पतलई के चार और युवाओं का सेना में चयन, 80 घराें का गांव अब तक दे चुका है 25 सैनिक

हाेशंगाबाद / डाेलरिया के पास गांव पतलई कला देशसेवा के रंग में रंगा है। यहां के चार और युवाओं का चयन सेना में हो गया तो विदाई से पहले रविवार को पूरे गांव का भंडारा प्रसादी रामजानकी मंदिर परिसर में हुई। तिरंगे के रंगों केसरिया, सफेद और हरे से होली खेली गई। राजपूत समाज बहुल गांव के 80 घराें ने अब तक 25 सैनिक देश काे दिए। 1971 में गांव से सेना में गए दूसरे सैनिक देवीसिंह सहित अन्य सैनिकाें के मुंह से वीरता की बातें हर युवा के फौज में जाने की प्रेरणा है। अभी गांव के आदर्शसिंह, विशालसिंह, हिमांशुसिंह, शुभम सिंह राजपूत सेना के लिए सिलेक्ट हुए हैं। पहली बार एकसाथ गांव के चार बेटाें के चयन पर पूरे गांव खुश है। चाराें के ट्रेनिंग पर जाना है।


त्योहार सा आनंद, पूरे गांव में खुशियां
चार युवाओं का एकसाथ चयन हाेने पर गांव में त्याेहार सा माहाैल है। रविवार काे गांव की सड़काें काे गाेबर से लीपा गया। फूलों से सजाया। आदर्श 14 मार्च काे बरेली (यूपी), शुभम 13 मार्च काे अहमदनगर महाराष्ट्र, हिमांशु 17 मार्च काे नासिक और विशाल 12 मार्च काे भाेपाल ट्रेनिंग के लिए जाएंगे।


ये अभी भी फौज में दे रहे सेवा: रोहित सिंह राजपूत (24), सुनील सिंह (28), हनुमान सिंह (29), अनिल सिंह (28), सतवानसिंह, अजीतसिंह, रामसिंह (37), नरेंद्र सिंह राजपूत (30), छत्रपाल सिंह (26), दीपक चौहान (27), विपिन सिंह (27), हरप्रताप सिंह (60), यशवंत सिंह (28)। इसके साथ ही देवीसिंह राजपूत (72), रमेशचंद राजपूत (68), कमलसिंह राजपूत (55), लल्लू सिंह राजपूत (52), मदन सिंह राजपूत (49), काैशल सिंह राजपूत (35), बलवंत सिंह राजपूत (36) रिटायर हो चुके हैं। वहीं स्व. सौरभ सिंह राजपूत (शहीद) हुए थे।


बच्चाें काे प्रेरित करने में भूमिका : देवीसिंह राजपूत (पूर्व सैनिक), पूर्व सरपंच केदार सिंह राजपूत, लीलाधर राजपूत, सुनील राजपूत, राजेश राजपूत (शिक्षक), निर्भय सिंह, शैतान सिंह, गुलाब चाैहान, गजेंद्र राजपूत। जिन युवाओं का चयन हुआ है। उसमें दर्शसिंह हरिनारायण सिंह (21), विशालसिंह मदन सिंह राजपूत (22), हिमांशुसिंह सुरेंद्रसिंह राजपूत (20), शुभमसिंह कमल सिंहराजपूत (20) । 


गांव के युवा इसलिए प्रेरित : गांव में सबसे पहले रमेशचंद्र राजपूत 1970 में सेना में गए। इसके बाद उनके भाई देवी सिंह राजूपत ने 1971 में फाैज ज्वाइन की। देवीसिंह के मुताबिक 1983 में वे बच्चे का एडमिशन कराने आए थे तब गांव में एक रात डाका डल गया। देवीसिंह ने डाकुओं को खदेड़ा और ग्रामीणाें काे बचाया। तभी से गांव का हर बच्चा देश की सुरक्षा के लिए जुनून रखने लगा।


हम जरूरतमंद बच्चे की मदद करते हैं 


बच्चाें में पूर्व सैनिकाें की प्रेरणा से सेना में जाने की ललक है। परिवार और गांववाले भी उन्हें प्रेरित करते हैं। राजपूत समाज के सक्षम लाेग भी जरूरतमंद बच्चे की मदद करते हैं।


नरेश सिंह राजपूत, अध्यक्ष क्षेत्रीय राजपूत समाज


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