29 साल की टीचर ने 3 महीने में 12 लीटर ब्रेस्ट मिल्क दान किया

, 5 नवजात की जान बचाई





डॉक्टर ने बताया नवजात की मां बेहद कमजोर थीं और स्तनपान कराने में सक्षम नहीं थीं।





शिक्षका रुशिना मारफतिया ने सितंबर में बेटे को जन्म दिया था, उन्हें ज्यादा दूध बन रहा था


अर्पण नवजात शिशु देखभाल केंद्र के ब्रेस्ट मिल्क बैंक के जरिए उन्होंने इसे दान करने का फैसला किया


रुशिना बैंक को दान देनी वाली 250 महिलाओं में से एक हैं, जिन्होंने 90 लीटर दूध दान दिया, जिससे 600 बच्चों की जान बच सकती है


चाइल्ड केयर विशेषज्ञों के मुताबिक, मां का दूध  प्रीमैच्चोर (600 ग्राम से लेकर 1.5 किलोग्राम) बेबीज के लिए बहुत लाभदायक होता है


 

अहमदाबाद /  गुजरात की 29 साल की एक महिला ने अपना 12 लीटर ब्रेस्ट मिल्क दान कर गंभीर बीमार, अविकसित और जरूरतमंद 5 शिशुओं की जान बचाई है। ये बच्चे आईसीयू में भर्ती थे और इनका जन्म समयपूर्व हुआ था। टीचर रुशिना मारफातिया ने अर्पण नवजात शिशु देखभाल केंद्र के जरिए यह मदद पहुंचाई। 


अर्पण नवजात शिशु देखभाल केंद्र को डॉ. आशीष मेहता चलाते हैं। उनके मुताबिक, रुशिना का ब्रेस्ट मिल्क 600 ग्राम से लेकर 1.5 किलोग्राम के प्रीमैच्योर बेबीज को दिया गया। इससे बच्चों की जान बच गई। डॉक्टर ने मीडिया को बताया नवजात की मां बेहद कमजोर थीं और स्तनपान कराने में सक्षम नहीं थीं।


रुशिना ने कुछ दिन पहले बेटे को जन्म दिया था


अहमदाबाद की रहने वाली एक निजी कॉलेज की टीचर रुशिना डॉक्टर मारफतिया ने 20 सितंबर को बेटे वियान को जन्म दिया था। उन्हें दूध अधिक बन रहा था, जिससे उन्हें यह अहसास हुआ कि वे दूध को दान कर सकती हैं, ताकि यह दूध उन बच्चों के काम आए, जिन्हें मां का दूध समय पर नहीं मिल पाता।  


अर्पण नवजात शिशु देखभाल केंद्र


रुशिना के अनुरोध पर पिता ने अर्पण नवजात शिशु देखभाल केंद्र का पता लगाया। इसका अपना एक मदर्स ऑन मिल्क बैंक है। इसे डॉ. आशीष मेहता ने इसी साल पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू किया था। बैंक को अब तक 90 लीटर ब्रेस्ट मिल्क दान में मिला है, जो 600 बच्चों के काम आ सकता है। बैंक से प्रत्येक बच्चे के लिए 150 मिली दूध की मात्रा तय है। इस बैंक से करीब 250 महिलाओं जुड़ी हैं,जो ब्रेस्ट मिल्क दान करतीं हैं। रूशिना उनमें से एक हैं।