शाजापुर / 2019 में नवविवाहित जोड़े बहुत ज्यादा तनावग्रस्त रहे, जिनके कारण ऐसे 218 मामले महिला परामर्श केंद्र पर आए। इसमें दोनों अलग होना चाहते थे, परंतु महिला परामर्श केंद्र के आरक्षक तथा मनोवैज्ञानिक परामर्शदाताओं ने समझाइश से शहर के नवविवाहित जोड़ों में 67 को एक कर दिया तथा 99 मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं। परामर्श केंद्र पर आए मामलों के अलावा 11 दंपती ने मर्जी से तलाक लिए और 11 मामलों में अपराध तय हुए। शेष 26 को वापस भेज दिया गया, क्योंकि महिला-पुरुष दोनों पक्ष की तरफ से केंद्र पर कोई उपस्थित नहीं हो रहा था। इसी तरह जनवरी में पहला मामला अलग होने का आया। इसमें नवदंपती ने सालभर में तलाक ले लिया। अधिकतर मामलों में नई बहू को सास पसंद नहीं आई और पति को तलाक दे दिया।
प्रधान आरक्षक मंजुला चौहान ने बताया कि न्यायालय में विचाराधीन 99 केस में से ज्यादातर नए जोड़े हैं। इनकी शादी फरवरी में हुई और जून में अलग हो गए। इनमें सबसे महत्वपूर्ण कारण बना सास बहू की तकरार, ऐसे मामले 50 से ज्यादा रहे। सास-बहू के बीच विवाद के कारण अलग हुए और दूसरा कारण पति के नशा करने का रहा। इसमें 40 मामले थे, जिनसे महिला पीड़ित थीं। महिला आरक्षक तेजा गोदरा ने बताया कि 26 से ज्यादा केस ऐसे थे, जिसमें दहेज का आरोप भी लगा। इसमें कुछ झूठे और 11 वास्तविक पाए गए। इन पर अपराध कायम हुआ।
परामर्श केंद्र में प्रधान आरक्षक मंजुला चौहान तथा आरक्षक तेजा गोदरा।
पति-प|ी दोनों धैर्य रखें और एक-दूसरे को समय दें
महिला परामर्श केंद्र में मनोवैज्ञानिक सलाहकार मनोरमा बोस और सविता चौहान ने कहा कि यहां जितने मामले आते हैं, वह छोटी-छोटी लड़ाइयों के बाद अलग होने के होते हैं। कुछ मामले दहेज के रहते हैं। दंपती इतनी जल्दी फैसला ले लेते हैं कि वह अपने विवाहित जीवन को तबाह कर लेते हैं। अगर दोनों में से कोई एक धैर्य रखे तो वह जोड़ा परिवार बन जाता है तथा अलग नहीं होता। अपने वैवाहिक जीवन को समय देने की कोशिश करें।
प्रधान आरक्षक मंजुला चौहान ने बताया कि न्यायालय में विचाराधीन 99 केस में से ज्यादातर नए जोड़े हैं। इनकी शादी फरवरी में हुई और जून में अलग हो गए। इनमें सबसे महत्वपूर्ण कारण बना सास बहू की तकरार, ऐसे मामले 50 से ज्यादा रहे। सास-बहू के बीच विवाद के कारण अलग हुए और दूसरा कारण पति के नशा करने का रहा। इसमें 40 मामले थे, जिनसे महिला पीड़ित थीं। महिला आरक्षक तेजा गोदरा ने बताया कि 26 से ज्यादा केस ऐसे थे, जिसमें दहेज का आरोप भी लगा। इसमें कुछ झूठे और 11 वास्तविक पाए गए। इन पर अपराध कायम हुआ।
परामर्श केंद्र में प्रधान आरक्षक मंजुला चौहान तथा आरक्षक तेजा गोदरा।
पति-प|ी दोनों धैर्य रखें और एक-दूसरे को समय दें
महिला परामर्श केंद्र में मनोवैज्ञानिक सलाहकार मनोरमा बोस और सविता चौहान ने कहा कि यहां जितने मामले आते हैं, वह छोटी-छोटी लड़ाइयों के बाद अलग होने के होते हैं। कुछ मामले दहेज के रहते हैं। दंपती इतनी जल्दी फैसला ले लेते हैं कि वह अपने विवाहित जीवन को तबाह कर लेते हैं। अगर दोनों में से कोई एक धैर्य रखे तो वह जोड़ा परिवार बन जाता है तथा अलग नहीं होता। अपने वैवाहिक जीवन को समय देने की कोशिश करें।