नया मोटर व्हीकल एक्ट / 18 जिलों में 74000 चालान पेंडिंग

, सिस्टम की खामी और पुलिस की लेटलतीफी से पेंडेंसी बढ़ी





मोगा आरटीओ दफ्तर में पड़ी चालान की फाइलें





जान जोखिम में डाल रहे शहरी जालंधर, अमृतसर और लुधियाना में बिना हेलमेट के चालान सबसे ज्यादा पेंडिंग


कानून 19 दिसंबर से लागू, लेकिन पुराने चालान पर भी जुर्माना नए के हिसाब से भरना होगा


पुराने ई-चालान का भी जुर्माना अब नए कानून के मुताबिक भरना होगा


 

प्रदेश के विभिन्न जिलों से / सूबे में नया मोटर व्हीकल एक्ट 19 दिसंबर से लागू हो चुका है। पंजाब के 18 जिलों में 74 हजार से अधिक चालान पेंडिंग हैं। ये पेंडेंसी इसलिए नहीं बढ़ी कि लोग चालान भुगतने नहीं पहुंचे बल्कि इसलिए इतनी ज्यादा है क्योंकि कई जगह आरटीए के सिस्टम काम नहीं कर रहे थे, कई जगह पुलिस ने भी आरटीए को चालान पहुंचाने में देरी की थी।


लेकिन अब परेशानी ये है कि ये सभी पुराने चालानों का भुगतान नए कानून के तहत कई गुना ज्यादा भुगतना पड़ेगा। पहले मिनिमम चालान 300 रुपए का था अब कोई भी चालान 1000 से कम है ही नहीं। अनुमान के अनुसार इन 74000 पेंडिंग चालान का पुराने नियम के तहत मिनिमम जुर्माना 2 करोड़ 22 लाख बनता है जबकि नए कानून के तहत इसकी मिनिमम रकम करीब 7 करोड़ 40 लाख के करीब बनती है।


पंजाब पुलिस के एडीजीपी ट्रैफिक डॉ शरद सत्य चौहान ने भी स्पष्ट किया कि ट्रैफिक नियम के उल्लंघन का चालान भले ही सालभर पहले ही क्यों न हुआ हो, यदि अब तक भुगता नहीं गया है तो 19 दिसंबर के नोटिफिकेशन के बाद अब उक्त चालान पर भी नई दरों के साथ ही जुर्माना अदा करना होगा।





ट्रैफिक चालान का जुर्माना असल में कंपाउंडिंग के लिए लिया जाता है, यह कोई कानून नहीं है कि इसे पहले के मामलों में लागू नहीं किया जा सकता। असल में ट्रैफिक वॉयलेशन कभी की भी हो, कंपाउंडिंग पैनेलटी या जुर्माना उसी दिन का लागू होता है, जिस दिन उक्त चालान को भुगता जाता है।


पंजाब में जिन-जिन जगहों पर ई-चालान के जरिए लोगों को ट्रैफिक वॉयलेशन के ई-चालान नोटिस भेजे गए थे, लेकिन उन्होंने अदायगी नहीं की, ऐसे लोगों को भी अब जब भी जुर्माने की अदायगी करनी होगी, वो नए लागू एक्ट के मुताबिक ही भरनी होगी।



शराब पीकर गाड़ी चलाने पर अब लाइसेंस होगा तीन महीने के लिए सस्पेंड
एडीजीपी ट्रैफिक चौहान ने कहा कि शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर सख्ती करने का फैसला किया गया है। जो लोग शराब पीकर गाड़ी चलाते पाए जाते हैं, उनका ड्राइविंग लाइसेंस तीन महीने के सस्पेंड किया जाएगा। राज्यभर में करीब 600 एल्कोमीटर दे दिए गए हैं। चंडीगढ़ की तर्ज पर अब पंजाब में शराब पीकर वाहन चलाने पर सख्ती की जाएगी।


उन्होंने कहा कि नए साल में लोगों को ट्रैफिक नियमों जागरूकता के लिए 27 टीमों का गठन कर दिया गया है। इन टीमों का नेतृत्व डीएसपी व इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारियों तैनात कर दिया गया है। यह नए साल में लोगों शुभकामनाएं के साथ नियमों के संबंध में अवेयर करवाया जाएगा।





कोर्ट में भी चालान भुगत सकते हैं
लुधियाना के एडवोकेट दीपजोत सिंह ने बताया कि चालान को कोर्ट में भी भुगता जा सकता है। इसके लिए लैटर टाइप करवा कर सीजीएम को देनी पड़ती है। उसके बाद आरटीए ऑफिस से चालान को कोर्ट में मंगवाया जाएगा और चालान का भुगतान किया जाएगा। आरटीए सेक्रेटरी दमनजीत सिंह मान ने बताया कि नए संशोधित एक्ट के मुताबिक ही चालानों का भुगतान किया जा रहा है। चाहे व तीन महीने पुराना चालान है।



लोग बोले- जब चालान पुराने नियम के तहत हुआ तो फिर जुर्माना नए के तहत क्यों
सूबे में भले ही नया मोटर व्हीकल एक्ट 19 दिसंबर से लागू हो चुका है लोग इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब हमारा चालान पुराने कानून के तहत हुआ था तो अब सरकार हमने नए नियम के तहत चालान कई गुना क्यों वसूल रही है।


सरकार के खजाने खाली हैं और मुलाजिमोें से सेलरी नहीं दे पा रही तो इसका मतलब तो ये नहीं है कि आम लोगों से जुर्माना बढ़ाकर वसूल कर अपना खजाना भरे। वैसे भी पेंडेंसी चालान न भुगतने के कारण नहीं बढ़ी सिस्टम की खामियों और सरकार के मुलाजिमों के अचानक हड़ताल पर जाने के चलते बढ़ी है। लुधियाना के बलबीर सिंह, अमृतसर के हरीश कुमार व गुजरंट सिंह ने बताया कि हम तीन बार चालान भुगतने गए लेकिन कभी हड़ताल तो कभी सिस्टम बंद मिला।



सरकार को खजाना भरना है तो कोई और रास्ता अपनाए


जालंधर में चालान भुगतने आए लाेगों ने कहा कि सरकार आर्थिक संकट झेल रही है। पर इसका यह मतलब नहीं कि वाहन चालकाें के चालान काटकर खजाना भरा जाए। लाेगोंं ने कहा कि उनका चालान ट्रैफिक पुलिस ने सही समय पर आरटीए दफ्तर नहीं भेजा, इसमें उनकी क्या गलती है। 



पेंडेंसी बढ़ने के 5 कारण
1. ट्रैफिक पुलिस द्वारा आरटीए कार्यालय में चालान समय पर नहीं भेजना।
2. आरटीए का सिस्टम काम न करना।
3. जागरूकता की कमी।
4 . चालान के ऑनलाइन होने में देरी।
5 . आरटीए दफ्तर में लगने वाली लंबी कतार।