश वैद्य ने बताया कि फूलवती लगभग दो साल पहले तत्कालीन कलेक्टर रमेश भंडारी के जनसुनवाई कार्यक्रम में पहुंची थी और अपने दो बेटों के होते हुए भी घर में न रह पाने से परेशान थीं। कलेक्टर ने उन्हें वृद्धाश्रम में भर्ती कराया था। वह सांस की बीमारी से ग्रसित थीं। दो माह पहले उनकी ज्यादा तबियत बिगड़ी तो जिला अस्पताल में उनका उपचार कराया जा रहा था।


बेटा बोला, घर नहीं ले गए मगर सारे कर्म करेंगे


बेयर हाउस कार्पोरेशन में नौकरी कर रहे वृद्धा फूलवती के करीब 55 वर्षीय बेटे रामखिलावन चौरसिया का कहना है कि घरेलू कलह के चलते वह अपनी मां के शव को घर नहीं ले जा रहे लेकिन वह उनकी मृत्यु के सारे संस्कार करेगा। उसने बताया कि शाम को वह मुक्तिधाम में दीपक रखने भी गया था।


वहीं आश्रम के प्रबंधक दिनेश वैद्य कहते हैं कि आश्रम में किसी भी वृद्ध की मृत्यु होने पर वह सारे क्रियाकर्म कराते हैं। पंडित की मौजूदगी में फूल विसर्जित कराकर त्रयोदशी भी कराएंगे।




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