सरकार इनकम टैक्स में राहत देने की बजाय खर्च बढ़ाने के उपायों पर फोकस कर सकती है





 





यह आशंका है कि आयकर घटाने के बावजूद खर्च नहीं बढ़ा तो अर्थव्यवस्था को फायदा नहीं होगा


सरकार ने सितंबर में कॉर्पोरेट टैक्स घटाया था, इसके बाद से इनकम टैक्स में भी कटौती की चर्चाएं हैं


सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ सिर्फ 4.5% रही, यह 6 साल में सबसे कम


 

नई दिल्ली / कॉर्पोरेट टैक्स घटने के बाद से इस बात की चर्चा है कि सरकार अब पर्सनल इनकम टैक्स में भी कटौती कर सकती है। एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में इसकी उम्मीद की जा रही है, लेकिन अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति को देखते हुए सरकार को आयकर में छूट का विचार शायद हल्का लग रहा है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक एक अधिकारी का कहना है कि सरकार को इस बात की आशंका है कि इनकम टैक्स में कटौती के बाद भी लोगों ने खर्च नहीं बढ़ाया तो इकोनॉमी को कोई फायदा नहीं होगा। इसलिए, सरकार उन सेक्टर में खर्च बढ़ाने पर फोकस करेगी जिनका खपत और मांग से सीधा संबंध है।

कॉर्पोरेट टैक्स कटौती का असर वित्त वर्ष खत्म होने तक दिखेगा: रिपोर्ट




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    अधिकारी ने बताया कि सिंतबर में सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की थी। इससे 1.45 लाख करोड़ रुपए का रेवेन्यू कम होगा। इस कदम के असर अभी तक नहीं दिखे हैं, लेकिन इसके फायदे देखने के लिए वित्त वर्ष खत्म होने तक इंतजार करना पड़ेगा। हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी हो रही है। नवंबर तक इसमें 5% इजाफा हुआ।


     




  2.  


    दूसरी ओर विनिवेश के मोर्चे पर सरकार लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है। मौजूदा वित्त वर्ष में 1.05 लाख करोड़ रुपए के विनिवेश लक्ष्य के मुकाबले अभी तक 17,354 करोड़ रुपए ही हासिल हो पाए हैं।


     




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    जीएसटी कलेक्शन भी उम्मीद के मुताबिक नहीं हो रहा। जीएसटी काउंसिल को मिले प्रजेंटेशन के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में राज्य सरकारों के लिए 1.6 लाख करोड़ रुपए की कंपेनसेशन राशि की जरूरत पड़ सकती है। टैक्स कलेक्शन में कमी की वजह से जीएसटी कंपेनसेशन सेस कलेक्शन 60,000 करोड़ रुपए घट सकता है। कंपेनसेशन भुगतान में देरी की वजह से केंद्र को पिछले दिनों राज्यों की नाराजगी झेलनी पड़ी थी। हालांकि, केंद्र ने 16 दिसंबर को राज्यों को 35,298 करोड़ रुपए जारी कर दिए।