मप्र को लगेगा 30 हजार करोड़ का फटका
भोपाल / कोरोना महामारी के चलते मप्र के सरकारी खजाने को इस वित्त वर्ष में करीब तीस हजार करोड़ का नुकसान हो सकता है। इसके चलते सरकार को गंभीर आर्थिक संकट को झेलना होगा। इससे न केवल विकास कार्य बुरी तरह प्रभावित होंगे बल्कि, कई जनहितैषी योजनाओं का प्रभावित होना तय माना जा रहा है। मौजूदा परिस्थियों के हिसाब से जो प्रारंभिक अनुमान लगाया जा रहा है उसके मुताबिक प्रदेश सरकार को अपने स्रोतों से होने वाली आय में इस साल करीब 15 हजार करोड़ तक का नुकसान हो सकता है। इसी तरह से केन्द्रीय अनुदान व केंद्रीय करों के रुप में मिलने वाली राशि में भी बड़ी कटौती की संभावना बनती जा रही है। जिसके चलते प्रदेश को मिलने वाली राशि में भी करीब 15 से 17 हजार करोड़ रुपए तक की कमी होने का अनुमान लगाया जा रहा है। दोनों ही आंकड़ो को मिलकार कुल 30 हजार करोड़ रुपए के नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है। यही वजह है कि अब वित्त विभाग इसी हिसाब से आय और व्यय में सामंजस्य बिठाने की कवायद में लग गया है। यही वजह है कि वित्त विभाग द्वारा राज्य के राजस्व की ताजा स्थिति के बारे में जो ब्यौरा तैयार किया गया है है उस हिसाब से मप्र को इस वर्ष राजस्व संग्रहण में नुकसान होना तय है। फिलहाल सामान्य रुप से प्रदेश के खजाने में सभी स्त्रोतों से प्रतिवर्ष 70 हजार करोड़ रुपए आते हैं। इसमें वाणिज्यिक कर , खनिज , परिवहन जैसे विभागों सहित अन्य विभागों से होने वाली आया भी शामिल है।


वृद्धि की जगह कटौती का करना होगा सामना
केंद्रीय करों से मिलने वाली राशि में इस बार बड़ी कटौती का अनुमान अभी से लगाया जा रहा है। वित्त विभाग के अनुमान के मुताबिक इस बार प्रदेश को केंद्रीय करों में 12 से 15 फीसदी तक की कटौती का सामना करना पड़ सकता है। बीते वित्त वर्ष में मप्र को केंद्रीय करों से 49517 करोड़ रुपए तय किए गए थे। इसके बाद से ही माना जा रहा था कि नए वित्तीय वर्ष 2020-21 में इसमें 10 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे प्रदेश के खाते में लगभग 55 हजार करोड़ रुपए की राशि आनी थी, लेकिन अब इसमें बढ़ोतरी की जगह 15 से 20 फीसदी तक की कटौती की संभावना बनती दिख रही है। जिससे केंद्रीय करों से भी प्रदेश को कम से कम 10 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होगा।
जीएसटी की राशि पर भी संकट
अभी तक राज्य सरकार को हर माह केन्द्र से जीएसटी की भरपाई के एवज में हर माह 700 से लेकर 900 करोड़ रुपये मिल रहे थे, लेकिन अब इसमें भी कमी होने का अनुमान है। हालांकि अब तक केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को अब तक इस बारे में कोई सूचना नहीं दी गई है, लेकिन अफसर कटौती होने की संभावना मानकर चल रहे हैं। यह कटौती कितनी होगी, यह केंद्र ही तय करेगा। वर्तमान में मप्र को जीएसटी से नुकसान की भरपाई के तहत मिलने वाली राशि तीन माह की अवधि में मिल जाती है, लेकिन नये हालातों में यह राशि और देरी से मिल सकती है।
कर्ज सीमा वृद्धि से राहत
मौजूदा संकट को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों के लिये कर्ज की सीमा में वृद्धि कर दी है। इससे राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है। मप्र लंबे समय से जीडीपी की 3.5 फीसदी तक राशि बाजार से कर्ज के रूप में लेने के लिये केंद्र से आग्रह करता रहा है। जिसको केन्द्र सरकार ने मान लिया है। इससे अब प्रदेश सरकार इस साल 27 हजार करोड़ रुपये से अधिक राशि का कर्ज ले सकेगा। पूर्व में यह लिमिट 3 फीसदी थी। वर्ष 2018 में जब मप्र में भाजपा की सरकार थी, तब भी केंद्र पर लगातार दबाव बनाने का क्रम जारी था कि इस लिमिट को बढ़ाया जाये। तब तो यह अनुमति नहीं मिली थी, लेकिन अब प्रदेश और देश में कोरोना महामारी के कारण आर्थिक हालात बिगडऩे की वजह से इस मांग को मान लिया गया है। इसकी बड़ी वजह है राज्यों के साथ ही केंद्र के राजस्व संग्रहण का गणित गड़बड़ाने की आशंका।



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