बिना वेंटीलेटर के सी-पेप से बच्चों की बचा रहे जान

9 महीने में 202 नवजातों की मौत,



खंडवा / राजस्थान के कोटा स्थित जेके लोन सरकारी अस्पताल में 110 बच्चों की मौत पर बवाल मचा हुआ है। खंडवा जिला भी इससे पीछे नहीं है। यहां पिछले नौ महीने में 220 नवजात बच्चों की मौत हो चुकी है। यानी औसत हर महीने 22 बच्चे जान गंवा चुके हैं। इसका प्रमुख कारण संक्रमण है। एसएनसीयू (सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट) में िपछले 21 महीने के डाटा विश्लेषण से पता चला है कि जिले में जिन नवजात बच्चों ने दम तोड़ा है, उनमें सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। पिछले साल 197 बच्चों ने जान गंवाई थी।


लेडी बटलर अस्पताल स्थित एसएनसीयू के रिकार्ड के मुताबिक 1 अप्रैल से 31 दिसंबर 2019 तक कुल 1629 बच्चे भर्ती हुए। इसमें से 202 बच्चों की मौत हुई। इनमें अस्पताल में बाहर से आआउट ने वाले बोर्न यूनिट में 132 और व अस्पताल में पैदा इन बोर्न यूनिट में 70 बच्चों ने दम तोड़ा। एसएनसीयू प्रभारी डॉ. कृष्णा वास्कले ने बताया इन बोर्न में 8 व आउट बोर्न में 23 बच्चों की संक्रमण के कारण मौत हुई। वही पिछले साल 2018-19 में आउट बोर्न में 22 व इन बोर्न में 13 बच्चों की मौत संक्रमण से हुई थी।


एसएनसीयू में बिना वेंटीलेटर सी-पेप सिस्टम से बच्चों की जान बचाई जा रही है। कृत्रिम सांस के लिए यूनिट में तीन सी-पेस सिस्टम है। यूनिट में बच्चों के लिए वेंटीलेटर का मांग पत्र सिविल सर्जन ने स्वास्थ्य विभाग को चार महीने पहले भेजा है। अभी तक वेंटीलेटर नही मिला है। इसके अभाव में भी बच्चों की जान जा रही है।


ये है 6 स्टेप हाथ धुलाई के
इधर, लेडी बटलर अस्पताल के लेबर रूम में स्वास्थ्य विभाग की योजना लक्ष्य के तहत स्वच्छता का पुरस्कार हासिल किया है। अस्पताल के लेबर रूम से लेकर वार्ड तक में काम करने वाला स्टाफ 6 स्टेप सफाई पर विशेष ध्यान देता है। पहले स्टेप में दोनों हाथों को एक-दूसरे से रगड़ना, दूसरे चरण में दाहिने हाथ से बाएं हाथ के पीछे व अंगुलियों को साफ करना, तीसरे चरण में दोनों हाथों की अंगुलियों को साफ करना, चौथे चरण में अंगुलियों के पीछे की सफाई, पांचवें चरण में बाएं हाथ के अंगूठे को दाहिने हाथ से रगड़कर साफ करना एवं छठवें चरण में दाेनों हाथों को अच्छी तरह से पानी से धोकर सुखाना शामिल है।


स्वास्थ्य विभाग से जारी नियमों के तहत स्टाफ को स्वच्छता को लेकर प्रशिक्षण दिया गया है। अस्पताल के लेबर रूम से लेकर ओटी और वार्ड में हर जगह हाथ धुलाई के नियम बाकायदा उदाहरण के लगाए गए हैंं, ताकि अस्पताल में संक्रमण को रोका जा सके। बच्चों को संक्रमण से बचाने में स्वच्छता का विशेष योगदान है।



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